ट्रंप-जिनपिंग की मुलाकात से रेयर अर्थ पर दुनिया को राहत, चीन ने एक साल के लिए स्थगित किए प्रतिबंध

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स पर लगाई गई निर्यात पाबंदियों को एक साल के लिए स्थगित कर दिया है. चीन के इस फैसले से पूरी दुनिया को राहत मिलेगी, क्योंकि रेयर अर्थ मिनरल्स का इस्तेमाल ग्लोबल टेक व डिफेंस इंडस्ट्री में होता है.

रेयर अर्थ Image Credit: money9live/CanvaAI

चीन ने गुरुवार को ऐलान किया कि इस साल अप्रैल में लागू किए गए रेयर अर्थ निर्यात प्रतिबंधों को 1 साल के लिए स्थगित कर दिया गया है. चीन की तरफ से यह ऐलान दक्षिण कोरिया के बुसान में चीनी और अमेरिकी राष्ट्रपतियों के बीच हुई बैठक के बाद आया है.

चीन ने क्या कहा?

इस संबंध में चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “निर्यात नियंत्रण उपायों को एक साल के लिए रोक दिया गया है. इस अवधि में सरकार इन नियमों का अध्ययन कर उन्हें और बेहतर बनाएगी.” यह कदम ऐसे समय में आया है, जब चीन की रेयर अर्थ इंडस्ट्री सरकार के सख्त नियंत्रण में है.

अप्रैल के बाद अक्टूबर में बढ़ाया दायरा

चीन ने सबसे पहले इस साल अप्रैल में 7 अहम रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स के निर्यात पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं. वहीं, इसी महीने की शुरुआत में 9 अक्टूबर को चीन ने प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया था. इसके तहत 17 रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) के निर्यात पर कड़ी पाबंदियां लगाने की बात कही गई थी.

कहां-कहां होता है इस्तेमाल?

इन REEs का इस्तेमाल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), विंड टर्बाइन और रक्षा उपकरणों में अहम होता है. इसके अलावा इनका इस्तेमाल EV बैटरी, मिसाइल सिस्टम, जेट इंजन और मैग्नेटिक चिप्स तक में होता है.

क्यों चीन इतना अहम?

चीन इन REEs के वैश्विक उत्पादन में करीब 60-70% हिस्सेदारी रखता है और प्रोसेसिंग क्षमता में तो उसका दबदबा 85% से ज्यादा है. ऐसे में चीन की किसी भी नीति का असर सीधे ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ता है. 9 अक्टूबर को जब चीन ने REEs और उनसे संबंधित वस्तुओं के निर्यात पर नियंत्रण लगाने का ऐलान किया, पूरी दुनिया पर इसका असर हुआ. चीन ने यह फैसला असल में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की तरफ से चीन को चिप मैन्युफैक्चरिंग मैटेरियल्स और अन्य संवेदनशील टेक्नोलॉजी देने पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद किया था.

दुनिया हिलाने वाला फैसला

विशेषज्ञों के मुताबिक चीन का यह फैसला असल में अमेरिकी फैसले के खिलाफ एक काउंटर-मूव था, ताकि वह अमेरिका पर दबाव बना सके. लेकिन, इन पाबंदियों ने जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका और यूरोप की इंडस्ट्रीज में चिंता बढ़ा दी थी, क्योंकि इन देशों की EV और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग काफी हद तक चीन की रेयर अर्थ सप्लाई पर निर्भर है.

अब फैसले का क्या मतलब है?

अब चीन का इन नियंत्रणों को एक साल के लिए निलंबित करना इस दिशा में एक कूलिंग ऑफ मूव माना जा रहा है. अमेरिकी टैरिफ और चिप टेक पर अमेरिकी नीतियों के मुताबिक चीन अपनी नीतियों को फिर से बदल सकता है. फिलहाल, इस फैसले से ग्लोबल टेक, ग्रीन एनर्जी और डिफेंस इंडस्ट्री को फिलहाल राहत मिली है. हालांकि, यह भी साफ है कि चीन इस सेक्टर पर अपना रणनीतिक नियंत्रण बनाए रखेगा.