वयस्कों के लिए आधार कार्ड बनवाना हुआ मुश्किल, UIDAI अब पासपोर्ट, पैन और राशन कार्ड डाटा का करेगा उपयोग

UIDAI ने आधार पंजीकरण की प्रक्रिया सख्त कर दी है, खासकर वयस्कों के लिए. अब पासपोर्ट, पैन, राशन कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच होगी. UIDAI का उद्देश्य केवल योग्य और सत्यापित नागरिकों को ही आधार देना है.

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Aadhaar Rules for Adults: यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी UIDAI ने आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया को और सख्त कर दिया है. यह सख्ती विशेष रूप से एडल्ट्स के लिए की गई है. अब केवल वही एडल्ट्स आधार कार्ड बनवा सकेंगे, जिनकी पहचान और दस्तावेज पूरी तरह से सत्यापित होंगे. जहां पहले आधार को केवल पहचान पत्र के रूप में देखा जाता था, वहीं अब सरकार इसे और अधिक सुरक्षित और प्रमाणिक बनाने की दिशा में काम कर रही है. UIDAI इस सत्यापन के लिए पासपोर्ट, राशन कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट और मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट जैसे ऑनलाइन डेटाबेस का उपयोग करेगी, ताकि एडल्ट्स के नामांकन और अपडेट के दौरान आधार को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सके.


UIDAI की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इस नियम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल सही और योग्य नागरिकों को ही यह यूनिक आईडी मिले. UIDAI ने इस दिशा में कई अहम बदलाव किए हैं, जिनमें अब आधार बनवाने के लिए दस्तावेजों की गहराई से जांच होगी और कई सरकारी डेटाबेस से जानकारी की पुष्टि की जाएगी.

आधार केवल पहचान का सबूत है, नागरिकता का नहीं

आधार अधिनियम की धारा 9 यह स्पष्ट करती है कि आधार नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है. फिर भी, नए तकनीकी उपायों की मदद से अब केवल भारतीय नागरिक ही आधार नंबर हासिल कर सकेंगे. UIDAI अब आधार पंजीकरण के लिए पासपोर्ट, राशन कार्ड, जन्म और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र जैसी ऑनलाइन जानकारी का उपयोग करेगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि व्यक्ति असली है या नहीं, और आधार सिस्टम को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सके.

15 साल में बन चुके हैं 140 करोड़ आधार

पिछले 15 सालों में देश में 140 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी हो चुके हैं, जिनमें से कई धारक अब जीवित नहीं हैं. ऐसे में सरकार का फोकस अब उन नए एडल्ट्स पर है, जो पहली बार आधार के लिए आवेदन कर रहे हैं. इस प्रक्रिया को अब और अधिक कड़ा किया जा रहा है.

अवैध प्रवासियों को रोकने का भी है मकसद

सरकार का कहना है कि, बीते सालों में अवैध प्रवासियों द्वारा जाली दस्तावेजों के जरिए आधार बनवाने के मामले सामने आए हैं. इन्हें रोकने के लिए राज्यों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे दस्तावेजों की पूरी जांच करें. अब किसी को भी आधार तभी मिलेगा जब राज्य पोर्टल के माध्यम से उसकी पहचान की पुष्टि हो जाएगी. ऐसे में अब किसी अवैध प्रवासी के लिए आधार बनवाना आसान नहीं होगा. पहले जहां नियम ढीले थे, अब उनकी जगह सख्त मानक लागू हो चुके हैं. सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर किसी ने पहले जाली आधार का उपयोग कर मतदाता सूची में नाम जुड़वा भी लिया हो, तो अब नए प्रवासियों के लिए ऐसा कर पाना लगभग असंभव होगा. आधार को दस्तावेजी रास्ते से नागरिकता पाने का माध्यम नहीं बनने दिया जाएगा.

दस्तावेजों से होगी दोहरी जांच

UIDAI ने एक नया टूल भी तैयार किया है, जिससे आधार पंजीकरण और अपडेट के दौरान दस्तावेजों की दूसरी परत से जांच की जाएगी. इसमें ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मनरेगा डेटा और आगे चलकर बिजली बिल जैसी जानकारियों को ऑनलाइन सत्यापित किया जाएगा. ये सभी दस्तावेज केंद्रीय KYC के मानकों के अनुरूप होंगे, जिससे पहचान की एकरूपता सुनिश्चित हो सकेगी.

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