बैंक मर्जर के बाद कस्टमर के अकाउंट का क्या होता है, बदल जाती हैं ये सर्विसेज, करना होता है ये काम

सरकार मेगा मर्जर 2.0 के तहत IOB, CBI, BOI और BoM जैसे बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाने की तैयारी में है. ग्राहकों को अकाउंट नंबर, IFSC कोड, कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग से जुड़ी जानकारी अपडेट करनी होगी. मर्जर के बाद ब्याज दरें और पुराने चार्जेज तुरंत नहीं बदलेंगे, लेकिन समय के साथ नए नियम लागू होंगे.

बैंक मर्जर Image Credit: एआई

सरकार एक बार फिर बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने और कंपटेटिव लायक बनाने के लिए बैंकों की री-स्ट्रक्चरिंग यानी ढांचे में बदलाव पर काम कर रही है. नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर मेगा मर्जर 2.0 की योजना पर विचार चल रहा है. इसके तहत सरकार इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) को बड़े बैंकों में मिलाने की तैयारी में है.

ऐसे में अगर आपका खाता इनमें से किसी बैंक में है, तो आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि मर्जर के बाद हमें क्या करना पड़ेगा?. आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि बैंक मर्जर का ग्राहकों पर क्या असर पड़ता है और उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

बैंक मर्जर का मतलब क्या है?

जब दो या दो से ज्यादा बैंक आपस में मिल जाते हैं, तो उसे बैंक मर्जर कहा जाता है. इसका मकसद बैंकिंग सेवाओं को बेहतर बनाना, लागत घटाना और ग्राहकों को एक बड़े नेटवर्क के जरिए ज्यादा सुविधाएं देना होता है. लेकिन इसका असर ग्राहकों के अकाउंट, कार्ड, यूपीआई आईडी, IFSC कोड और ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम पर पड़ सकता है.

बैंक मर्जर के बाद ग्राहकों के लिए क्या बदल सकता है?

ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

जानकारी अपडेट करें: सुनिश्चित करें कि बैंक के पास आपका नया मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी अपडेट है, ताकि जरूरी नोटिफिकेशन आप तक समय पर पहुंचें.
नई बैंकिंग जानकारी संभालकर रखें: अपने सभी बैंक अकाउंट्स की जानकारी का लिखित रिकॉर्ड रखें. जैसे नया IFSC कोड, कस्टमर आईडी और कार्ड नंबर.
नई चेकबुक और कार्ड ऑर्डर करें: जैसे ही मर्जर पूरा हो जाए, तुरंत नई चेकबुक और कार्ड के लिए आवेदन करें.
ऑटो-पेमेंट अपडेट करें: अपने म्यूचुअल फंड, लोन EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम, बिजली या मोबाइल बिल ऑटो-पेमेंट में नई बैंक डिटेल्स दर्ज करें.

नई सर्विस और चार्जेज पर ध्यान दें

मर्जर के बाद नया बैंक कुछ समय तक पुराने बैंक के न्यूनतम बैलेंस और चार्जेज वही रखेगा, लेकिन बाद में इन्हें बदल सकता है. इसलिए ग्राहकों को नए बैंक की फीस, ब्याज दर और सर्विस रूल्स अच्छी तरह समझ लेने चाहिए. हालांकि मर्जर के तुरंत बाद ब्याज दरें या चार्जेज नहीं बदलते, लेकिन कुछ समय बाद नया बैंक अपनी नीतियों के हिसाब से इन्हें अपडेट कर सकता है.

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