फर्राटा भरता GMP हमेशा नहीं होता मुनाफे का सौदा, इन 3 स्टॉक्स से समझें कैसे फीके पड़ जाते हैं IPO के रंग
हाल के वर्षों में अधिकांश आईपीओ ने निवेशकों को निराश किया है. आंकड़े बताते हैं कि लिस्टिंग के छह महीने से एक साल बाद तक आईपीओ का मीडियन रिटर्न बीएसई 500 से कमजोर रहा है. सिर्फ ग्रे मार्केट प्रीमियम (जीएमपी) देखकर निवेश करना जोखिम भरा साबित हो रहा है. इसके पीछे हाई वैल्यूएशन, हाइप और कंपनियों के सीमित ट्रैक रिकॉर्ड जैसे कारण हैं.

GMP of IPO is not enough: क्या आपने कभी IPO में निवेश किया है? अगर हां, तो इन्वेस्टमेंट से पहले आपने उस इश्यू या कंपनी में क्या देखा? कंपनी की वित्तीय सेहत, फंडामेंटल्स, प्रमोटर्स या GMP? अधिकांश रिटेल निवेशक किसी इश्यू में निवेश करने से पहले उस इश्यू का ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी जीएमपी देखते हैं. लेकिन क्या यह काफी है? रिसर्च बताते हैं कि सिर्फ जीएमपी देखकर निवेश के लिए उठाया गया कदम अक्सर निवेशकों के लिए घाटे का सौदा होता है. साथ ही सिर्फ आईपीओ ने ही नहीं लिस्टिंग के बाद भी कंपनियों ने निवेशकों को निराश किया है.
उदाहरण के लिए Aether Industries को ही देखते हैं. इसका GMP और लिस्टिंग दोनों शानदार रहा था. लेकिन इस कंपनी ने निवेशकों को पिछले तीन साल में 18 फीसदी का नेगेटिव रिटर्न दिया है, जबकि जीएमपी 8.5 फीसदी से अधिक रिटर्न की ओर संकेद दे रहा था. 1 साल में यह घाटा बढ़कर 20 फीसदी के पार हो गया. जबकि 6 महीने में 9 फीसदी का नेगेटिव ग्रोथ दिया है. Syrma SGS जीएमपी से कम रेट पर लिस्ट हुआ था, जो 22 फीसदी मुनाफे की ओर संकेत कर रहा था. हालांकि इसने निवेशकों का घाटा नहीं कराया है. Premier Energies का GMP और लिस्टिंग दोनों हिट था, लेकिन लिस्टिंग होने के बाद निवेशकों को बीते एक साल में 6 फीसदी से अधिक का निगेटिव रिटर्न मिला है. Premier Energies का GMP 108 फीसदी से अधिक रिटर्न की ओर इशारा कर रहा था.
ग्रे मार्केट ही नहीं, लिस्टेड आईपीओ ने भी किया निराश
टाटा कैपिटल की कहानी केवल ग्रे मार्केट तक सीमित नहीं है. वैल्यू रिसर्च के डाटा के अनुसार, पिछले चार वर्षों (2021 से अप्रैल 2025) में लिस्ट हुए अधिकांश आईपीओ ने निवेशकों को निराश किया है. इन आईपीओ के मीडियन रिटर्न ने बीएसई 500 इंडेक्स की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है.
- तीन महीने बाद – आईपीओ ने औसतन 1 फीसदी रिटर्न दिया, जबकि बीएसई500 में 4 फीसदी की तेजी आई.
- छह महीने बाद – आईपीओ के रिटर्न नेगेटिव हो गए, जबकि इंडेक्स ने 8 फीसदी की तेजी दर्ज की।
- एक साल बाद – आईपीओ ने औसतन 4 फीसदी का नुकसान दिखाया, जबकि इंडेक्स में 8 फीसदी का उछाल आया.
लगभग आधे आईपीओ अपने पहले वर्ष में नुकसान के साथ बंद हुए. यह स्पष्ट करता है कि ग्रे मार्केट की तरह, मुख्य बाजार में भी आईपीओ निवेशकों के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
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मीडियन रिटर्न क्यों महत्वपूर्ण हैं?
मीडियन रिटर्न (Median Return) का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि आईपीओ का प्रदर्शन अक्सर एक जैसा नहीं होता है. कुछ शेयर लिस्टिंग के बाद दोगुना या तिगुना रिटर्न देते हैं, लेकिन अधिकांश शेयर या तो स्थिर रहते हैं या लिस्टिंग से भी कम पर कारोबार करता है. एक सामान्य निवेशक मीडियन रिटर्न देखकर ही किसी स्टॉक में निवेश करने का निर्णय लेता है.
आईपीओ क्यों करते हैं निराश?
आईपीओ के खराब प्रदर्शन के कई कारण हैं.
- हाई वैल्यूएशन – कंपनियां तब आईपीओ लाती हैं जब वैल्यूएशन हाई होता है, जिससे प्रमोटरों और शुरुआती निवेशकों को अधिक लाभ होता है, ना कि नए शेयरधारकों को.
- हाइप और मांग – हॉट आईपीओ खुदरा निवेशकों को आकर्षित करता है, जो कम समय में अधिक लाभ की उम्मीद में निवेश करते हैं, लेकिन लंबे समय में निराशा हाथ लगती है.
- सीमित ट्रैक रिकॉर्ड – आईपीओ में कंपनियों का ऑपरेटिंग हिस्ट्री सीमित होता है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति का आकलन करना मुश्किल हो जाता है. यह अक्सर ग्रे मार्केट और लिस्टेड मार्केट में अधिक कीमत चुकाने का कारण बनता है.
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