यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर सस्पेंस ग्रैंड मुफ्ती का माफी का दावा, लेकिन सरकार से पुष्टि नहीं
यमन में फांसी की सजा पाने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में नया मोड़ आया है. केरल की निमिषा पर यमन में हत्या का आरोप है, जिसमें 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. अब ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय ने दावा किया है कि उनकी सजा रद्द हो गई है, हालांकि यमन या भारत सरकार ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है.
Death Penalty Overturned for Indian Nurse in Yemen: यमन में फांसी की सजा पाने वाली भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया की सजा रद्द होने सस्पेंस बना हुआ है. भारत के ग्रैंड मुफ्ती और सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार उनकी सजा माफ हो गई है. हालांकि, इस बारे में अब तक केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और ना ही यमन सरकार की ओर से ऐसा कोई ऐलान किया गया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि निमिषा की मौत की सजा रद्द होने की खबरें फर्जी हैं. एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने कहा कि यमन में हत्या के एक मामले में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया के मामले में मौत की सजा को रद्द कर दिया गया है.
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न्यूज एजेंसी ANI ने ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय के हवाले से बताया कि यह निर्णय यमन की राजधानी सना में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया है, जहां मौत की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का निर्णय लिया गया.
क्या है पूरा मामला?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 में एक नर्स के रूप में काम करने यमन गई थी. यहां कई अस्पतालों में काम करने के बाद साल 2011 में निमिषा केरल वापस लौटीं और यहां टॉमी थॉमस से उन्होंने शादी की. दोनों की एक बेटी है, जो इस समय केरल में ही रहती है. साल 2015 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक मेडिकल क्लीनिक शुरू की थी. उसने महदी का समर्थन इसलिए मांगा था क्योंकि यमन के कानून के तहत केवल नागरिकों को क्लीनिक शुरू करने की अनुमति होते हैं. वहीं साल 2017 में महदी का शव एक वॉटर टैंक में पाया गया. महदी की हत्या का आरोप निमिषा पर लगा. आरोप है कि निमिषा ने नींद की दवा की अधिक डोज देकर महदी की हत्या की और उनके शव को छिपाने की कोशिश की.
2018 में हुई थी फांसी की सजा
साल 2018 में निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया गया और 2020 में उन्हें अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. हालात और चिंताजनक हो गई जब दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलीमी ने फांसी की सजा को मंजूरी दे दिया और जनवरी 2025 में हूती विद्रोही नेता महदी अल-मशात ने भी इसकी पुष्टि की. इसके बाद भारत की ओर से धार्मिक और कूटनीतिक स्तर पर उनकी सजा को माफ कराने के प्रयास होने लगे.
निमिषा की मां का क्या है आरोप?
ANI के अनुसार, निमिषा की मां के ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि क्लिनिक शुरू होने के कुछ ही दिन बाद महदी ने क्लिनिक के स्वामित्व वाले डॉक्यूमेंट में हेरफेर किया. उसने सभी को यह बताकर रखा था कि वह उसकी पत्नी है. उसकी कमाई से पैसे भी लेने शुरू कर दिया था. निमिषा ने आरोप लगाया था कि महदी उसे और उसके परिवार को सालों से परेशान कर रहा था. महदी ने उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था, जिससे निमिषा वतन नहीं लौट पा रही थी.
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