SEBI का नया MF इंसेंटिव मॉडल, B-30 और Women Investors को मिलेगा 1% तक एक्स्ट्रा कमीशन
SEBI ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए नया इंसेंटिव मॉडल पेश किया है, जिसमें B-30 शहरों और महिना निवेशकों से आने वाले नए PAN-आधारित निवेशकों पर 1% तक का अतिरिक्त कमीशन मिलेगा. यह भुगतान AMCs के 2 bps फंड से किया जाएगा.
SEBI ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स के इंसेंटिव मॉडल में बड़ा बदलाव करते हुए B-30 आधारित पुराने नियम को खत्म कर दिया है. 31 अक्टूबर, 2025 के गजट नोटिफिकेशन के बाद नया फ्रेमवर्क लागू किया गया है, जिसका फोकस पहली बार MF में निवेश करने वालों पर है. इसका मकसद इंसेंटिव सिर्फ वास्तविक नए निवेशकों तक पहुंचाना है.
PAN-बेस्ड पहचान से मिसयूज पर रोक
नई गाइडलाइन में ‘नए निवेशक’ की पहचान अब पूरी इंडस्ट्री के लेवल पर होगी. मतलब, किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस में पहली बार निवेश करने वाला व्यक्ति ही इंसेंटिव के लिए योग्य होगा. इससे एक ही निवेशक पर कई बार इंसेंटिव क्लेम जैसी गड़बड़ियों पर रोक लगेगी और फ्रेमवर्क अधिक पारदर्शी बनेगा.
B-30 और महिला निवेशकों पर जोर
इस संशोधित मॉडल में सेबी ने दो प्रमुख सेगमेंट पर अलग फोकस रखा है, छोटे शहरों यानी B-30 से आने वाले नए निवेशक और देशभर की नई महिला निवेशक. दोनों कैटेगरी में कमीशन मिलने से छोटे शहरों में फाइनेंशियल प्रॉडक्ट की पैठ बढ़ेगी और महिलाओं की निवेश भागीदारी में भी सुधार आएगा.
इंसेंटिव का खर्च AMCs के 2 bps फंड से
डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलने वाला अतिरिक्त कमीशन AMCs की तरफ से हर साल निवेशक शिक्षा और फाइनेंशियल इंक्लूजन के लिए अलग रखे जाने वाले 2 bps फंड से दिया जाएगा. इससे स्कीम पर कोई अतिरिक्त लागत का बोझ नहीं पड़ेगा और पेमेंट स्ट्रक्चर पहले की तरह नियंत्रित रहेगा.
कमीशन का फॉर्मूला 1% तक
लंपसम निवेश पर डिस्ट्रीब्यूटर्स को पहले एप्लीकेशन अमाउंट का 1% कमीशन मिलेगा, लेकिन अधिकतम 2,000 रुपये तक. शर्त यह है कि निवेश कम से कम एक साल तक बना रहे. SIP के मामले में पहले साल में जमा हुई कुल SIP राशि का 1% कमीशन मिलेगा, यहां भी कैप 2,000 रुपये रखा गया है. यह अतिरिक्त इंसेंटिव मौजूदा ट्रेल कमीशन के ऊपर दिया जाएगा.
एक निवेशक को एक ही इंसेंटिव
SEBI ने साफ किया है कि एक निवेशक को दो तरह के इंसेंटिव नहीं दिए जा सकते. हालांकि अगर किसी निवेशक ने B-30 इंसेंटिव नहीं लिया गया है, तो वही निवेशक महिला कैटेगरी में इंसेंटिव के लिए मान्य है. इससे डिस्ट्रीब्यूटर्स को महिला निवेशकों तक पहुंच बढ़ाने की अतिरिक्त प्रेरणा मिलेगी.
शॉर्ट-टर्म और ETF स्कीम्स को बाहर रखा गया
नई गाइडलाइन ETFs, Domestic FoFs (जिनका 80% से ज्यादा निवेश अन्य फंड में होता है) और शॉर्ट-टर्म डेट कैटेगरी जैसे ओवरनाइट, लिक्विड, अल्ट्रा शॉर्ट, और लो-ड्यूरेशन फंड्स पर लागू नहीं होगी. SEBI का लक्ष्य है कि इंसेंटिव लंबी अवधि के, रिटेल-ड्रिवन और अर्थपूर्ण निवेश को बढ़ावा देने के लिए उपयोग हो.
AMFI को 30 दिनों में SOP बनाने का आदेश
पूरे उद्योग में नई व्यवस्था को एकसमान लागू करने के लिए SEBI ने AMFI को 30 दिन के भीतर इम्प्लीमेंटेशन स्टैंडर्ड जारी करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही स्कीम डॉक्युमेंट में किए जाने वाले बदलावों को फंडामेंटल एट्रीब्यूट चेंज नहीं माना जाएगा. नया फ्रेमवर्क 1 फरवरी 2026 से प्रभावी होगा.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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