नहीं चुकाया पर्सनल लोन तो बैंक लेते हैं ये 4 एक्शन, परेशानी से बचने के लिए करे ये काम
आजकल पर्सनल लोन लेना बेहद आसान हो गया है. कभी बैंक खुद ऑफर कर देते हैं, तो कभी बस एक क्लिक से लोन आपके खाते में आ जाता है. पर क्या यह सुविधा जितनी आसान दिखती है, उतनी ही सुरक्षित भी है? समय पर EMI ना चुकाने पर बैंक की सख्ती, क्रेडिट स्कोर गिरना और कानूनी पचड़े जैसी कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं.
Personal Loan Default: आज के वक्त में पर्सनल लोन लेना इतना आसान हो गया है कि आप नहीं भी चाहो तो बैंक आप आपको अप्रोच करते हैं. एक क्लिक या हामी भरने पर कर्ज आसानी से मिल जा रहा है. लेकिन कर्ज लेने तक ही बात सीमित नहीं रहती है. समय पर उसकी EMI भी भरना पड़ता है. लगातार 3 महीने तक ईएमआई का भुगतान नहीं करने पर बैंक आपके दरवाजे तक दस्तक दे देता है. एक वक्त के बाद आपका लोन डिफॉल्ट की कैटेगरी में डाल दिया जाता है. ऐसे में बैंक या वित्तीय संस्थान कर्ज लेने वाले से लोन रिकवर करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं, तो चलिए समझते हैं कि अगर आपने पर्सनल लोन लिया है और वह डिफॉल्ट हो जाए तो आपको किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
देना होगा लेट पेमेंट पर चार्ज
अधिकांश बैंक पर्सनल लोन की ईएमआई ऑटो-डेबिट के जरिए लोन लेने वाले व्यक्ति के खाते से वसूलते हैं. अगर EMI पेमेंट फेल होता है, तो बैंक पेनाल्टी वसूलते हैं, जैसे HDFC बैंक 450 रुपये, ICICI बैंक 500 रुपये चार्ज करता है. इसके अलावा, देर से लेट पेमेंट पर चार्ज भी लगता है. HDFC बैंक बकाया राशि पर 1.50 फीसदी प्रति माह (18 फीसदी सालाना) और ICICI बैंक 5 फीसदी सालाना लेट पेमेंट चार्ज वसूलते हैं. कुछ बैंकों में सात दिन की ग्रेस पीरियड भी मिलती है.
क्रेडिट स्कोर होगा खराब
RBI के निर्देशों के अनुसार, बैंकों को पर्सनल लोन की ईएमआई में देरी की जानकारी हर 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो को देनी होती है. इससे ग्राहक का क्रेडिट स्कोर तेजी से गिर जाता है. बाद में समय पर भुगतान करने पर भी स्कोर धीरे-धीरे ही सुधरता है.
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रिकवरी एजेंट आ सकते हैं घर
पर्सनल लोन की ईएमआई डिफॉल्ट होने पर बैंक फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल और व्हाट्सऐप के जरिए पेमेंट रिमाइंडर भेजता है. तय समय में भुगतान ना होने पर मामला रिकवरी एजेंसी को सौंप दिया जाता है, जो घर या ऑफिस आकर वसूली की कोशिश करती है. साथ ही गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता है.
हो सकती है कानूनी कार्रवाई?
बार-बार याद दिलाने के बाद भी भुगतान ना होने पर बैंक कानूनी नोटिस भेजकर कार्रवाई शुरू करता है, जिसमें गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता है. डिफॉल्ट की रिपोर्ट क्रेडिट रिपोर्ट में सालों तक रहती है, जिससे नया लोन या क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल हो जाता है.
लोन डिफॉल्ट से कैसे बचें?
अपने क्रेडिट स्कोर को बनाए रखने और लोन डिफॉल्ट होने पर बैंक की ओर से होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए एक साधारण तरीका है कि आप समय पर EMI का भुगतान करते रहें. लेकिन अगर आप लोन लेने से पहले कुछ तरीके अपनाते हैं तो आपको कर्ज चुकाने में दिक्कत नहीं आएगी
- इमरजेंसी में पैदा होने वाली चुनौतियों से बचने के लिए इमरजेंसी फंड तैयार रखें. कम से कम इतना फंड तो तैयार रखें जिससे आप 6 से 12 महीने तक ईएमआई चुका सकें.
- कुल मासिक आय में, EMI 30 से 40 फीसदी के अंदर होनी चाहिए. इससे बजट पर नियंत्रण बना रहता है और डिफॉल्ट की गुंजाइश कम होती है.
- अचानक बड़े खर्च जैसे कि अस्पताल या बीमारी से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी है.
- कर्ज लेने से पहले यह समझ लें कि वह अच्छा कर्ज यानी आय बढ़ाने में मदद करने वाला है या खराब कर्ज है. खासकर लग्जरी आइटम को खरीदने लिए कर्ज लेने से बचें.
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