PPF से लें लोन या पर्सनल लोन? कौन है ज्यादा फायदेमंद, दोनों में क्या है फर्क
इस दिवाली पर खर्चों के लिए लोन लेते समय पीपीएफ-आधारित लोन और पर्सनल लोन के बीच अंतर समझना जरूरी है. पीपीएफ लोन सुरक्षित, ब्याज दर वाला होता है जबकि पर्सनल लोन क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है. पर्सनल लोन बड़ी वित्तीय जरूरतों के लिए उपयुक्त है और अधिक लचीलापन देता है. आइये दोनों के फीचर को समझते हैं.
PPF लोन vs पर्सनल लोन Image Credit: canva
इस दिवाली पर अगर आप कुछ खर्चों को पूरा करने के लिए लोन लेने की योजना बना रहे हैं तो आपके पास कई अलग-अलग विकल्प मौजूद हैं. इनमें से दो विकल्प हैं पीपीएफ-आधारित लोन और पर्सनल लोन. पीपीएफ-आधारित लोन सुरक्षित, कम ब्याज दर वाले होते हैं और पीपीएफ राशि के 25% तक सीमित होते हैं. दूसरी ओर, पर्सनल लोन असुरक्षित होता है और यह लोन लेने वाले की साख पर यानि क्रेडिट पर आधारित होता है. इसके अलावा, पर्सनल लोन बड़ी वित्तीय जरूरतों, जैसे शादी, यात्रा, शिक्षा और मेडिकल सर्जरी के लिए आइडियल होते हैं और उधार ली गई धनराशि के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है. ये दोनों ही लोन सुविधाजनक हैं लेकिन इनमें कुछ अहम अंतर भी हैं जिन्हें जानना जरूरी है ताकि आप समझदारी से फैसला ले सकें.
पीपीएफ पर लोन और पर्सनल लोन की तुलना
फीचर | पीपीएफ पर लोन | पर्सनल लोन |
---|---|---|
लोन राशि | पीपीएफ बैलेंस का अधिकतम 25% तक | क्रेडिट स्कोर और इनकम के आधार पर |
ब्याज दर | सामान्यतः पीपीएफ दर से 1-2% अधिक (~7.1%) | 9.99% प्रति वर्ष से शुरू (प्रमुख बैंकों से) |
जमानत (Collateral) | पीपीएफ बैलेंस द्वारा सुरक्षित | अनसिक्योर्ड |
भुगतान अवधि (Repayment Tenure) | अधिकतम 36 महीने तक | 12 से 60 महीने तक, अधिक लचीलापन |
प्रति वर्ष ऋणों की संख्या | प्रति वित्तीय वर्ष में एक बार | क्रेडिट स्कोर और रिपेमेंट क्षमता के आधार पर वर्ष में कई बार |
पीपीएफ बैलेंस पर प्रभाव | यदि समय पर भुगतान किया जाए तो ब्याज मिलता रहता है | कोई प्रभाव नहीं |
उपयोग प्रतिबंध | कोई प्रमुख प्रतिबंध नहीं | कोई प्रतिबंध नहीं |
प्रोसेसिंग समय | लंबी और औपचारिक प्रक्रिया | पात्रता पूरी होने पर तेज ऑनलाइन वितरण |
पर्सनल लोन के जोखिम
- उच्च ब्याज दरें: पर्सनल लोन पर ब्याज दरें अन्य सिक्योर्ड लोन की तुलना में अधिक होती हैं, जिससे कुल रिपेमेंट राशि बढ़ जाती है.
- क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव: समय पर EMIs न चुकाने पर आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेना कठिन हो जाता है.
- कोलेटरल से जुड़ा जोखिम: पर्सनल लोन के कुछ मामलों में कोलेटरल वाले लोन में संपत्ति खोने का खतरा रहता है.
- लोन का बोझ बढ़ना: एक से अधिक पर्सनल लोन लोन लेने पर कर्ज का दबाव बढ़ सकता है. इससे आपकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है.
- साइकोलॉजिकल प्रभाव: कर्ज का बोझ तनाव और मानसिक दबाव का कारण भी बन सकता है.