ITR रिफंड अटकने से टैक्सपेयर परेशान, एक्सपर्ट बोले इस वजह से फंसा, जानें अब क्या है ऑप्शन?
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के बाद अब टैक्सपेयर रिफंड का इंतजार कर रहा है.रिफंड की रकम को लेकर सबके अपने-अपने प्लान हैं. लेकिन, प्रॉसेसिंग में हो रही देरी से लोग खासे परेशान हैं. सोशल मीडिया से लेकर घर-दफ्तर तक इस मुद्दे की चर्चा हो रही है. बहरहाल, यहां एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि आखिर देरी की वजह क्या है और आप अपने रिफंड का स्टेटस कैसे चेक कर सकते हैं?
आमतौर पर ITR रिफंड कुछ ही दिनों के भीतर मिल जाता है. लेकिन, तमाम टैक्सपेयर्स की शिकायत है कि इस बार हफ्तों बीतने के बाद भी रिफंड नहीं मिला है. खासकर उन लोगों का रिफंड अटका हुआ है, जिनकी रकम बड़ी है. दिवाली से ठीक पहले हर कोई रिफंड का इंतजार कर रहा है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और अगर रिफंड लेट हो तो करदाता क्या कर सकते हैं विस्तार से जानते हैं.
सरकार ने मांगी ज्यादा जानकारी
चार्टर्ड अकाउंटेंट मिहिर सिंह का कहना है कि इस बार रिफंड प्रोसेस धीमा है. कई लोग तो ऐसे हैं जिनका कोई रिफंड नहीं बनता, उन्हें केवल रिटर्न फाइल करना था, उनकी भी प्रोसेसिंग अटकी हुई है. देरी की एक वजह यह भी लगती है कि इस बार सरकार ने टैक्सपेयर से ज्यादा इंफॉर्मेशन मांगी है, इसकी वजह से आईटीआर यूटीलिटी सॉफ्टवेयर अपडेशन का भी इश्यू भी बना हुआ है. इस कारण भी ग्लिच काफी हुआ और टैक्सपेयर परेशान हुए. बढ़ते टैक्सपेयर की संख्या को देखते हुए अंतिम तारीख के आसपास ज्यादा रिटर्न फाइलिंग की वजह से भी प्रोसेसिंग पर बोझ बढ़ा है. जहां तक टैक्सपेयर की बात है तो उसके हाथ में फिलहाल इंतजार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. हमें जो विभाग से जानकारी मिल रही है. उसके अनुसार, विभाग सारे प्रोसेस को जल्द से जल्द निपटाने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है. उम्मीद है कि यह दिक्कतें जल्द खत्म हो जाएंगी.
सोशल मीडिया पर भड़के लोग
रिफंड में हो रही देरी को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने तीन महीने पहले रिटर्न फाइल किया, लेकिन फिर भी सितंबर तक उन्हें रिफंड नहीं मिला है. एक यूजर ने लिखा, सभी नियम आम लोगों पर लागू होते हैं. रिटर्न फाइल करने में देरी हो जाए, तो भारी-भरकम पेनाल्टी लगा दी जाती है. वहीं, जब रिफंड मे देरी हो रही है, तो मानो कुछ हुआ ही नहीं है.
क्यों हो रही देरी?
