मेहुल चोकसी की भारत वापसी तय या माल्या जैसा चलेगा चाल, जानिए इंडिया-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि में कितना दम
हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर चर्चा में है उसका भारत प्रत्यर्पण. लेकिन क्या उसे भारत लाना आसान है? भारत-बेल्जियम संधि क्या कहती है, और कौन-कौन सी शर्तें हैं जो इस प्रक्रिया को मुश्किल बना सकती हैं. जानिए पूरी रिपोर्ट में.

देश के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक के मुख्य आरोपी और हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पीटीआई के रिपोर्ट्स के मुताबिक, चोकसी को शनिवार, 12 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया जबकि इसकी पुष्टि सोमवार, 14 अप्रैल को सामने आई. 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) लोन फ्रॉड मामले के आरोपी चोकसी 2018 से ही भारतीय एजेंसियों की पकड़ से बाहर था.उसकी गिरफ्तारी के बाद अब यह सवाल उठ रहे है कि क्या है भारत और बेल्जियम के बीच की प्रत्यर्पण संधि और क्या इसके तहत चोकसी को भारत लाना मुमकिन होगा. इसका जवाब छुपा है भारत और बेल्जियम के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) में, जिसे मार्च 2020 में भारत सरकार ने मंजूरी दी थी. ह संधि 1901 की ब्रिटिश-कालीन संधि की जगह लाई गई थी.
दोनों देशों के बीच क्या है प्रत्यर्पण संधि
भारत सरकार के आधिकारिक प्रेस रिलीज (PIB, मार्च 2020) के अनुसार, इस संधि के तहत दोनों देश किसी भी ऐसे व्यक्ति को एक-दूसरे को सौंपने के लिए बाध्य हैं, जो गंभीर अपराधों का आरोपी हो और दूसरे देश की सीमा में पाया गया हो.
यह संधि उन अपराधों के लिए है जिनमें दोनों देशों में कम से कम 1 साल की सजा का प्रावधान हो. इसमें हत्या, धोखाधड़ी, रेप, मनी लॉन्ड्रिंग, जालसाजी जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं.
हालांकि, इस संधि में एक शर्त भी है. जो है कि देश के “नागरिक” को सौंपना उस देश की मर्जी पर निर्भर है. अगर बेल्जियम चोकसी को अपना नागरिक मानता है (भले ही वो जन्म से न हो, लेकिन नागरिकता या स्थायी निवास के आधार पर) तो वह उसे सौंपने से इनकार कर सकता है.
इस संधि के अनुच्छेदों के मुताबिक, प्रत्यर्पण को इन कारणों से रोका जा सकता है:
- अगर अपराध “राजनीतिक” माना जाए
- अगर मुकदमे का मकसद नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक विचारों के कारण बदला लेना हो
- अगर अपराध की समयसीमा (Limitation) खत्म हो चुकी हो
यह भी पढ़ें: PNB घोटाले का मास्टरमाइंड मेहुल चोकसी बेल्जियम में कैसे हुआ गिरफ्तार
क्या चोकसी को भारत लाना मुमकिन?
चोकसी पर लगा 13,500 करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड का आरोप इस संधि के दायरे में आता है क्योंकि यह भारत और बेल्जियम, दोनों में अपराध माना जाएगा और सजा एक साल से अधिक की हो सकती है. हालांकि समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए PNB स्कैम के व्हिसलब्लोअर हरिप्रसाद एसवी का कहना है कि चोकसी का प्रत्यर्पण आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा, “चोकसी यूरोप में सबसे महंगे वकील हायर करेगा, जैसे विजय माल्या करता रहा है. भारत के लिए यह लंबी लड़ाई होगी.”
ऐसे में चोकसी को वापस भारत लाने के लिए भारतीय अधिकारियों को न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि कूटनीतिक और प्रमाणिक स्तर पर भी मजबूत मामला बेल्जियम के सामने पेश करना होगा.
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