डबल डिस्काउंट! ट्रंप के दबाव के बावजूद भारत बढ़ाएगा रूस से तेल की खरीद, भारी छूट के बीच रिफाइनरियां बना रहीं प्लान

Russian Crude Import: अगस्त में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों के अमेरिकी आयात पर 50 फीसदी टैरिफ की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य नई दिल्ली की रूसी तेल खरीद को कम करना था. अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल का आयात लगभग 17 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है.

भारत बढ़ाएगा रूस के क्रूड ऑयल का इंपोर्ट. Image Credit: AI

Russian Crude Import: भारत आने वाले महीनों में रूसी कच्चे तेल के आयात को बढ़ाने के लिए तैयार है. भारत ऐसे समय में यह कदम उठा रहा है, जब अमेरिका ने रूसी तेल व्यापार के लिए उस पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. भारतीय रिफाइनर आने वाले महीनों में रूसी तेल आयात बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जबकि अमेरिका के साथ व्यापार पर चर्चा चल रही है. दूसरी तरफ पर्याप्त सप्लाई उपलब्धता के बीच रूस द्वारा व्यापक छूट की पेशकश की जा रही है.

अपने रुख पर कायम है भारत

अगस्त में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों के अमेरिकी आयात पर 50 फीसदी टैरिफ की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य नई दिल्ली की रूसी तेल खरीद को कम करना था. जबकि चीन के खिलाफ इसी तरह के उपायों से बचना था, जो एक अन्य महत्वपूर्ण उपभोक्ता है.

भारत ने अपना रुख बनाए रखा कि रूस से तेल की खरीद प्राइस बेस्ड है और यह आगे भी जारी रहेगी. लेकिन अमेरिका के साथ चल रही बातचीत के दौरान अतिरिक्त अमेरिकी एनर्जी की खरीद में रुची व्यक्त की गई है. ये दरें जुलाई से अगस्त तक की लगभग 1 डॉलर प्रति बैरल की छूट की तुलना में अधिक अनुकूल हैं.

17 लाख बैरल तक पहुंच सकता है आंकड़ा

TOI ने केप्लर लिमिटेड के आंकड़ों के हवाले से बतया कि अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल का आयात लगभग 17 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है. यह पिछले महीने की तुलना में 6 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है, जबकि पिछले वर्ष के स्तर से थोड़ा कम है. भारतीय रिफाइनर रूसी तेल खरीद बढ़ा रहे हैं.

अन्य देशों से भी शुरू हो गई बातचीत

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के साथ चल रही बातचीत को देखते हुए, भारतीय रिफाइनरों का रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद पर भविष्य का रुख अनिश्चित बना हुआ है. अमेरिका द्वारा रूसी तेल आयात रोकने पर जोर दिए जाने के बावजूद, भारतीय अधिकारियों ने पिछले महीने हुई बैठकों को ‘रचनात्मक’ बताया था. इसी समय, भारत में सरकारी स्वामित्व वाले प्रोसेसर्स ने 2026 के लिए टर्म एग्रीमेंट के संबंध में मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी राष्ट्रीय तेल कंपनियों के साथ चर्चा शुरू कर दी है.

सूत्रों ने संकेत दिया कि रिफाइनर उन सप्लायर से बढ़ी हुई मात्रा प्राप्त करने का लक्ष्य रखते हैं जो फ्लेक्सिबिलटी प्रदान करते हैं, जिसमें रूसी इंपोर्ट अधिक व्यवहार्य हो जाए तो कार्गो व्यवस्था को फिर बेचने या अनुकूलित करने के विकल्प भी शामिल होंगे.

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