The Richness Academy के फाउंडर व फाइनेंशियल प्लानर तरेश भाटिया कहते हैं. रिफंड में देरी अक्सर ITR में दी गई जानकारी और विभाग के पास मौजूद डाटा के मैच नहीं होने पर होती है. मसलन, फॉर्म 26AS, AIS या TDS डाटा में अंतर पाया जाता है, या फिर बड़े लेनदेन होने पर एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन शुरू हो जाता है. वहीं पीक फाइलिंग सीजन में बैकलॉग भी प्रक्रिया धीमी कर देता है. अगर रिटर्न प्रोसेस हो गया है. लेकिन पैसा खाते में नहीं आया तो पोर्टल पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए या सीपीसी हेल्पलाइन पर संपर्क करना चाहिए. इसके साथ ही बैंक खाता एक्टिव और प्री-वैलिडेटेड होना जरूरी है, ताकि रिफंड क्रेडिट में देरी न हो.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर टैक्सपेयर्स की शिकायतें रिफंड की चिंता तो दिखाती हैं और सिस्टम की खामियों की ओर भी ध्यान दिलाती हैं, लेकिन असली और असरदार रास्ता अब भी आधिकारिक चैनल ही हैं. जैसे सही वेरिफिकेशन, पोर्टल पर शिकायत और नोटिस का समय पर जवाब. मैंने खुद समय सीमा यानी 15 सितंबर से पहले ITR फाइल किया था और मुझे खुशी है कि आयकर विभाग ने मेरा रिफंड बहुत तेजी से प्रोसेस कर दिया.
रिफंड लेट होने पर क्या करें
टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि रिफंड लेट होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. सिंपल रिटर्न और छोटी रकम का रिफंड अक्सर जल्दी प्रोसेस हो जाता है. जबकि, बड़ी रकम या डाटा में गड़बड़ी होने पर जांच लंबी चल सकती है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कई बार देरी की वजह रिफंड की रकम का आकार नहीं होता, बल्कि टैक्सपेयर्स की छोटी-छोटी गलतियां भी हो सकती हैं.
अगर ई-वेरिफिकेशन समय पर नहीं किया गया, तो रिटर्न प्रोसेस शुरू ही नहीं होता. कई बार बैंक खाता प्री-वैलिडेट नहीं किया होता या खाता बंद हो चुका होता है. ऐसे मामलों में भी रिफंड लटक जाता है. इसके अलावा कभी-कभी नाम और पैन कार्ड के विवरण में विसंगति या गलत IFSC कोड देने की वजह से भी दिक्कत आती है. वहीं, अगर किसी टैक्सपेयर के खिलाफ पुराने टैक्स ड्यूज पेंडिंग हैं, तो विभाग रिफंड को उससे एडजस्ट कर सकता है. इसके साथ ही पैन और आधार लिंक नहीं होने पर भी रिफंड होल्ड हो सकता है.
टैक्सपेयर के लिए जरूरी है कि वह समय पर ई-वेरिफिकेशन करें, बैंक खाता प्री-वैलिडेटेड रखें और किसी भी नोटिस का तुरंत जवाब दें.अगर इसके बाद भी रिफंड लेट होता है तो ऑनलाइन शिकायत और हेल्पलाइन का सहारा लिया जा सकता है.
कहां करें शिकायत?
इसके अलावा, सीपीसी के टोल-फ्री नंबरों पर कॉल कर सकते हैं 1800 103 0025, 1800 419 0025 या फिर +91-80-46122000 और +91-80-61464700. सोशल मीडिया पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है क्योंकि विभाग इन पर सक्रिय है. लगातार देरी होने पर CPGRAMS के जरिए भी मुद्दा उठाया जा सकता है.
रिफंड का स्टेटस कैसे चेक करें?
अगर आपको लगता है कि आपका रिफंड लेट हो रहा है, तो सबसे पहले उसका स्टेटस चेक करें. इसके लिए इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगइन करें. फिर ई-फाइल सेक्शन में जाएं और ‘View Filed Returns’ ऑप्शन चुनें. यहां से आप अपने रिटर्न की प्रोसेसिंग और रिफंड/डिमांड की स्थिति देख सकते हैं.
कितने रिटर्न भरे गए?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 23 सितंबर, 2025 तक देशभर में 7.57 करोड़ से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने अपना रिटर्न फाइल किया है. इनमें से करीब 6.87 करोड़ रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है. वहीं, 5.01 करोड़ से ज्यादा रिटर्न प्रोसेस भी कर लिए गए हैं. इसका मतलब है कि अब भी करीब 1.86 करोड़ रिटर्न लंबित हैं.
