PSB Merger: कब तक होगा सरकारी बैंकों का ‘मेगा मर्जर’, जानें क्या हो सकती है टाइमलाइन

सरकारी बैंकों का मेगा मर्जर होने वाला है. इस मामले में जल्द ही कैबिनेट के स्तर पर चर्चा होने वाली है. नीति आयोग और रिजर्व बैंक जैसे निकायों ने भी सरकार को बैंकों के मर्जर की सलाह दी है, ताकि छोटे-छोटें बैंकों के सामने आने वाले जोखिम कम हों और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलें.

मेगा बैंक मर्जर Image Credit: money9live/CanvaAI

पिछले 10 साल में केंद्र सरकार ने पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) के कंसोलिडेशन का अभियान चलाया है. इसके तहत 2017 से अब तक सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटाकर 12 कर दी गई है. अब सरकार इस संख्या को और घटाने की तैयारी कर रही है. नीति आयोग की तरफ से सुझाए गए प्लान के मुताबिक मौजूदा 12 सरकारी बैंकों को मर्जर और प्राइवेटाइजेशन के जरिये 4 तक घटाया जा सकता है.

इस प्लान के तहत इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को PNB, BoB और SBI जैसे बैंकों में मिलाने की योजना है. वहीं, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के मर्जर से देश का दूसरा सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक बनाने की योजना है.

कब तक होगा मर्जर?

नीति आयोग की सिफारिशाें के मुताबिक सरकारी बैंकों को ग्लोबल कंपटीशन के हिसाब से तैयार करने की जरूरत है. इसके लिए यह जरूरी है कि छोटे-छोटे बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाए जाएं. फिलहाल, इस मामले में सरकार की तरफ से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक FY27 तक फाइनल रोडमैप तैयार हो सकता है.

क्या होगी टाइमलाइन?

इस ‘मेगा मर्जर’ प्लान पर चर्चा का पहला दौर कैबिनेट स्तर पर होगा. इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) इसकी समीक्षा करेगा. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस पूरी प्रक्रिया को FY27 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि सभी संबंधित पक्षों से राय-मशविरा कर सहमति बनाई जा सके. फिलहाल सरकार किसी भी औपचारिक ऐलान से पहले आंतरिक सहमति पर जोर दे रही है.

किन बैंकों के मर्जर की तैयारी?

रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) को क्रमश: पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसे बड़े बैंकों में मिलाने की योजना है. यानी छोटे सरकारी बैंकों को तीन बड़े बैंकों में समाहित करने का खाका तैयार किया गया है. इन कदमों का मकसद था मजबूत, बेहतर पूंजी वाले बैंक बनाना है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें.

क्यों जरूरी है मर्जर?

तेजी से बढ़ती फिनटेक कंपनियों और प्राइवेट बैंकों की प्रतिस्पर्धा के बीच सरकार चाहती है कि सरकारी बैंकों की स्थिति और मजबूत बने. निति आयोग पहले ही सुझाव दे चुका है कि सरकार को सिर्फ 3-4 बड़े बैंक जैसे SBI, PNB, BoB और केनरा बैंक को बरकरार रखना चाहिए और बाकी में या तो प्राइवेट निवेश बढ़ाना चाहिए या उन्हें मर्ज करना चाहिए.

रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन तैयार

रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इस मसले पर तमाम बैंकों और पक्षकारों के बीच हुई बातचीत का रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन भी तैयार हो चुका है. इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा. इसके बाद औपचारिक निर्णय और मंजूरियां दी जाती हैं.