इंडिगो खटखटाया HC का दरवाजा, री-इम्पोर्टेड पार्ट्स के लिए IGST पर कस्टम से 900 करोड़ का रिफंड का मामला
यह पिटीशन ऐसे समय में आई है जब पायलट की कमी की वजह से एक हफ्ते तक फ्लाइट्स में भारी रुकावट के बाद इंडिगो की रेगुलेटरी जांच अपने पीक पर है. यह कदम मार्च में दिए गए दिल्ली हाई कोर्ट के एक बड़े फैसले के बाद उठाया गया है.
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो को चलाने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कस्टम डिपार्टमेंट से लगभग 900 करोड़ रुपये वसूलने के लिए एक पिटीशन फाइल की. यह रकम इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (IGST) और विदेश में मेंटेनेंस के बाद भारत में दोबारा इंपोर्ट किए गए एयरक्राफ्ट पार्ट्स के रिपेयर खर्च पर दिए गए सेस से जुड़ी है. यह कदम मार्च में दिए गए दिल्ली हाई कोर्ट के एक बड़े फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें विदेश से मेंटेनेंस के बाद दोबारा इंपोर्ट किए गए सामान के रिपेयर हिस्से पर IGST और सेस लगाने को गैर-कानूनी बताया गया था.
टैक्स लगाने की मांग
इन फैसलों ने 2021 के कस्टम छूट नोटिफिकेशन के कुछ हिस्सों को रद्द कर दिया, जिसमें दोबारा इंपोर्ट पर रिपेयर वैल्यू पर टैक्स लगाने की मांग की गई थी. इंडिगो की नई याचिका शुक्रवार को जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और शैल जैन की डिवीजन बेंच के सामने आई. लेकिन, जस्टिस शैल जैन के खुद को इससे अलग करने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा, उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका बेटा इंडिगो में पायलट है. चीफ जस्टिस के आदेश के मुताबिक, अब यह मामला दूसरी बेंच के सामने रखा जाएगा.
क्या है मामला?
इंडिगो ने उस कोर्ट के सामने दलील दी कि पहले लगाई गई लेवी डबल टैक्सेशन के बराबर थी. एयरलाइन ने कहा कि जब एयरक्राफ्ट के इंजन और पार्ट्स रिपेयर के लिए विदेश भेजे जाते हैं, तो ओनरशिप कैरियर के पास रहती है, जिससे यह ट्रांजेक्शन सामान के बजाय सर्विस की सप्लाई बन जाता है. दोबारा इंपोर्ट करने पर इंडिगो बिना किसी विवाद के बेसिक कस्टम ड्यूटी देती है और रिपेयर सर्विस पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत GST भी नहीं देती है. एयरलाइन ने कहा कि इसके बावजूद, कस्टम अधिकारियों ने रिपेयर वैल्यू पर फिर से IGST और सेस लगा दिया, जिससे असल में एक ही एक्टिविटी पर दो बार टैक्स लग गया.
मार्च में, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 2021 की अधिसूचना के संबंधित हिस्से को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पुनः आयातित, मरम्मत किए गए सामान सेवाओं का आयात हैं, गुड्स का नहीं.
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इंपोर्टेड सर्विसेज़ पर IGST सिर्फ IGST एक्ट के सेक्शन 5(1) के तहत लगाया जा सकता है, कस्टम्स नोटिफिकेशन के जरिए नहीं. कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस स्टैंड को भी खारिज कर दिया कि 2021 के अमेंडमेंट सिर्फ क्लैरिफिकेशनल थे, इसके बजाय उन्होंने कहा कि उन्होंने बिना इजाजत टैक्स बेस को बढ़ाया है.
फैसले के बाद, इंडिगो को विरोध के तौर पर चुकाए गए IGST और सेस का रिफंड मांगने का हक मिल गया, जो लगभग 900 करोड़ रुपये था , जिसके बाद यह नई पिटीशन दायर की गई.
पीक पर रेगुलेटरी जांच
यह पिटीशन ऐसे समय में आई है जब पायलट की कमी की वजह से एक हफ्ते तक फ्लाइट्स में भारी रुकावट के बाद इंडिगो की रेगुलेटरी जांच अपने पीक पर है. इस घटना ने भारत के एविएशन इकोसिस्टम को हिलाकर रख दिया था, क्योंकि इंडिगो का 60% डोमेस्टिक मार्केट शेयर है और कई खास रूट्स पर इसका दबदबा है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन (DGCA) ने पहले ही इंडिगो की कैपेसिटी 10% तक लिमिट कर दी है, एक नोटिस जारी किया है और जांच शुरू कर दी है.
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