ISRO ने शुरू किया NISAR का काउंटडाउन, GSLV-F16 से होगी लॉन्चिंग, जानें क्या करेगा ये सैटेलाइट?
भारत-अमेरिका के स्पेस टेक्नोलॉजी संबंधों के लिहाज से बेहद अहम और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट NISAR सैटेलाइट की लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू हो गया है. यह NASA और ISRO का बनाया हुआ सैटेलाइट है, जिसे नासा अपने GSLV-F16 रॉकेट से लॉन्च करेगा.

ISRO और नासा की तरफ से मिलकर तैयार किए गए NISAR यानी NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar सैटेलाइट की लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू हो गया है. दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच सहयोग और दोनों देशों के बीच स्पेस टेक में साझेदारी के लिहाज से इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग एक मील का पत्थर है. इसरो ने मंगलवार को इसकी लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन शुरू कर दिया है.
इसरो ने क्या कहा?
इसरो की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी गई जानकारी के मुताबिक बुधवार 30 जुलाई को शाम 5:40 बजे इसे GSLV-F16 रॉकेट के जरिये लॉन्च किया जाएगा. इसके साथ ही NISAR मिशन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह न केवल साइंटिफिक स्टडीज के लिए उपयोगी साबित होगा, बल्कि आपदा प्रबंधन और जलवायु अध्ययन के लिए भी एक गेम-चेंजर साबित होगा. इस मिशन से भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास हाई प्रेसीजन अर्थ ऑब्जर्वेशन टेक्नोलॉजी है.
क्या है NISAR मिशन?
NISAR एक अत्याधुनिक अर्थ-ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है. यह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा और 242 किमी चौड़ी स्वाथ (Swath) के साथ हाई-रेजॉल्यूशन, ऑल-वेदर, डे-नाइट इमेजरी प्रदान करेगा. सैटेलाइट में NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड रडार लगा है, इनकी मदद से यह सैटेलाइट सेंटीमीटर लेवल के प्रेसीजन के साथ पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों की निगरानी कर पाएगा.
ISRO प्रमुख ने कहा सबके काम आएगा?
ISRO चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने निसार के लॉन्च को लेकर कहा कि 30 जुलाई को GSLV-F16 रॉकेट के जरिये NISAR सैटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा, यह मिशन सबके लिए है. किसानों से लेकर वैज्ञानिकों तक यह सबके लिए काम आएगा. उन्होंने कहा कि यह मिशन जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और पृथ्वी विज्ञान से जुड़े मामलों के अध्ययन में नए आयाम खोलेगा.
मिशन की खास बातें
लॉन्च व्हीकल | GSLV-F16 |
लॉन्च डेट और टाइम | 30 जुलाई, शाम 5:40 बजे |
सैटेलाइट वजन | 2,392 किलोग्राम |
ऑर्बिट | Sun-Synchronous Orbit |
टेक्नोलॉजी | SweepSAR, Dual-Band Radar (L-band & S-band) |
पहली बार | GSLV से Sun-Synchronous Orbit में सैटेलाइट, ISRO-NASA का पहला Earth Observation मिशन |
क्यों खास है NISAR?
ग्लेशियर रिट्रीट, वनस्पति में बदलाव, भूकंप, मिट्टी की नमी और इन्फ्रास्ट्रक्चर स्ट्रेस की निगरानी जैसे तमाम काम यह सैटेलाइट पूरी सटीकता से कर पाएगा. इसकी मदद से जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी. इसके अलावा शोरलाइन मॉनिटरिंग, स्टॉर्म कैरेक्टराइजेशन और सतही जल संसाधनों की मैपिंग आसान और सटीक हो पाएगी. इसके अलावा यह मिशन ISRO और NASA के बीच एक दशक लंबे तकनीकी सहयोग का नतीजा है. यह पहला मौका है जब ISRO और NASA ने मिलकर कोई सैटेलाइट तैयार किया है.
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