ITR में टैक्स रिजीम स्विच करने से पहले जान लें क्या है 10-IEA फॉर्म, नहीं भरने पर कम हो सकता है रिफंड
इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय पुराने और नए टैक्स सिस्टम में से एक चुनना जरूरी है। अगर आप बिजनेस करते हैं (ITR-3/ITR-4), तो नए सिस्टम में जाने के लिए Form 10-IEA भरना होगा. नहीं भरने पर आपको न्यू टैक्स रिजीम में डाल दिया जाएगा, जिससे आपके टैक्स की गणना बदल सकती है और आपको कम रिफंड मिल सकता है.
Switch Tax regime During ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की आखिरी तारीख (नॉन-ऑडिट मामलों के लिए) नजदीक है. रिटर्न फाइल करते समय टैक्सपेयर्स के पास ये ऑप्शन होता है कि वे ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में किसी एक का चयन कर सकते हैं. अगर आप इन दोनों में से किसी भी एक टैक्स रिजीम का चयन नहीं करते हैं, तो रिटर्न न्यू टैक्स रिजीम के तहत अपने आप दाखिल हो जाएगा.
अगर आप टैक्स रिटर्न पाने की योजना ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत बनाते हैं और रिटर्न फाइल करते समय ओल्ड टैक्स रिजीम का चयन नहीं करते हैं, तो आपकी योजना पर पानी फिर सकता है. फिर आपको न्यू टैक्स रिजीम के तहत रिटर्न मिलेगा. इसलिए रिटर्न फाइल करते समय टैक्य रिजीम का चयन करना बेहद जरूरी है.
ITR-1 और ITE-2 फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स रिजीम स्विच करना बहुत ही आसान है, लेकिन ITR-3 ITR-4 कैटेगरी में आने वाले टैक्सपेयर्स को थोड़ी मशक्कत करनी होती है. उन्हें एक खास तरह का फॉर्म भरना होता है. इस फॉर्म का नाम है 10-IEA.
10-IEA फॉर्म कौन दाखिल करता है?
ITR-1 (सहज)
ITR-1 फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से कम है. सैलरी, एक मकान, या ब्याज जैसी चीजों से कमाई करने वाले टैक्सपेयर्स इस फॉर्म को भर सकते हैं. अगर आपके पास कैपिटल गेन (शेयर/प्रॉपर्टी बेचने से आय) या बिजनेस की आय है, तो यह फॉर्म नहीं भर सकते.
ITR-2
यह उन लोगों के लिए है जिनके पास कैपिटल गेन, एक से ज्यादा मकान, या विदेशी संपत्ति से कमाई होती है. लेकिन, अगर आपका बिजनेस या प्रोफेशन से आय है, तो यह फॉर्म नहीं भर सकते.
नोट – ITR-1 और ITR-2 कैटेगरी में आने वाले टैक्सपेयर्स को 10-IEA भरने की आवश्यकता नहीं है. वे रिटर्न फाइल करते वक्त ही टैक्स रिजीम स्विच कर सकते हैं.
ITR-3
यह उन लोगों के लिए है जिनकी कमाई का स्त्रोत बिजनेस या किसी प्रोफेशन से है. अगर आप किसी फर्म में पार्टनर हैं, तो भी यह फॉर्म भरना होगा.
ITR-4 (सुगम)
यह उन लोगों के लिए है जिनकी आय 50 लाख रुपये तक है और वह प्रेजम्प्टिव टैक्स (सेक्शन 44AD, 44ADA, 44AE) के तहत टैक्स भरते हैं. यह फॉर्म किसी व्यक्ति, HUF (Hindu Undivided Family), या फर्म (LLP नहीं) के लिए है.
नोट – इन दो कैटेगरी में आने वाले टैक्सपेयर्स को 10-IEA फॉर्म भरना जरूरी है. अगर वे इसे नहीं भरते हैं, तो उन्हें न्यू टैक्स रिजीम के अंदर रखा जाएगा.
टैक्स रिजीम कैसे बदलें?
ITR-1 और ITR-2
अगर आप ITR-1 या ITR-2 दाखिल कर रहे हैं और आपका बिजनेस/प्रोफेशन से आय नहीं है, तो आप आसानी से टैक्स रिजीम बदल सकते हैं. ITR फॉर्म में एक सवाल पूछा जाता है कि क्या आप नए टैक्स रिजीम से बाहर निकलना चाहते हैं (सेक्शन 115BAC(6) के तहत).
अगर आप हां चुनते हैं, तो आपका टैक्स पुराने रिजीम के हिसाब से लगेगा.
अगर आप नहीं चुनते हैं, तो आपका रिटर्न न्यू टैक्स रिजीम के तहत दाखिल होगा.
ITR-3 और ITR-4
अगर आप ITR-3 या ITR-4 दाखिल कर रहे हैं, तो आप लाइफ में सिर्फ एक बार न्यू टैक्स रिजीम में जा सकते हैं. इसके बाद आप ओल्ड टैक्स रिजीम में वापस नहीं आ सकते. नए रिजीम में जाने के लिए आपको Form 10-IEA भरना होगा. यह फॉर्म उन लोगों के लिए जरूरी है जिनकी आय बिजनेस या किसी प्रोफेशन से है.
Form 10-IEA कैसे भरें?
इन आसान स्टेप्स को फॉलो करके आप Form 10-IEA भर सकते हैं. ध्यान रहे कि Form 10-IEA को सेक्शन 139(1) के तहत बताई गई समय सीमा में जमा करना होगा.
- इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं और अपने PAN और पासवर्ड से लॉगिन करें.
- e-File सेक्शन में जाएं और Income Tax Forms चुनें.
- Form 10-IEA चुनें.
- अपनी आय, डिडक्शन और छूट से जुड़ी सभी जानकारी सही-सही भरें.
- फॉर्म सबमिट करें और e-Verify सेक्शन में जाकर प्रक्रिया पूरी करें.
अगर Form 10-IEA भरा तो क्या होगा?
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, नोयडा की रहने वाली अल्का शर्मा नाम की एक टैक्सपेयर ने पिछले साल रिफंड पाने की योजना ओल्ड टैक्स रिजीम के अनुसार बनाया था, लेकिन Form 10-IEA नहीं भरा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उन्हें न्यू टैक्स रिजीम के तहत रखा. इस वजह से उन्हें 57,000 रुपये की रिफंड की बजाय 42,000 रुपये ही रिफंड मिला. इसलिए अगर आप भी ये गलती करते हैं, तो आपको भी रिफंड की राशि में बदलाव दिख सकता है.
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