2.86 फिटमेंट फैक्टर पर भी नहीं मिलेगी 51,480 सैलरी ! जानें क्यों हो सकती है कम, ऐसे लागू होता है फॉर्मूला

8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर भले अधिक हो, असली वेतन वृद्धि पर महंगाई का असर पड़ सकता है. फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा महंगाई भत्ते में जाता है. 7वें वेतन आयोग में भी फिटमेंट फैक्टर ज्यादा होने पर असली वृद्धि सिर्फ 14.2 फीसदी रही. इसीलिए, महंगाई और डीए के समायोजन के बिना, असली वेतन वृद्धि का सही आकलन नहीं हो सकता.

8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर भले अधिक हो, असली वेतन वृद्धि पर महंगाई का असर पड़ सकता है. Image Credit: Getty Images

8 Pay Commission Fitment Factor: 8वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले फिटमेंट फैक्टर को लेकर खूब चर्चा हो रही है. कई कर्मचारी संगठनों में सरकार से 2.86 फिटमेंट फैक्टर लागू करने की मांग की है, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में ज्यादा बढ़ोतरी हो. ऐसा होने पर न्यूनतम सैलरी 51,480 रुपये और पेंशन 25,740 रुपये तक बढ़ सकती है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर के सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. हालांकि अभी भी यह तय नहीं है कि आयोग कितना फिटमेंट फैक्टर लागू करेगा. लेकिन आम धारणा है कि ज्यादा फिटमेंट फैक्टर से ज्यादा सैलरी बढ़ती है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है. अगर हम महंगाई को इसमें ध्यान में रखें तो सैलरी में बढ़ोतरी महंगाई के हिसाब से नहीं होती है.

6वें और 7वें वेतन आयोग में क्या हुआ

अगर इससे पहले वाले वेतन आयोग द्वारा लागू किए गए फिटमेंट फैक्टर का एनालिसिस करें, तो पता चलता है कि इनमें महंगाई के मुकाबले सैलरी में बढ़ोतरी कम रही. उदाहरण के लिए, 7वें CPC में ₹18,000 का न्यूनतम वेतन तय किया गया था, लेकिन महंगाई को ध्यान में रखते हुए असली वेतन वृद्धि सिर्फ 14.2 फीसदी रही. वहीं, 6वें CPC में फिटमेंट फैक्टर करीब 1.86 था, लेकिन असली वेतन वृद्धि 54 फीसदी थी, जो कि सबसे ज्यादा थी.

6वें बनाम 7वें वेतन आयोग का एनालिसिस

वेतन आयोगफिटमेंट फैक्टरन्यूनतम वेतनमहंगाई समायोजन के बाद असली वृद्धि
6वां1.86 (लगभग)₹7,000 (पूर्व अनुमान)54% असली वृद्धि
7वां2.57₹18,000केवल 14.2% असली वृद्धि

क्यों होता है ऐसा

वेतन आयोग जब वेतन बढ़ाने का फैसला लेता है, तो वह पहले से तय वेतन और महंगाई को ध्यान में रखता है. केंद्रीय कर्मचारियों का असली वेतन महंगाई भत्ते (DA) से सुरक्षित किया जाता है. फिटमेंट फैक्टर का एक हिस्सा महंगाई को ध्यान में रखते हुए वेतन में समायोजन करने में जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा असली वेतन वृद्धि के रूप में कर्मचारियों को मिलता है.

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