RBI के डिप्टी गवर्नर रबी शंकर ने कहा, बलकॉइन्स हैं रिस्की, इन कोई मकसद नहीं है… रहें सावधान
U.S. द्वारा डॉलर-पेग्ड क्रिप्टोकरेंसी टोकन के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने के लिए कानून पास करने के बाद स्टेबलकॉइन्स को दुनिया भर में पहचान मिली, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी और ऐसे टोकन का ग्लोबल मार्केट कैप 300 अरब डॉलर से ऊपर चला गया.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत को स्टेबलकॉइन्स को लेकर सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि वे बड़ा मैक्रोइकोनॉमिक रिस्क पैदा करते हैं. जबकि फिएट मनी का कोई मकसद नहीं है. दरअसल, U.S. द्वारा डॉलर-पेग्ड क्रिप्टोकरेंसी टोकन के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने के लिए कानून पास करने के बाद स्टेबलकॉइन्स को दुनिया भर में पहचान मिली, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी और ऐसे टोकन का ग्लोबल मार्केट कैप 300 अरब डॉलर से ऊपर चला गया.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए काननू
भारत ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कानून बनाने में जापान और यूरोपियन यूनियन समेत बड़ी ग्लोबल और रीजनल इकॉनमी से अलग राय रखी है, क्योंकि उसे डर है कि डिजिटल एसेट्स को अपने मेनस्ट्रीम फाइनेंशियल सिस्टम में लाने से सिस्टमिक रिस्क बढ़ सकते हैं.
किस बात की है चिंता?
शंकर ने मुंबई में एक भाषण में कहा, ‘गैर-कानूनी पेमेंट की सुविधा और कैपिटल उपायों से बचने के अलावा, स्टेबलकॉइन मॉनेटरी स्टेबिलिटी, फिस्कल पॉलिसी, बैंकिंग इंटरमीडिएशन और सिस्टमिक लचीलेपन के लिए बड़ी चिंताएं पैदा करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘स्टेबलकॉइन्स का कोई ऐसा मकसद नहीं है जो फिएट मनी का नहीं हो सकता.’
उन्होंने कहा कि ऐसे टोकन अभी तक उन फायदों को साबित नहीं कर पाए हैं, जिनका उनके समर्थक दावा करते हैं और वे फिएट मनी से कमतर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत इन इनोवेशन को सावधानी से अपनाता रहेगा.
क्रिप्टो का रेगुलेशन
अभी क्रिप्टो एक्सचेंज भारत में काम कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें एक सरकारी एजेंसी के साथ लोकल लेवल पर रजिस्टर करना होगा, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के खतरों को चेक करने के लिए ड्यू डिलिजेंस का काम सौंपा गया है. क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर टैक्स लगाया जाता है. रेगुलेटरी सावधानी के बावजूद भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग पॉपुलर हो गई है, क्रिप्टो एक्सचेंजों ने बड़े शहरी सेंटर्स के बाहर के यूजर्स की बढ़ती हिस्सेदारी की ओर इशारा किया है.
डिजिटल करेंसी के पक्ष में तर्क
शंकर ने अपने भाषण में कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसी की कोई अंदरूनी वैल्यू नहीं होती. क्योंकि उनमें कोई अंदरूनी कैश फ्लो नहीं होता, इसलिए वे फाइनेंशियल एसेट भी नहीं हैं. उन्होंने सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी के पक्ष में तर्क दिया. शंकर ने कहा, ‘CBDC असल में स्टेबलकॉइन से बेहतर हैं.’
भारत अभी अपने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के लिए एक रिटेल और होलसेल पायलट चला रहा है, जिसके लगभग 7 मिलियन यूजर हैं. जब पूछा गया कि सेंट्रल बैंक और सरकार क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग पर पूरी तरह से रोक क्यों नहीं लगाते, तो शंकर ने कहा कि अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स की राय को ध्यान में रखना होगा.
उन्होंने कहा, ‘इस पर विचार किया जा रहा है और फैसला लिया जाएगा. हम सभी को उस फैसले के आधार पर अपने तरीके और काम फाइनल करने होंगे.