पहली बार भारत का हर प्रोडक्ट ‘स्वदेशी’ से होगा लैस, सुदर्शन चक्र का अभेद्य कवच और स्पेस में नई छलांग
पीएम मोदी के 79वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कुछ ऐसे ऐलान हुए, जिनके असर से देश की दिशा ही बदल सकती है. इन घोषणाओं ने न सिर्फ हर वर्ग को चौंका दिया, बल्कि भविष्य की झलक भी दिखा दी है. जानिए, देश में क्या बड़ा होने की तैयारी हो रही है.

हर साल की तरह आज देश जब तिरंगे की छांव में 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से जो संदेश दिया, वह सिर्फ परंपरागत नहीं बल्कि ऐतिहासिक रहा. यह भाषण भारत को आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से सक्षम, और वैश्विक मंच पर नया मुकाम दिलाने का रोडमैप के तौर पर देखा गया. इस साल कई ऐसे ऐलान किए गए, जिनके नतीजे भारत के सामाजिक, आर्थिक और सामरिक धरातल पर दीर्घकालिक परिवर्तन लेकर आएंगे. आइए जानते हैं इन नई पहलों के बारे में, क्यों ये जरूरी हैं, मौजूदा स्थिति क्या है और कैसे ये देश की तस्वीर बदलने जा रही हैं.
- सुदर्शन चक्र मिशन: पहली बार सभी जरूरी स्थानों को मिलेगा विशेष सुरक्षा कवच
प्रधानमंत्री ने पहली बार “सुदर्शन चक्र मिशन” की घोषणा की जिसका उद्देश्य देश के सभी महत्वपूर्ण और धार्मिक स्थानों को राष्ट्रीय सुरक्षा कवच से लैस करना है. भारत में इससे पहले किसी व्यापक, एकीकृत सुरक्षा कवच का तंत्र नहीं था, जिससे संवेदनशील ठिकानों की सुरक्षा कई बार सवालों के घेरे में रही. देश ने 26/11 मुंबई हमलों से लेकर हालिया आतंकी घटनाओं तक सुरक्षा खामियों की कीमत चुकाई है.
क्यों जरूरी?- आज भारत जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें सांप्रदायिक स्थलों, बड़े शहरों और औद्योगिक ठिकानों को आतंकी खतरा बना रहता है. देश की जियोपॉलिटिकल स्थिति को देखते हुए यह पहल जरूरी है, ताकि हर नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस कर सके.
2035 तक यह सुरक्षा कवच तैयार होने पर भारत के सभी अधिक धार्मिक, पर्यटन और इन्फ्रास्ट्रक्चर स्पॉट हाई लेवल सुरक्षा घेरा में होंगे. इससे देश के पर्यटन, सामाजिक सौहार्द और निवेश वातावरण को मजबूती मिलेगी.
- गगनयान मिशन के सफलता की तेज होगी रफ्तार
मोदी सरकार ने गगनयान मिशन के तहत पहली बार देशी तकनीक से बने क्रू यान को अंतरिक्ष में भेजने का रोडमैप दिया है. दिसंबर में ISRO “व्योममित्रा” नामक महिला रोबोट को पृथ्वी की कक्षा में भेजेगा, जो मानवयुक्त मिशन की तैयारी का हिस्सा है. गगनयान मिशन पहले से प्रभावी है लेकिन अब इसे सफल करने की मुहिम और तेज हो गई है.
अब तक भारत विदेशी अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी पर निर्भर रहा है, जबकि अमेरिका, रूस और चीन अपने Astronauts को लंबे समय से भेज रहे हैं.
क्यों जरूरी- गगनयान की सफलता भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब में विशिष्ट स्थान देगी, स्पेस साइंस में नए रोजगार, R&D और स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा. ISRO की क्षमता वैश्विक स्तर पर स्थापित होगी.
- नेशनल डीप वॉटर मिशन: गहरे समुद्र में घरेलू ऊर्जा संसाधनों की खोज
भारत जल्द ही नेशनल डीप वॉटर मिशन शुरू करने जा रहा है, जिसके तहत समुद्र की गहराइयों में गैस और तेल के भंडार खोजे जाएंगे. हालांकि ऐसे काम ‘समुद्रमंथन’ प्रोजेक्ट के तहत लगातार किए जा रहे हैं पर मिशन एसिलरेटर इसकी रफ्तार और तेज करेगा.
क्यों जरूरी- भारत अपनी 85% कच्चे तेल और 50% प्राकृतिक गैस जरूरत आयातित स्रोतों से पूरी करता है, जिससे मुद्रा घाटा और ऊर्जा सुरक्षा पर संकट है.
स्वयं के स्रोतों की खोज से भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, आयात बिल घटेगा, औद्योगिक ताकत बढ़ेगी और रणनीतिक स्वतंत्रता हासिल होगी.
- स्वदेशी फाइटर जेट इंजन का निर्माण
भारत भविष्य में लड़ाकू विमानों के लिए 100 फीसदी मेड इन इंडिया इंजन तैयार करेगा अभी तक भारत रशियन, फ्रेंच या अमेरिकी इंजन पर निर्भर है, जिससे सुरक्षा और सप्लाई रिस्क दोनों रहते हैं.
क्यों जरूरी- स्वदेशी जेट इंजन से डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता, लागत में कमी और एक्सपोर्ट में बढ़त मिलेगी.
- नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म
8 साल बाद GST व्यवस्था का बड़ा संशोधन होगा, जिससे रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी और टैक्सेशन सरल बनेगा.
क्यों जरूरी- जटिल टैक्स सिस्टम आम नागरिक और व्यापारियों के लिए परेशानी का कारण है.आसान अनुपालन, खर्च में कटौती और माइक्रो बिजनेस को मजबूती मिलेगी.
- आत्मनिर्भर ऑटोमोटिव इन्फ्रास्ट्रक्चर
भारत अगले 12 महीनों में घरेलू स्तर पर EV बैटरी का उत्पादन शुरू करेगा.
क्यों जरूरी?- अबतक EV बैटरी के लिए चीन/दूसरे देशों पर निर्भरता थी, जिससे लागत, आपूर्ति-सुरक्षा आदि प्रभावित होते थे. स्वनिर्मित बैटरी भारत को दुनिया के EV निर्यातक देशों में ला देगी, ऑटो इंडस्ट्री में नौकरियां और निवेश बढ़ेगा, ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन को गति मिलेगी.
- ‘स्वदेशी’ बोर्ड लगाने का आग्रह
पीएम ने व्यापारियों से अपील की है कि अपने प्रतिष्ठानों, उत्पादों पर “स्वदेशी” का बोर्ड लगाकर देश की आत्मनिर्भरता को समर्थन दें.
क्यों जरूरी- विदेशी सामान की खपत, मेड इन इंडिया उत्पादों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा की कमी. इससे ग्राहकों में देशभक्ति और लोकल उत्पादों का समर्थन बढ़ेगा, MSME और स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को नई पहचान मिलेगी.
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