Rupee vs Dollar: ट्रंप के टैरिफ ने बढ़ाया रुपये पर दबाव, 52 पैसे कमजोरी के साथ 87.70 पर हुआ बंद

हर रोज बदलते ट्रंप के टैरिफ एलानों की वजह से वैश्विक व्यापार में उपजी अनिश्चितता, क्रूड आयात के लिए बढ़ती डॉलर की बढ़ती मांग और FII के आउटफ्लो की वजह से रुपया दबाव में है. हालांकि, क्रूड की कीमत में गिरावट और डॉलर इंडेक्स में कमजोरी की वजह से रुपये को निचले लेवल से सपोर्ट भी मिला है.

डॉलर बनाम रुपया Image Credit: freepik

INR vs UDS: भारतीय रुपये और डॉलर के कारोबार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 52 पैसे कमजोर होकर 87.70 के स्तर पर बंद हुआ. फॉरेक्स ट्रेडर्स का मानना है कि एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से रोज बदलते टैरिफ एलानों से वैश्विक व्यापार में अनिश्चिता का माहौल बन गया है. इसके अलावा FII की तरफ से भारत से लगातार आउटफ्लो जारी है. इन सबके साथ क्रूड के आयात के लिए डॉलर की बढ़ती मांग ने रुपये पर दबाव बनाया है. फॉरेक्स ट्रेडर्स के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) की तरफ से क्रूड के आयात के लिए डॉलर की मांग बढ़ी है. इसके पीछे EU के रूसी तेल पर लगाए गए प्रतिबंध भी हो सकते हैं.

कैसा रहा रुपये का कारोबार?

इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज पर PTI की रिपोर्ट के मुताबिक करेंसी मार्केट में रुपये और डॉलर के कारोबार में सोमवार को रुपया 87.21 प्रति डॉलर पर खुला और 52 पैसे की कमजोरी के साथ 87.70 के स्तर पर बंद हुआ. इससे पहले शुक्रवार को रुपया 47 पैसे मजबूत होकर 87.18 पर बंद हुआ था.

निचले स्तर से मिला सपोर्ट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा ने रुपये को लेकर निवेशकों में संदेह पैदा किया है. हालांकि, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में हुई 0.37% की गिरावट के चलते यह 98.77 पर आ गया. यह गिरावट अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर आंकड़ों की वजह से आई है. खासकर जुलाई 2025 के नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट में उम्मीद से कम नौकरियों की वृद्धि के कारण हुई. जुलाई में अमेरिका में केवल 74,000 नौकरियां जुड़ीं, जबकि अनुमान 1.06 लाख था. इन वजहों से रुपये को निचले स्तर से सपोर्ट भी मिला है.

RBI पॉलिसी मीटिंग पर टिकी निगाहें

इस सप्ताह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक चल रही है. तीन दिवसीय बैठक सोमवार को शुरू हुई है. 6 अगस्त को इस बैठक के नतीजों का एलान होगा. खासतौर पर निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दर में कटौती की जा सकती है. इसे लेकर मिराए एसेट शेयरखान के कमोडिटीज और करेंसी रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि रुपये पर दबाव बना रहेगा. हालांकि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद रुपये को निचले स्तरों पर सपोर्ट दे सकती है.”

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से राहत

ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 1.06% गिरकर 68.93 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. इसके अलावा ओपेक+ ने सितंबर में उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है, जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के ठंडे पड़ने की चिंता भी बनी हुई है. इस तरह कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारतीय करेंसी के लिए राहत का संकेत दे रही है.

बाजार में तेजी का नहीं दिखा असर

सोमवार को घरेलू शेयर बाजार में तेजी रही. बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 418.81 अंक चढ़कर 81,018.72 पर और निफ्टी 157.40 अंक बढ़कर 24,722.75 पर बंद हुआ. हालांकि, इस तेजी का असर रुपये पर नहीं देखने को मिला. इससे पहले शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 3,366.40 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ा.

क्या है आगे का अनुमान?

एनालिस्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में रुपया ग्लोबल संकेतों, RBI नीति और विदेशी निवेशकों के रुझान के आधार पर दिशा तय करेगा.