ट्रेन में इस्तेमाल होने वाले कंबल कितनी बार धुलते हैं? जानकर होश उड़ जाएंगे
रेलवे ने एसी कोच में बिस्तरों की धुलाई के शेड्यूल का खुलासा किया है. RTI के तहत मिली इस जानकारी से यात्रियों को चिंता हो सकती है. चादरों को भूरे रंग के लिफाफों में अच्छी तरह से पैक कर के दिया जाता है. साथ ही तकिए और कंबल भी दिए जाते हैं.

आज के इस दौर में ट्रेन लगभग हर भारतीयों की जरूरत बन गया है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि यब किसी और माध्यम से कहीं ज्यादा सुरक्षित और सस्ता है. शायद यहीं वजह है कि औसतन लगभग 24 मिलियन लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं. इसके साथ ही हम रेलवे द्वारा दी गई सुविधाएं का भी पूरजोर इस्तेमाल करते है. सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाली चीजों में शुमार है कंबल. कंबल का इस्तेमाल हम सब करते है अपनी यात्रा के दौरान, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह कंबल कितनी बार साफ होता है.
दरअसल रेलवे ने एसी कोच में बिस्तरों की धुलाई के शेड्यूल का खुलासा किया है. RTI के तहत मिली इस जानकारी से यात्रियों को चिंता हो सकती है. चादरों को भूरे रंग के लिफाफों में अच्छी तरह से पैक कर के दिया जाता है. साथ ही तकिए और कंबल भी दिए जाते हैं. सफेद चादर और तकिए के खोल साफ दिखते हैं, लेकिन कंबल उतना साफ नहीं दिखता है.
रेलवे ने साफ तौर पर कहा की है कि चादर और तकिए के कवर को हर बार धोया जाता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंबलों को महीने में केवल एक बार या कभी-कभी दो बार धोया जाता है. इस बारे में पूछे जाने पर रेलवे ने कहा कि चादर, तकिए और कंबल के लिए कीमत में पहले ही शुल्क शामिल होता है.
आरटीआई के तहत पूछने पर बताया कि प्रत्येक यात्रा के बाद चादर और तकिए के कवर को तुरंत धुलाई के लिए भेज दिया जाता है, जबकि कंबलों को केवल मोड़कर कोचों में रख दिया जाता है. भारतीय रेलवे में 46 विभागीय लॉन्ड्रियां और 25 बूट लॉन्ड्रियां हैं. लॉन्ड्रियों में चादर, तकिए और कंबल की धुलाई का काम किया जाता है.
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