ITR फाइलिंग का आ गया समय, जानें किन्हें देना होगा जीरो इनकम टैक्स, समझ लें पूरे नियम
ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है. क्या आप जानते हैं कि कुछ मामलों में आपकी आमदनी लाखों में होने के बावजूद भी आपको एक भी रुपया टैक्स नहीं देना पड़ सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 के बजट में बड़ा ऐलान किया. जिसके तहत अब अगर आपकी सालाना इनकम लाखों रुपये तक रहे फिर भी आपको कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा.
Who Qualifies for Zero Income Tax: अगर आपकी आमदनी टैक्स स्लैब में आती है, तो इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना जरूरी है. इस बार सैलरीड क्लास के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ मामलों में आपकी आमदनी लाखों में होने के बावजूद भी आपको एक भी रुपया टैक्स नहीं देना पड़ सकता. चलिए जानते हैं कैसे.
कितना कमाएं कि टैक्स न देना पड़े?
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इनकम टैक्स नियमों में कुछ बड़े बदलाव हुए हैं. अगर आप नई टैक्स व्यवस्था (New tax regime) चुनते हैं और आपकी कुल आमदनी 12 लाख तक है, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इसके अलावा सरकार ने सैलरीड क्लास के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी बढ़ाकर 75,000 कर दिया है (पहले 50,000 था). इसका मतलब ये है कि अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं और आपकी आय 12.75 लाख रुपये तक है, तो आप जीरो टैक्स के दायरे में आ सकते हैं.
सभी को नहीं मिलेगा फायदा
हालांकि यह फायदा हर किसी पर लागू नहीं होता. इसका फायदा तभी मिलेगा जब आप नई टैक्स व्यवस्था चुनते हैं, जिसमें कई पुरानी कटौतियां और छूट नहीं मिलती जैसे हाउस रेंट अलाउंस, होम लोन ब्याज, सेक्शन 80C के तहत निवेश आदि. ऐसे में अगर आप इन कटौतियों का फायदा उठाते हैं, तो पुराने सिस्टम में रहना होगा. हालांकि पुरानी टैक्स रिजीम में उम्र के अनुसार टैक्स फ्री लिमिट भी इसमें एक विशेष लाभ देती है. जिसके तहत 60 वर्ष से कम वालों को 2.5 लाख तक टैक्स फ्री. 60 से 79 वर्ष (वरिष्ठ नागरिक) को 3 लाख रुपये तक टैक्स फ्री. वहीं 80 वर्ष और उससे ऊपर (अति वरिष्ठ नागरिक) को 5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री है.
किसे नहीं देना पड़ेगा एक भी रुपया
आपको कौन-सी व्यवस्था चुननी चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी कटौतियां और छूट क्लेम कर सकते हैं. अगर आपके पास होम लोन, बीमा और सेक्शन 80C के तहत कई निवेश हैं, और न्यू टैक्स रिजीम में ज्यादा टैक्स देनदारी बनती है तो पुरानी व्यवस्था आपके लिए बेहतर हो सकती है. वहीं अगर आप कम डॉक्यूमेंट झंझट और आसान प्रक्रिया चाहते हैं, तो नई व्यवस्था आपकी जेब के लिए हल्की और दिमाग के लिए आसान साबित हो सकती है. ऐसे में आईटीआर भरने से पहले दोनों टैक्स व्यवस्थाओं की तुलना जरूर करें. थोड़ी सी समझदारी और सही ऑप्शन चुनने से आप पूरी तरह टैक्स से बच सकते हैं.
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