डिजिटल रुपया कर रहा कमाल, 180 फीसदी बढ़ा सर्कुलेशन, जानें कहां होता है यूज
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ दो साल में ही इसमें 180 गुना की बढ़ोतरी हुई है. मार्च 2023 में डिजिटल रुपये का खुदरा मूल्य 5.7 करोड़ रुपये था. यह मार्च 2025 में बढ़कर 1,016 करोड़ से अधिक हो गया. आइए जानते हैं कि डिजिटल करेंसी को लेकर आरबीआई की नीति क्या है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डिजिटल करेंसी (डिजिटल रुपया) के चलन से संबंधित एक रिपोर्ट पेश की है. आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ दो साल में ही इसमें 180 गुना की बढ़ोतरी हुई है. मार्च 2023 में डिजिटल रुपये का खुदरा मूल्य 5.7 करोड़ रुपये था. यह मार्च 2025 में बढ़कर 1,016 करोड़ से अधिक हो गया. आइए जानते हैं कि डिजिटल करेंसी को लेकर आरबीआई की नीति क्या है, क्या ये लीगल क्रिप्टोकरेंसी हैं और आरबीआई का डिजिटल रुपया परंपरागत रुपये से कैसे अलग है?
हाल के आंकड़े
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ दो साल में, डिजिटल रुपये में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुई है. बाजार में 2023 में 5.7 करोड़ रुपये मूल्य के डिजिटल रुपया था. मार्च 2025 तक यह बढ़कर 1,016 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. मतलब दो साल में इसमें 180 गुना की बढ़ोतरी हुई है.
डिजिटल रुपया है क्या? इसका इस्तेमाल कैसे होता है?
डिजिटल रुपया एक डिजिटल करेंसी है. ये आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है. ये भारतीय रुपये का टोकन फॉर्म है जो डिजिटल रूप में मौजूद है. बैंक ग्राहकों को एक ऐप उपलब्ध कराता है. इस ऐप के जरिए कंज्यूमर अपने खातों से INR को डिजिटल रुपये में बदल सकता है और स्कैन कोड का उपयोग करके लेन-देन शुरू कर सकता है.
इस पर ब्याज मिलता है?
बैंक जमा पर ब्याज तो मिलता है, लेकिन डिजिटल रुपये पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं मिलता.
कब हुई इसकी शुरूआत?
आरबीआई ने साल 2022 के अंत पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरूआत की थी. दो साल पहले बाजार में डिजिटल रुपये की संख्या 1,710,000 थी. मार्च 2025 तक यह बढ़कर 49,410,000 हो गया. मात्र दो साल में इसमें 29 गुना बढ़ोतरी हुई. यह करेंसी अभी आम लोगों के इस्तेमाल के लिए नहीं है. वित्त वर्ष 2025 में कुल डिजिटल रुपये के मूल्य में सबसे अधिक हिस्सेदारी 500 रुपये के नोट के थे. इसकी हिस्सेदारी 84 फीसदी से अधिक था.
कौन कर सकता है इस्तेमाल?
रिजर्व बैंक ने 8 बैंकों का चयन किया है जो डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए योग्य हैं. पहले चरण में SBI, ICICI बैंक, Yes बैंक, और IDFC फस्ट बैंक और दूसरे चरण में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, बैंक ऑफ बरोदा और कोटक महिंद्रा बैंक इसमें भाग लेंगे. ये बैंक ग्राहकों को ऐप उपलब्ध कराते हैं जिसके माध्यम से ग्राहक डिजिटल रुपया खरीद सकते हैं. मौजूदा वक्त में नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में रहने वाले लोग ही डिजिटल करेंसी खरीद सकते हैं.
आरबीआई के क्या हैं लक्ष्य?
आरबीआई डिजिटल रुपये के जरिए देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन, फाइनेंशियल इंक्लूजन और कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देना चाहता है. इसके साथ ही डिजिटल धोखाधड़ी को भी कम करने के लक्ष्य हैं. धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की गुंजाइश कम हो जाती है क्योंकि प्रत्येक ट्रांजेक्शन को ट्रैक और रिकॉर्ड किया जा सकता है.
क्या ये क्रिप्टेकरेंसी है?
क्या डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी है? तो इसका जवाब है नहीं. आरबीआई का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी नहीं है क्योंकि जहां डिजिटल रुपया एक लीगल टेंडर करेंसी है वहीं क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर करेंसी नहीं है. डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है. ये भी अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत ही काम कर रही है. इसका इस्तेमाल आम लोगों के लिए शुरू नहीं किया गया है. क्रिप्टोकरेंसी का जारीकर्ता कौन है इसकी कोई जानकारी नहीं है. 2008 में सातोशी नाकामोटो नाम के किसी व्यक्ति ने इसकी शुरूआत की थी. इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
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