EU के प्रतिबंध और ट्रंप की धमकी से बेफिक्र भारत, चार टैंकर रूस से लाए लाखों बैरल यूराल ऑयल : रिपोर्ट
भारत ने साफ कर दिया है अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर किसी दबाव में नहीं आने वाला है. EU के प्रतिबंध और ट्रंप की धमकियों के बाद भी भारतीय कंपनियों ने रूस से ऑयल इम्पोर्ट जारी रखा है. पिछले सप्ताह में रूस से 4 तेल टैंकर भारत आए हैं.
Russian Oil Import to India: अमेरिकी और यूरोपीय दबाव के बावजूद भारत में रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति सामान्य रूप से जारी है. यूरोपीय संघ (EU) ने जहां रूसी कच्चे तेल को रिफाइन कर बनाए गए डीजल-पेट्रोल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
इन प्रतिबंधों के दायरे में भारत की नायरा एनर्जी और रिलायंस इंडस्ट्रीज भी शामिल हैं. पहले माना जा रहा था कि ट्रंप की तरफ से भारत पर रूस के साथ कारोबार करने के लिए कथित ‘पेनल्टी’ लगाने की घोषणा के बाद भारत तेल खरीद के पैटर्न में बदलाव कर सकता है.
लेकिन, रूस से क्रूड ऑयल की आपूर्ति सामान्य रूप से जारी है. Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह ही रूस से कम से कम चार टैंकरों में लाखों बैरल रूसी क्रूड भारतीय रिफाइनरियों में पहुंचा. इससे पता चलता है कि रूस से आने वाली सप्लाई में कोई रुकावट नहीं आई है.
दबाव पर भारत का रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते भारत को रूस के साथ व्यापार पर रोक लगाने के लिए कहा और ऐसा नहीं करने पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की धमकी दी थी. इसके अलावा ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का भी एलान किया. इसके बावजूद भारत की कंपनियों ने रूसी तेल आयात रोकने का इरादा जाहिर नहीं किया है.
कौन-कौन से टैंकर पहुंचे?
जहाज ट्रैकिंग डाटा के मुताबिक, अकिलीज, एलाइट और होरे नामक तीन अफ्रामैक्स टैंकरों ने सप्ताहांत में करीब 2.2 मिलियन बैरल उरल्स क्रूड निजी रिफाइनरियों नयारा एनर्जी लिमिटेड और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को डिलीवर किया. ये डिलीवरी मामूली देरी के बाद पूरी हुई. इसके अलावा, मिकाती नामक टैंकर ने 7.2 लाख बैरल वरांडे क्रूड की डिलीवरी की, जिसमें कोच्चि और मंगलौर स्थित रिफाइनरियों को सप्लाई शामिल थी. कोच्चि रिफाइनरी का स्वामित्व भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के पास है, जबकि मंगलौर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) का बहुमत हिस्सा ONGC के पास है.
टैंकर का नाम | लोडिंग पोर्ट | लैंडिंग पोर्ट | क्रूड ग्रेड | खरीदार |
Achilles | Primorsk (June 28) | Sikka (Aug. 2) | Urals (730,000) | Reliance |
Elyte | Ust Luga (June 28) | Sikka (Aug. 2) | Urals (717,000) | Reliance |
Horae | Ust Luga (July 1) | Vadinar (Aug. 2) | Urals (714,000) | Nayara |
Mikati | Murmansk (June 21) | Kochi (July 31), New Mangalore (Aug. 3) | Varandey (723,000) | BPCL, MRPL |
Minion | Ust Luga (June 24) | Sikka (Aug. 4) | Urals (715,000) | Reliance |
Destan | Primorsk (June 24) | Sikka (Aug. 5–10) | Urals (730,000) | Reliance |
Aldebaran | Primorsk (July 1) | Mundra (Aug. 4) | Urals (730,000) | Indian Oil, HPCL |
आगे भी जारी रहेगी आपूर्ति
शिपिंग डाटा से पता चलता है कि आने वाले दिनों में रूस से क्रूड की आपूर्ति लगातार जारी रहने वाली है. अगले कुछ दिनों में रिलायंस के मिनियन और डेस्टन टर्मिनल पर 22 लाख बैरल यूराल क्रूड उतरने को तैयार है. वहीं, अलडेबारन टैंकर मुंद्रा पोर्ट पर उतारने वाला है, जिसके तेल इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड (IOC) और HPCL-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL) ने खरीदा है.
रिलायंस-रोसनेफ्ट समझौता
रूस के यूराल क्रूड का रिलायंस भारत में सबसे बड़ा खरीदार है. उसका रूसी कंपनी रोसनेफ्ट PJSC के साथ लंबी अवधि का समझौता है. यह समझौता के तहत आने वाले कई वर्षों तक रिलायंस को रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति होनी है.
रूसी तेल क्यों अहम?
भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से रूस से मिलने वाला क्रूड बेहद अहम है. क्योंकि, यह डिस्काउंटेड प्राइस पर मिलता है. इससे भारत अपनी ऊर्जा जरूरतें कम लागत में पूरी कर पाता है. फिलहाल, भारत समुद्र के जरिये रूस से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा ग्राहक है.