IMD: देश में 2020 के बाद सबसे ज्यादा हुई बारिश, सूखे से उबरने में मिली मदद
हालांकि मानसून की देरी से वापसी के कारण सितंबर में औसत से अधिक बारिश हुई, जिससे भारत के कुछ क्षेत्रों में चावल, कपास, सोयाबीन, मक्का और दालों जैसी गर्मियों में बोई जाने वाली कुछ फसलों को नुकसान हुआ है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार, 30 सितंबर को कहा कि इस साल भारत की मानसूनी बारिश 2020 के बाद से सबसे ज्यादा थी, लगातार तीन महीनों तक औसत से अधिक बारिश हुई है, जिससे देश को पिछले साल के सूखे से उबरने में मदद मिली.
सिंचाई के बिना, भारत की लगभग आधी कृषि भूमि आमतौर पर जून से सितंबर तक होने वाली बारिश पर निर्भर रहती है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जून से सितंबर तक देश में बारिश पिछले 50 साल के औसत से 107.6% ज्यादा थी, जो 2020 के बाद से सबसे अधिक है. भारत में सितंबर में औसत से 11.6% ज्यादा बारिश हुई, इसके बाद जुलाई में 9% और अगस्त में 15.3% औसत से ज्यादा बारिश हुई.
कुछ फसलों का फायदा कुछ का होगा नुकसान
मानसून की देरी से वापसी के कारण सितंबर में औसत से अधिक बारिश हुई, जिससे भारत के कुछ क्षेत्रों में चावल, कपास, सोयाबीन, मक्का और दालों जैसी गर्मियों में बोई जाने वाली कुछ फसलों को नुकसान हुआ है.
हालांकि, बारिश से मिट्टी की नमी भी बढ़ सकती है, जिससे सर्दियों में बोई जाने वाली गेहूं, रेपसीड और चना जैसी फसलों की बुआई को फायदा होगा.
भारत 5 सालों में सबसे ज्यादा सूखा 2023 में रहा इसीलिए 2024 में अच्छी बारिश की सख्त जरूरत थी. क्योंकि जलाशयों का स्तर कम हो गया था और कुछ फसलों का उत्पादन कम हो गया था. इसी वजह से सरकार चावल, चीनी और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर हुई थी.
भारत ने पिछले हफ्ते गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया था. यह सरकार द्वारा उबले चावल पर निर्यात शुल्क में 10% की कटौती के एक दिन बाद आया है.
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