कहां बनते हैं lenskart के चश्मे, हर साल कितने बनाती है फ्रेम, जानें किसका था आइडिया
आईवियर कंपनी लेंसकार्ट जल्द ही तेलंगाना में अपना एक और प्लांट शुरू करने वाली है. इसके लिए कंपनी 1500 करोड़ रुपये इंवेस्ट कर रही है, तो क्या होगी इसकी खासियत और लेंसकार्ट की किसने रखी नींव आइए जानते हैं.

चश्मा बनाने वाली कंपनी Lenskart ने बोरिंग आईवियर को नए-नए डिजाइन में पेश करके इसे लोगों के लिए एक स्टेटमेंट सिंबल बना दिया है. अब लोग इसे फैशन वियर की तरह भी इस्तेमाल करते हैं. आईवियर इंडस्ट्री में तेजी से आगे बढ़ने वाली लेंसकार्ट जल्द ही अपना विस्तार करने वाली है. लेंसकार्ट तेलंगाना में दुनिया की सबसे बड़ी आईवियर मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री बनाने जा रही है. इसके लिए कंपनी 1,500 करोड़ रुपए निवेश कर रही है. माना जा रहा है कि इस प्लांट से लगभग 2100 नौकरियां पैदा होंगी. तो कैसे हुई Lenskart की शुरुआत, किन चीजों ने बनाया इसे लोगों का फेवरेट और कंपनी के क्या हैं आगे के प्लान, यहां चेक करें पूरी डिटेल.
कहां बनते हैं Lenskart के चश्मे?
लेंसकार्ट के देश में कई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है. कंपनी ने राजस्थान के भिवाड़ी में दुनिया की पहली ऑटोमेटिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की थी. इसके अलावा दिल्ली, गुरुग्राम और चीन के झेंगझोऊ में भी इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं. कंपनी जल्द ही तेलंगाना में एक और प्लांट लगाने जा रही है. लेंसकार्ट के देशभर में 1400 से ज्यादा स्टोर्स हैं. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक लेंसकार्ट सालाना 25 मिलियन फ्रेम्स और 30 से 40 मिलियन लेंसेस बनाती है.
कितनी है वैल्यूएशन?
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार लेंसकार्ट की वैल्यूएशन नवंबर 2024 तक 5.6 बिलियन डॉलर है. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 के खत्म होने तक इसमें 20 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है. बता दें लेंसकार्ट को बेहतर रेवेन्यू ग्रोथ और कम समय में लोगों का पसंदीदा और पॉपुलर ब्रांड बनने के लिए स्टार्टअप ऑफ द ईयर का अवॉर्ड भी मिला है.
क्या होगी नए प्लांट की खासियत?
लेंसकाट के तेलंगाना फैक्ट्री में आईवियर, लेंस, सनग्लास के साथ एक्सेसरीज और अन्य प्रोडक्ट्स भी बनाए जाएंगे. इस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के जरिए साउथ-ईस्ट एशिया और मिडिल ईस्ट में भी प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट किया जाएगा.
किसने रखी Lenskart की नींव?
Lenskart की शुरुआत साल 2010 में हुई थी. इसकी नींव पीयूष बंसल ने अपने दो अन्य पार्टनर अमित चौधरी और सुमित कपाही के साथ मिलकर रखी थी. पीयूष पहले यूएस में माइक्रोसॉफ्ट में जॉब करते थे, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थे. लिहाजा वह नौकरी छोड़ 2008 में भारत आ गए. यहां उन्होंने अपने कोलकाता के दोस्त अमित के साथ बिजनेस का प्लान बनाया. इसी कड़ी में उन्होंने लिंक्डइन पर एक अन्य को-फाउंडर सुमीत कपाही को सर्च किया और इस तरह से लेंसकार्ट की शुरुआत की. उनका मकसद ब्लाइंड कैपिटल कहलाने वाले भारत के लोगों की चश्मे की समस्या को दूर करना था.
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