जस्टिस सूर्य कांत 53वें CJI नियुक्त, 24 नवंबर को लेंगे शपथ; आर्टिकल 370 और OROP जैसे फैसले हैं पहचान
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत को भारत का 53वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया गया है. जस्टिस सूर्य कांत को Article 370, OROP, राजद्रोह और पेगासस जैसे अहम मामलों दिए गए फैसलों के लिए जाना जाता है. वे 2 साल से ज्यादा समय तक पद पर रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया गया है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक वे 24 नवंबर को पदभार ग्रहण करेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे. कानून मंत्रालय ने गुरुवार को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है.
हिसार से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को जन्मे जस्टिस सूर्यकांत ने एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी तक पहुंच बनाई है. उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से LLM में फर्स्ट क्लास फर्स्ट रैंक हासिल की. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में उल्लेखनीय फैसलों के बाद वे अक्टूबर 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत हुए.
कई ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस सूर्यकांत उन बेंचों का हिस्सा रहे हैं] जिन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए. मसलन, आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के फैसले में शामिल रहे. OROP स्कीम के तहत रक्षा बलों के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया. औपनिवेशिक काल के सेडिशन लॉ को रोकने का आदेश दिया और कहा कि सरकार इसकी समीक्षा करे. इसके अलावा पेगासस मामले की सुनवाई में भी शामिल रहे. उनका भ्रष्टाचार पर सख्त रुख रहा है. बैंक–डेवलपर गठजोड़ के 28 मामलों की सीबीआई जांच के आदेश देते हुए उन्होंने, भ्रष्टाचार को ‘सामाजिक खतरा’ बताया.
लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की मर्यादा पर स्पष्ट दृष्टिकोण
उन्होंने कई मामलों में कहा कि “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाजिक मर्यादाओं से परे नहीं है.” उनकी बेंच ने कॉमेडी शो में दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाने वालों पर सख्ती दिखाई और ऑनलाइन कंटेंट के नियमन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा.
लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने पर जोर
बिहार में मतदाता सूची संशोधन मामले में उन्होंने चुनाव आयोग से 65 लाख हटाए गए वोटरों का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करने को कहा. इसके साथ ही एक महिला सरपंच को अवैध रूप से हटाए जाने के मामले में उन्हें बहाल कर “जेंडर जस्टिस” की मिसाल पेश की थी.
सीजेआई के रूप में रहेगा लंबा कार्यकाल
करीब 15 महीने के कार्यकाल में उनसे संवैधानिक और प्रशासनिक सुधारों को लेकर कई अहम फैसलों की उम्मीद है. जस्टिस सूर्यकांत अब तक सुप्रीम कोर्ट की 300 से अधिक बेंचों में शामिल रह चुके हैं.
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