Muizzu को याद आए मोदी! बुलाया मालदीव, इस खास काम के लिए भेजा न्योता

भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में आई खटास को दूर करने की कोशिश में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 26 जुलाई को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने का न्योता भेजा है. यह कदम दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी को मालदीव से आया बुलावा Image Credit: @Money9live

Muizzu Invites PM Modi for Independence Day: भारत और मालदीव के रिश्तों में आई तल्खी को कम करने की कोशिश करते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक अहम न्योता भेजा है. उन्होंने मोदी को 26 जुलाई को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. मालदीव के राष्ट्रपति की ओर से उठाए गए इस कदम को भारत-मालदीव रिश्ते को बेहतर करने की दिशा में एक अहम शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.

आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत ने की थी मदद

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने अक्टूबर 2024 में भारत की यात्रा की थी. वह उनके सत्ता में आने के बाद भारत का पहला दौरा था. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने रिश्तों को एक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा को साझेदारी में बदलने पर सहमति जताई थी. भारत ने मालदीव की आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए 30 अरब रुपये और 400 मिलियन डॉलर की सहायता देने का वादा भी किया था. मुइज्जू का वह दौरा भी रिश्तों में गर्मजोशी लाने की कोशिश माना गया था. लेकिन असल सवाल ये है कि भारत और मालदीव के रिश्ते आखिर खराब हुए क्यों थे.

क्यों बिगड़े थे भारत-मालदीव रिश्ते?

‘India Out’ अभियान से बिगड़ना शुरू हुआ रिश्ता

दोनों देशों के बीच रिश्ते में आई दरार की शुरुआत 2023 में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद हुई. नवंबर 2023 में मोहम्मद मुइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति बने. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने “India Out” अभियान चलाया. इसमें मुइज्जू ने कहा कि वे मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाएंगे और भारत की निर्भरता कम करेंगे. मुइज्जू का झुकाव चीन की तरफ दिखा, जिससे भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई. वहीं, उसके कुछ समय के बाद, जनवरी 2024 में मुइज्जू सरकार ने भारत से अपने तीन एयरबेस पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने के आदेश दिए. यही नहीं, भारतीय हेलिकॉप्टरों के इस्तेमाल से जुड़े समझौते को भी सस्पेंड कर दिया. यह कदम दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का बड़ा कारण बना.

लक्षद्वीप विवाद और सोशल मीडिया जंग

इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लक्षद्वीप द्वीप समूह में पर्यटन को प्रमोट करने के लिए तस्वीरें और पोस्ट शेयर की. इस पर मालदीव के तीन डिप्टी मिनिस्टर्स ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणियां कर दीं. इन बयानों के बाद भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा. भारतीय यूजर्स ने #BoycottMaldives ट्रेंड करना शुरू कर दिया. कई बॉलीवुड सितारों और बड़े ट्रैवल इन्फ्लुएंसर्स ने भी मालदीव का विरोध किया और भारतीयों से वहां न जाने की अपील की.

मालदीव की अर्थव्यवस्था डगमगाई

भारत की ओर से मिले सख्त रवैये का असर मालदीव के अर्थव्यवस्था पर हुई. भारत मालदीव के लिए सबसे बड़ा टूरिज्म मार्केट है. जब भारतीय टूरिस्ट्स ने मालदीव जाना कम किया, तो वहां की अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ा.

  • होटल बुकिंग्स और टूरिज्म रेवेन्यू गिरने लगा.
  • मालदीव की करेंसी (Rufiyaa) पर दबाव बढ़ा.
  • विदेशी निवेश भी कम होने लगा.

नरम पड़ने लगा मालदीव

इन तमाम उलट-फेर के मद्देनजर मालदीव थोड़ा नरम हुआ. सोशल मीडिया विवाद और अर्थव्यवस्था पर बढ़ते दबाव के बाद मालदीव सरकार ने स्थिति को संभालने की कोशिश की. मालदीव ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि “तीनों डिप्टी मिनिस्टर्स के बयान व्यक्तिगत हैं, सरकार का उनसे कोई लेना-देना नहीं है.” बयान में यह भी कहा गया कि मालदीव भारत और पीएम मोदी का सम्मान करता है.

बाद में मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय और विदेश मंत्रालय ने अप्रत्यक्ष रूप से माफी की भाषा में बयान दिया कि भविष्य में इस तरह की टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही, विवादित बयान देने वाले डिप्टी मिनिस्टर्स को सस्पेंड भी कर दिया गया. हालांकि, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की यात्राओं के बाद रिश्तों में कुछ सुधार के संकेत मिले. मई 2025 में मालदीव के विदेश मंत्री अली जाहिद खलील भारत दौरे पर आए थे.

अब क्या बदल रहा है?

मालदीव ने एक बार फिर रिश्तों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है. राष्ट्रपति मुइज्जू का मोदी को भेजा गया न्योता यह संकेत देता है कि वह भारत के साथ संबंधों को नई राह पर लाना चाहते हैं. पीएम मोदी पिछली बार 2019 में मालदीव गए थे. अब देखना होगा कि मालदीव की ओर से आए बुलावे को प्रधानमंत्री मोदी स्वीकार करते हैं या नहीं. 

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