₹10000 SIP vs ₹5 लाख का lump sum, कौन बनाएगा जल्दी ₹50 लाख का फंड; जानें पूरा गणित
10000 रुपये की SIP और 5 लाख रुपये के Lump Sum में से कौन तेजी से 50 लाख रुपये का टारगेट हासिल करता है, ये जानना जरुरी है. फाइनेंशियल मार्केट में कंपाउंडिंग, मार्केट वोलैटिलिटी और रुपी कॉस्ट एवरेजिंग जैसे फैक्टर्स रिटर्न पर बड़ा असर डालते हैं. लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट में SIP अक्सर बेहतर ग्रोथ देती है, जबकि Lump Sum सही मार्केट टाइमिंग पर निर्भर करता है.
SIP vs lump sum: भारत में फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर लगातार विकसित हो रहा है और इसके साथ इन्वेस्टर्स के बीच वेल्थ-क्रिएशन के नये तरीके भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. पारंपरिक सेविंग ऑप्शन्स की तुलना में Mutual Funds, SIP और Lump Sum इन्वेस्टमेंट जैसे मॉडर्न टूल अब अधिक आकर्षण बना रहे हैं. इसी चर्चा के बीच एक अहम सवाल उठता है कि 10000 रुपये महीने का SIP और 5 लाख रुपये के Lump Sum में से कौन सबसे पहले 50 लाख रुपये का लक्ष्य हासिल करता है? दोनों इन्वेस्टमेंट तरीकों का अलग गणित है और लॉन्ग-टर्म में रिटर्न का फर्क मुख्य रूप से कंपाउंडिंग और मार्केट वोलैटिलिटी पर निर्भर करता है.
SIP आज के समय में सबसे लोकप्रिय रूट है क्योंकि यह इन्वेस्टर्स को छोटी-छोटी अमाउंट में डिसिप्लिन तरीके से निवेश करने की सुविधा देता है. दूसरी ओर, Lump Sum इन्वेस्टमेंट उन लोगों के लिये फायदेमंद है जो एक बार में बड़ी रकम मार्केट में लगाना चाहते हैं और मार्केट टाइमिंग रिस्क को संभाल सकते हैं.
10000 रुपये का SIP
अगर कोई इन्वेस्टर हर महीने 10000 रुपये की SIP करता है और औसत रिटर्न लगभग 12 फीसदी सालाना मानें, तो लॉन्ग-टर्म में यह राशि तेजी से कम्पाउन्ड होती है. SIP का सबसे बड़ा फायदा है रुपी कॉस्ट एवरेजिंग, जिसमें इन्वेस्टर मार्केट के हाई और लो दोनों फेज में यूनिट्स खरीदता है. इससे एवरेज प्राइस सही रहता है और वोलैटिलिटी का असर कम होता है.
लगातार 15 से 20 साल तक SIP जारी रहने पर 10000 रुपये की यह राशि मजबूत ग्रोथ दिखाती है. आखिरकार, कंपाउंडिंग का इफेक्ट ही वेल्थ क्रिएशन का असली हथियार माना जाता है. कई फाइनेंशियल मॉडल बताते हैं कि नियमित SIP लम्बे समय में बड़े Lump Sum से प्रतिस्पर्धी या कभी-कभी बेहतर रिटर्न देती है. हालांकि, यह हर परिस्थिति में लागू नहीं होता क्योंकि मार्केट कंडीशन इसका मुख्य आधार है.
5 लाख रुपये का Lump Sum
अगर कोई व्यक्ति 5 लाख रुपये एक साथ इन्वेस्ट करता है, तो पूरा खेल एंट्री पॉइंट पर निर्भर करता है. यदि मार्केट में इन्वेस्टमेंट के समय ग्रोथ फेज है, तो Lump Sum तेजी से आगे बढ़ सकता है. लेकिन अगर मार्केट डाउन फेज में हो, तो रिकवरी में लंबा समय लग सकता है.
Lump Sum का फायदा यह है कि पूरा अमाउंट पहले दिन से कंपाउंडिंग का लाभ लेना शुरू कर देता है. लेकिन रिस्क भी उतना ही ज्यादा होता है क्योंकि एक बार में बड़ी राशि मार्केट फ्लक्चुएशन के सामने होती है.
कौन पहुंचेगा पहले 50 लाख रुपये पर?
लॉन्ग-टर्म एनालिसिस यह बताता है कि नियमित SIP अक्सर 50 लाख रुपये के लक्ष्य तक पहले पहुंच सकती है, खासकर तब जब मार्केट उतार-चढ़ाव वाला हो. वहीं, Lump Sum तभी बेहतर साबित होता है जब इन्वेस्टर सही समय पर एंट्री कर सके.
अगर आप 10000 रुपये का SIP करते हैं और 12 फीसदी का रिटर्न मिलता है, तो 15 साल में यह राशि लगभग 50.45 लाख रुपये बन जाती है. जबकि यदि आप 5 लाख रुपये का Lump Sum इन्वेस्ट करते हैं और 12 फीसदी का एवरेज रिटर्न मिलता है, तो 15 साल बाद यह राशि केवल 27.36 लाख रुपये तक ही पहुंच पाती है.
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