ट्रंप टैरिफ का भारत पर असर, 1 साल में 43% घटेगा ट्रेड, सरकार से इस खास स्कीम को लागू करने की मांग क्यों!

अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ने की संभावना है. GTRI के अनुसार, भारत का अमेरिका को निर्यात वित्तीय वर्ष 2025 में 86.5 बिलियन डॉलर से घटकर 2026 में 60.6 बिलियन डॉलर हो सकता है. इससे कपड़ा, मैटेल, इंजीनियरिंग निर्यात, ज्वेलरी जैसे सेक्टर पर काफी असर दिखेगा. पढ़ें पूरी खबर.

Trump Tariffs Impact on Indian Economy Image Credit: Canva/ Money9

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर 25 फीसदी अतिरिक्त आयात शुल्क यानी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 7 अगस्त से प्रभावी होगा. इससे भारत के अमेरिका को निर्यात में 30 फीसदी की कमी आ सकती है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत का अमेरिका को निर्यात वित्त वर्ष 2025 में 86.5 बिलियन डॉलर से घटकर 2026 में 60.6 बिलियन डॉलर हो सकता है. यह भारत के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि भारत के लिए अमेरिका उसका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है.

किस सेक्टर पर पड़ेगा सबसे अधिक असर?

कपड़ा और गारमेंट इंडस्ट्री को भारी नुकसान होने की संभावना है. भारत के 2.7 बिलियन डॉलर के बुने हुए कपड़े पर अब 38.9 फीसदी और 2.7 बिलियन डॉलर के निटेड गारमेंट्स पर 35.3 फीसदी टैरिफ लगेगा. इससे वियतनाम, बांग्लादेश और कम्बोडिया जैसे देशों को फायदा होगा. इसके अलावा, तौलिये और बेडशीट जैसे 3 बिलियन डॉलर के टेक्सटाइल उत्पादों पर 34 फीसदी टैरिफ लगेगा.

भारत के 2 बिलियन डॉलर के shrimp (दस पैर का समुद्री केकड़ा) निर्यात, जो वैश्विक आपूर्ति का 32 फीसदी है, पर 25 फीसदी टैरिफ लगेगा. इससे कनाडा और चिली जैसे देशों को फायदा होगा. ज्वेलरी एक्सपोर्ट, जो 10 बिलियन डॉलर का है, पर 27.1 फीसदी टैरिफ लगेगा. विशेष रूप से 3.6 बिलियन डॉलर के मैकेनिकल गोल्ड ज्वेलरी को भारी नुकसान होगा. हीरे के 4.9 बिलियन डॉलर के निर्यात भी प्रभावित होंगे.

मेटल एक्सपोर्ट (4.7 बिलियन डॉलर) जैसे स्टील, एल्यूमीनियम और तांबा, और इंजीनियरिंग गुड्स निर्यात (6.7 बिलियन डॉलर मशीनरी और 2.6 बिलियन डॉलर ऑटो पार्ट्स) पर 26 फीसदी से अधिक टैरिफ लगेगा. यह मेक्सिको और जापान जैसे देशों की तुलना में भारत को महंगा बनाएगा.

सरकार के लिए सुझाव

GTRI ने सरकार को सुझाव दिया है कि इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम को फिर से शुरू करें, एक हेल्पडेस्क बनाएं, और व्यापार समझौतों का स्ट्रैटेजिक उपयोग करें. इसके अलावा, नए निर्यातकों को शामिल करने और MSME को सस्ता लोन देने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के बजट की सिफारिश की गई है.

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क्या है इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम?

इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम भारत सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य निर्यातकों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सस्ता लोन उपलब्ध कराना है. इस योजना के तहत, सरकार निर्यातकों को बैंक लोन पर ब्याज में सब्सिडी देती है, ताकि उनकी उधार लेने की लागत कम हो. इससे भारतीय उत्पादों की कीमत दुनिया के बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनी रहती है. इस योजना का मुख्य लक्ष्य एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना और भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करना है.

GTRI के अनुसार, इस योजना को पिछले साल बंद कर दिया गया था, लेकिन अब इसे फिर से शुरू करने की सिफारिश की गई है, जिसमें 15,000 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के साथ पांच साल की अवधि के लिए निर्यातकों को राहत देने का सुझाव है.

किन देशों पर कितना है टैरिफ?

वैश्विक बाजार में भारत के कंंपटिटर पर अमेरिका ने भारत से कम टैरिफ लगाया है, इससे भारत को और भी अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. वियतनाम पर 20 फीसदी, बांग्लादेश पर 18 फीसदी, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस पर 19 फीसदी और जापान और साउथ कोरिया पर 15 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. हालांकि भारत के लिए राहत की बात ये है कि चीन पर ट्रंप प्रशासन ने 30 फीसदी टैरिफ लगाया है जो भारत के 25 फीसदी से अधिक है.