ITR में गलत जानकारी पड़ सकती है भारी, पहली बार फाइल करने वाले करते हैं ये 8 बड़ी गलतियां; ऐसे बचें

पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना आसान नहीं होता. अक्सर लोग कुछ सामान्य लेकिन महत्त्वपूर्ण गलतियां कर बैठते हैं, जिनका असर बाद में पड़ता है. कौन-सा फॉर्म चुनें, कौन-सी जानकारी दें और किन दस्तावेजों को संभालकर रखें. ऐसे कई पहलू हैं, जिन्हें समझना जरूरी है. वरना परेशानी बढ़ सकती है.

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Income Tax Return Filing: पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले लोग कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका खामियाजा उन्हें बाद में भुगतना पड़ता है. इन गलतियों में गलत ITR फॉर्म का चयन, एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में गलत जानकारी देना, सभी इनकम और लॉस को रिपोर्ट ना करना या सभी बैंक खातों की जानकारी साझा ना करना शामिल है. ऐसे में रिटर्न में देरी या गैर-जरूरी जांच पड़ताल की समस्या से लोग परेशान होते हैं. इसलिए पहली बार ITR फाइल करने वाले लोगों को इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

सही फॉर्म का चयन करें

ITR फॉर्म 7 तरह के होते हैं. यह ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6, ITR-7 के नाम से जाना जाता है. विभिन्न इनकम ग्रुप के लोग अलग-अलग फॉर्म भरते करते हैं. नीचे दिए गए टेवल में आप यह समझ सकते हैं कि आईटीआर फाइल करते समय आपको इन 7 फॉर्म में कौन सा फॉर्म भरना चाहिए.

ITR फॉर्मकिसके लिए / कब भरें
ITR-1व्यक्ति जिनकी आय ₹50 लाख तक हो, वेतन/पेंशन, एक घर से आय, अन्य स्रोत से आय
ITR-2जिनकी आय ₹50 लाख से ज्यादा हो, पूंजीगत लाभ, एक से ज्यादा मकान, विदेशी संपत्ति/आय, डायरेक्टर हों या शेयर होल्डर हों
ITR-3बिजनेस या प्रोफेशन से आय, क्रिप्टो इनकम (अगर बिजनेस इनकम के रूप में हो), फर्म के पार्टनर
ITR-4निवासी व्यक्ति या HUF जिनकी आय ₹50 लाख तक हो, और जिनकी आय प्रीसंपटिव स्कीम के तहत हो (जैसे धारा 44AD, 44ADA, 44AE)
ITR-5फर्म, LLP, AOP, BOI के लिए
ITR-6कंपनियां जो धारा 11 के तहत छूट नहीं लेती
ITR-7वे व्यक्ति या संस्थाएँ जो विशेष सेक्शन (139(4A), 139(4B), 139(4C), 139(4D)) के अंतर्गत फाइल करती हैं
Source – Cleartax

एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट और फॉर्म 26AS की जांच करें

पहली बार ITR फाइल करने वाले अपने एंपलॉयर द्वारा जारी किए गए फॉर्म 16 (Form 16) पर ही भरोसा करते हैं. AIS/TIS और फॉर्म 26AS में उपलब्ध डिटेल्स की अनदेखी करते हैं. ये डिटेल्स एंपलॉयर, बैंक, म्यूचुअल फंड और अन्य द्वारा बताई गई आय को TCS/TDS कटौती के साथ दर्शाते हैं. इसलिए 26AS फॉर्म में उपलब्ध डिटेल्स की अनदेखी ना करें.

सभी इनकम और लॉस की जानकारी दें

टैक्सपेयर्स आईटीआर फाइल करते समय टैक्स योग्य इनकम की ही जानकारी देते हैं. यह गलत प्रैक्टिस है. PPF इंटररेस्ट जैसी छूट वाली आय और कैपिटल लॉस जैसी जानकारी भी साझा करनी चाहिए. अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) का चयन करते हैं और ऐसी छूट वाली आय या घाटे की रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो इससे आपको घाटा होगा.

जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें

कई लोग टैक्स फाइल करते समय कटौतियों (deductions) का दावा तो कर देते हैं, लेकिन उससे जुड़े दस्तावेज या सबूत संभालकर नहीं रखते. यह एक बड़ी गलती है, क्योंकि अगर बाद में आयकर विभाग द्वारा जांच की गई, तो इन कटौतियों का प्रमाण दिखाना जरूरी होता है. इसलिए सभी रसीदें, निवेश प्रमाणपत्र, मेडिकल बिल, बीमा प्रीमियम जैसे दस्तावेज सही से सहेज कर रखना बहुत जरूरी है. इससे न केवल टैक्स फाइलिंग आसान होती है, बल्कि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से भी बचा जा सकता है.

सही इनकम कैटेगरी चुनें

इनकम को गलत कैटेगरी में दिखाना एक सामान्य लेकिन गंभीर गलती है. जैसे फ्रीलांसिंग इनकम को वेतन में या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन को लॉन्ग-टर्म में दिखाना. इससे टैक्स की गलत गणना हो सकती है. सही टैक्स रिटर्न भरने के लिए आय की सही कैटेगरी को समझना और ठीक से क्लासिफाई करना जरूरी है.

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विदेशी शेयर को विदेशी संपत्ति में दिखाएं

भारतीय कर्मचारी जो MNCs में काम करते हैं, अक्सर विदेशी शेयर पाते हैं. इन्हें बेचने पर मिलने वाली डिविडेंड आय और कैपिटल गेन की रिपोर्ट करना जरूरी है. विदेशी शेयरों को विदेशी संपत्ति में भी दिखाना होता है. अगर टैक्स कटा हो, तो डबल टैक्सेशन अव्यायडेस एग्रीमेंट (DTAA) के तहत राहत मिल सकती है. जानकारी छुपाने पर जुर्माना लग सकता है.

सभी बैंक खातों की जानकारी दें

पहली बार टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले सिर्फ सैलरी अकाउंट की जानकारी देते हैं. वे सेविंग और एनआरओ (Non-Resident Ordinary) की जानकारी देना उचित नहीं समझते हैं. सभी बैंक खातों को रिपोर्ट करना आवश्यक है.

e-verification कंप्लीट करें

रिटर्न फाइल करने के 30 दिन के भीतर e-verification होता है. इसे नजरअंदाज ना करें. अगर e-verification पूरा नहीं हुआ तो यह इनवैलिड माना जाएगा. ई-वेरिफिकेशन आधार, OTP, नेट बैंकिंग से पूरा किया जा सकता है.

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