ईरान से तेल कारोबार पर अमेरिका की सख्ती, 50 कंपनियों पर पाबंदी; कई भारतीय कंपनियों पर भी कसा शिकंजा

अमेरिका ने ईरान के एनर्जी ट्रेड पर प्रहार करते हुए 50 से अधिक व्यक्तियों, कंपनियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन पर अरबों डॉलर के ईरानी तेल और LPG एक्सपोर्ट में शामिल होने का आरोप है. कुछ भारतीय कंपनियां और नागरिक भी इस कार्रवाई की जद में आए हैं. यह कदम अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है.

अमेरिका ने ईरान के एनर्जी ट्रेड वाले कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. Image Credit: CANVA

US Sanctions Iran Oil Trade: अमेरिका ने ईरान की एनर्जी ट्रेड से होने वाली इनकम को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को 50 से अधिक व्यक्तियों, कंपनियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. इनमें कुछ भारतीय कंपनियां और नागरिक भी शामिल हैं जिन पर ईरान से तेल और LPG व्यापार में शामिल होने का आरोप है. यह कदम अमेरिकी दबाव अभियान का हिस्सा है जिसका मकसद ईरान की इनकम को सीमित करना और आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग को रोकना है.

अमेरिकी ट्रेजरी ने लगाई पाबंदी

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि जिन संस्थाओं और व्यक्तियों पर पाबंदी लगाई गई है उन्होंने सामूहिक रूप से अरबों डॉलर के ईरानी पेट्रोलियम और उत्पादों के निर्यात में मदद की. ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह कदम ईरान के ऊर्जा निर्यात नेटवर्क को कमजोर कर उसकी वित्तीय आपूर्ति को तोड़ने के लिए उठाया गया है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में यह प्रशासन आतंकवादी संगठनों को मिलने वाली फंडिंग को बाधित कर रहा है.

जांच में घेरे में भारतीय कंपनियां

अमेरिका ने बताया कि मार्शल आइलैंड स्थित बर्था शिपिंग, जो भारतीय नागरिक वरुण पुला की है, इसने जुलाई 2024 से चीन को करीब 40 लाख बैरल ईरानी LPG पहुंचाई है. इसी तरह इविए लाइन्स इंक, जो भारतीय नागरिक अय्यपन राजा की है, इसने पनामा झंडा लगे जहाज के जरिए चीन को दस लाख बैरल से अधिक LPG पहुंचाई. वहीं भारत की वेगा स्टार शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जो सोनिया श्रेष्ठा की स्वामित्व वाली है, इसने पाकिस्तान को ईरानी LPG भेजी.

पहले भी भारतीय फर्मों पर हो चुकी कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी सरकार ने भारतीय कंपनियों पर कार्रवाई की है. इससे पहले इस वर्ष छह भारतीय कंपनियों पर भी ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट के व्यापार में शामिल होने का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाए गए थे. अमेरिका लगातार ईरान के तेल व्यापार नेटवर्क को निशाना बना रहा है ताकि उसकी आर्थिक ताकत को कम किया जा सके.

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अमेरिकी दबाव अभियान का हिस्सा

यह प्रतिबंध अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत 2018 में परमाणु समझौते से बाहर निकलने के बाद ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र पर दबाव बढ़ाया जा रहा है. वाशिंगटन का कहना है कि ईरान की तेल बिक्री से उसे आतंकवादी संगठनों को फंडिंग में मदद मिलती है इसलिए इन रास्तों को बंद करना जरूरी है.

भारत ने 2019 के बाद रोका था इंपोर्ट

भारत ने आधिकारिक रूप से 2019 के बाद ईरान से तेल इंपोर्ट बंद कर दिया था लेकिन छोटे स्तर पर मध्यस्थों के जरिए कारोबार जारी रहने की रिपोर्टें सामने आती रही हैं. अमेरिका ने अब इस तरह के नेटवर्क को भी निशाने पर लिया है ताकि कोई भी इनडायरेक्ट रास्ता खुला न रहे. नई पाबंदियों में यूएई, हांगकांग, पनामा, चीन और मार्शल आइलैंड की कंपनियां और जहाज भी शामिल हैं.

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