जांच के घेरे में LG Electronics IPO, इनगवर्न ने 4717 करोड़ रुपये के टैक्स और रॉयल्टी रिस्क का किया इशारा

LG Electronics IPO: . सलाहकार फर्म ने कहा कि 'इन कार्यवाहियों में नेगेटिव परिणाम भविष्य की आय को काफी कम कर सकते हैं या प्रावधानों की आवश्यकता हो सकती है.' आगे कहा कि लिस्टिंग के बाद कोरियाई पैरेंट कंपनी 85 फीसदी कंट्रोल बनाए रखेगी.

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स आईपीओ. Image Credit: Getty image

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का 11,607 करोड़ रुपये का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) जांच के दायरे में है, क्योंकि इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज ने विवादित टैक्स की देनदारियों, चल रहे रॉयल्टी भुगतान और संबंधित पक्ष के लेन-देन में 4,717 करोड़ रुपये की राशि की पहचान की है. सलाहकार फर्म ने कहा कि ‘इन कार्यवाहियों में नेगेटिव परिणाम भविष्य की आय को काफी कम कर सकते हैं या प्रावधानों की आवश्यकता हो सकती है.’ आगे कहा कि लिस्टिंग के बाद कोरियाई पैरेंट कंपनी 85 फीसदी कंट्रोल बनाए रखेगी. ईटी ने अपनी रिपोर्ट में इनगवर्न के हवाले से इस बात की जानकारी दी है.

ऑफर फॉर सेल इश्यू

गुरुवार 9 अक्टूबर को बंद होने वाला यह पब्लिक ऑफर, कोरियाई प्रमोटर एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक. द्वारा 100 फीसदी ऑफर फॉर सेल (OFS) है. इस वजह से आईपीओ के जरिए होने वाली सारी कमाई पैरेंट कंपनी को जाएगी. विस्तार के लिए कोई नई पूंजी नहीं जुटाई जाएगी.

देनदारियों का खुलासा

इनगवर्न ने बताया कि ‘एलजीईआईएल ने कुल 4,717 करोड़ रुपये की आकस्मिक देनदारियों का खुलासा किया है, जो उसकी कुल नेट वर्थ की गणना का 73 फीसदी है. ये देनदारियां मुख्यतः विवादित इनकम टैक्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स क्लेम से जेनरेट हुई है. सलाहकार फर्म ने आगे कहा, ‘कंपनी ने कानूनी सलाह और अपीलीय प्लेटफॉर्म में चल रही अपीलों का हवाला देते हुए इन कार्यवाहियों के लिए प्रावधान नहीं किए हैं.’

टैक्स विवादों का एक बड़ा हिस्सा प्रमोटर को रॉयल्टी और तकनीकी सेवा भुगतान पर ट्रांसफर प्राइसिंग से संबंधित है. इनगवर्न ने इस बात पर जोर दिया कि, ‘लाइसेंस समझौते के तहत या अन्यथा प्रमोटर को उनके द्वारा किए गए रॉयल्टी भुगतान नियामक जांच या कार्रवाई का कारण बन सकते हैं.’ आईपीओ दाखिल करने के समय, एलजी इंडिया पर केवल रॉयल्टी भुगतान से 315 करोड़ रुपये की आकस्मिक देनदारी है, जो रेगुलेटरी रिव्यू के साथ बढ़ सकती है.

प्रभावित हो सकता है मार्जिन

एडवाइजरी फर्म ने यह भी बताया कि कोरियाई पैरेंट कंपनी शेयरधारकों की मंजूरी के बिना घरेलू मैन्युफैक्चरिंग से वार्षिक कंसोलिडेटेड कारोबार के 5 फीसदी तक रॉयल्टी शुल्क वसूल सकती है. पिछले तीन वर्षों में रॉयल्टी का आउटफ्लो रेवेन्यू के 1.63% से 1.90% के बीच रहा है, जो एक ऐसी व्यवस्था है जो मॉयनॉरिटी निवेशकों की निगरानी के बिना मार्जिन को प्रभावित कर सकती है.’

इनगवर्न ने चेतावनी दी, ‘एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक द्वारा छह महीने के नोटिस के साथ स्थायी लाइसेंस समझौते को समाप्त करने या उसमें कोई भी बदलाव करने से कंपनी का एलजी ब्रांड के तहत मैन्युफैक्चरिंग और सेल्स करने का अधिकार समाप्त हो जाएगा, जिससे ऑपरेशन में भारी व्यवधान आएगा.’

पैरेंट कंपनी का 85 फीसदी कंट्रोल

आईपीओ के बाद, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स अपनी भारतीय यूनिट का 85 फीसदी हिस्सा अपने पास बनाए रखेगी, जिससे प्रमोटर को बोर्ड के फैसलों और संबंधित पक्षों के लेन-देन पर प्रभावी नियंत्रण मिलेगा. इनगवर्न ने कहा कि प्रमोटर अपनी सहायक कंपनियों और सहयोगी कंपनियों के हितों पर विचार कर सकता है जो मॉयनॉरिटी शेयरधारकों के साथ मेल नहीं खा सकते हैं.’

एलजी इंडिया, कोरियाई मूल कंपनी और एलजी समूह की अन्य संस्थाओं के बीच कई लाइसेंसिंग, तकनीकी सेवा और फ्रेमवर्क संबंधी समझौते मौजूद हैं, जिससे लगातार गवर्नेंस रिस्क पैदा हो रहा है.

वित्त वर्ष 2025 के लिए 24,367 करोड़ रुपये का रेवेन्यू और 2,203 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट और डेट-फ्री बैलेंस शीट दर्ज करने के बावजूद, एलजी इंडिया का आईपीओ एक ऑफर-फॉर-सेल है, जिससे केवल प्रमोटर को ही लाभ होगा.

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