किन पाकिस्तानियों को मिलता है सार्क वीजा, जो भारत में आकर करते हैं मौज
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया है. यह फैसला सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में लिया गया, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

SAARC Visa: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के विरुद्ध कई कदम उठाए हैं. पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को और कमजोर करने की दिशा में यह एक अहम फैसला माना जा रहा है. भारत ने सार्क वीजा छूट योजना (SVES) के तहत देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया है. यह निर्णय 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में लिया गया. बुधवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस फैसले की औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि अब किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को SVES के तहत भारत की यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी. तो आइए जानते हैं कि क्या है सार्क वीजा छूट योजना.
क्या है सार्क वीजा छूट योजना
साल 1992 में स्थापित इस योजना का उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के सदस्य देशों भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान के बीच संपर्क और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना था. इस योजना के अंतर्गत कुछ विशेष वर्गों के लोगों, जैसे वरिष्ठ अधिकारी, सांसद, पत्रकार, व्यापारी और खिलाड़ी आदि को वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा दी जाती है.
भारत के इस फैसले का क्या मतलब है
सरकार का यह निर्णय केवल एक राजनयिक संदेश नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाला गंभीर कदम है. बीते वर्षों में पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और टीआरएफ द्वारा भारत पर बार-बार किए गए हमलों ने देश की सहनशीलता की सीमा को पार कर दिया है. SVES को निलंबित कर पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का निर्देश देना यह दिखाता है कि भारत अब कूटनीतिक ढांचों को तब तक बनाए रखने को तैयार नहीं है, जब तक वे उसकी सुरक्षा के लिए खतरा न बनें.
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SAARC की दिशा में एक और झटका
उरी आतंकी हमले के बाद से SAARC पहले से ही निष्क्रिय पड़ा है. भारत ने उस समय इस्लामाबाद में प्रस्तावित SAARC शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था. उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव ने संगठन की कार्यक्षमता को प्रभावित किया है. भारत का यह ताजा फैसला SAARC के भीतर विश्वास की लगातार टूटती कड़ी को उजागर करता है.
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