ई-वेरिफिकेशन के बाद कितने समय में आता है रिफंड?
आम तौर पर जब कोई रिटर्न भरने के बाद ई-वेरिफिकेशन पूरा कर लेता है, तो चार से पांच सप्ताह के भीतर रिफंड बैंक खाते में आ जाता है. अगर सिंपल रिटर्न सरल है और ITR-1 या ITR-2 के जरिए दाखिल किया गया है, तो रिफंड और भी जल्दी प्रोसेस हो जाता है.
क्यों जल्दी मिलता है सिंपल रिटर्न का रिफंड
सिंपल रिटर्न में जहां फॉर्म 26AS, AIS और TDS का पूरा विवरण सही तरह से मेल खा रहा हो, वहां इनकम टैक्स विभाग को रिटर्न प्रोसेस करने में ज्यादा समय नहीं लगता. ऐसे मामलों में कई बार ई-वेरिफिकेशन के तुरंत बाद ही रिफंड मिल जाता है.
बड़ी रकम वाले रिफंड में क्यों हो रही देरी?
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स व टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि बड़ी रकम वाले रिफंड्स को डिपार्टमेंट की तरफ से गहन जांच के दायरे में रखा जाता है. हालांकि कानून के मुताबिक छोटे और बड़े दोनों तरह के रिफंड्स पर समान नियम लागू होते हैं, लेकिन व्यवहारिक तौर पर बड़ी रकम वाले मामलों में जांच थोड़ी लंबी चल सकती है.
फॉर्म में अंतर से भी आती है अड़चन
अगर फॉर्म 26AS, AIS या TIS में दी गई जानकारी और रिटर्न में दिखाई गई आय या टैक्स डिडक्शन मेल नहीं खाते हैं, तो जांच लंबी चल सकती है. ऐसे मामलों में टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजा जाता है और समय पर जवाब नहीं देने पर रिफंड अटक जाता है.
क्या बड़ी रकम का मतलब हमेशा लेट रिफंड है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि बड़ी रकम वाले रिफंड ही लेट हों. कई बार छोटी रकम के रिफंड भी हफ्तों तक अटके रहते हैं, जबकि कुछ मामलों में 10 हजार रुपये तक के रिफंड उसी दिन मिल जाते हैं, जिस दिन ई-वेरिफिकेशन होता है. असल में, रिफंड की स्पीड बैच प्रोसेसिंग और डाटा मैचिंग पर निर्भर करती है.
लेट रिफंड पर मिलता है ब्याज
अगर आपका रिफंड समय पर नहीं मिलता है, तो इनकम टैक्स विभाग की तरफ से रिफंड की रकम पर ब्याज दिया जाता है. आयकर अधिनियम की धारा 244A के तहत, TDS, TCS या एडवांस टैक्स से जुड़ा रिफंड अगर देरी से जारी होता है, तो विभाग 0.5% प्रतिमाह की दर से ब्याज देता है. मिसाल के तौर पर अगर किसी ने 1 सितंबर, 2025 को ITR फाइल किया और 10,000 रुपये का रिफंड बनता है. अगर रिफंड 24 सितंबर, 2025 को जारी होता है तो यह अप्रैल 2025 से सितंबर 2025 तक छह महीने की देरी मानी जाएगी. ऐसे में ब्याज की रकम होगी 10,000 × 0.5% × 6 = 300 रुपये. यानी करदाता को कुल 10,300 रुपये मिलेंगे.
क्या रिफंड रोका जा सकता है?
अगर आपके खिलाफ असेसमेंट या रीअसेसमेंट की कार्यवाही चल रही है, तो रिफंड रोका जा सकता है. यह रोक धारा 245(2) के तहत लगाई जाती है, लेकिन इसके लिए इनकम टैक्स कमिश्नर या प्रिंसिपल कमिश्नर की मंजूरी जरूरी होती है. इस स्थिति में भी रिफंड अधिकतम 60 दिनों तक ही रोका जा सकता है.