लोन लिया है? तो टैक्स में छुपा है बड़ा फायदा! होम, एजुकेशन, गाड़ी और पर्सनल लोन का पूरा खेल समझिए एक्सपर्ट से
लोन सिर्फ जरूरत नहीं, सही योजना हो तो टैक्स बचत का मजबूत जरिया भी बन सकता है. अलग-अलग तरह के लोन पर आयकर कानून क्या राहत देता है और कहां सावधानी जरूरी है, यही समझना हर उधार लेने वाले के लिए सबसे अहम है.
“वह गरीब है, उसका पड़ोसी भी गरीब है. वे कैसे काम चलाते हैं? वे एक-दूसरे से उधार लेते हैं.”
यह मेरा पसंदीदा कथन है और यह हम सभी के जीवन में उधार (Borrowing) की अहमियत को बहुत सरलता से समझाता है. यह लेख अलग-अलग तरह के लोन पर मिलने वाले टैक्स लाभों की जानकारी देता है.
होम लोन पर टैक्स लाभ
आयकर अधिनियम की धारा 24(b) के तहत, घर खरीदने, निर्माण करने, मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए लिए गए कर्ज पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स में छूट मिलती है. यह छूट रिहायशी और कमर्शियल, दोनों तरह की संपत्तियों पर लागू होती है. होम लोन से जुड़े प्रोसेसिंग फीस और प्रीपेमेंट चार्ज भी आयकर के हिसाब से ब्याज ही माने जाते हैं और इन पर भी छूट मिलती है.
यह जरूरी नहीं है कि लोन बैंक से ही लिया गया हो. यदि आपने यह पैसा दोस्तों या रिश्तेदारों से उधार लिया है और यह साबित कर सकते हैं कि पैसा तय उद्देश्य के लिए ही इस्तेमाल हुआ है, तो भी छूट मिल सकती है. लोन का नाम “होम लोन” होना भी जरूरी नहीं है. आप कितनी छूट ले सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मकान खुद के रहने के लिए है या किराए पर दिया गया है, और आपने पुराना टैक्स सिस्टम (Old Tax Regime) चुना है या नया टैक्स सिस्टम (New Tax Regime).
पुराने टैक्स सिस्टम में अगर मकान किराए पर दिया गया है, तो ब्याज पर पूरी छूट मिलती है. अगर मकान खुद के रहने के लिए है, तो अधिकतम ₹2 लाख तक ही ब्याज की छूट मिलती है.
अगर आपके पास दो से ज्यादा self-occupied मकान हैं, तो आपको उनमें से किसी दो को self-occupied मानना होगा और बाकी मकानों को “माना हुआ किराए पर दिया गया” (deemed let-out) माना जाएगा. ऐसे मामलों में आपको उस मकान पर अनुमानित किराया (notional rent) दिखाना होगा, लेकिन उस पर चुकाए गए ब्याज की पूरी छूट भी ले सकते हैं.
टैक्स बचत को अधिकतम करने के लिए यह सलाह दी जाती है कि जिस मकान पर ब्याज कम हो, उसे self-occupied माना जाए, खासकर तब जब किसी या सभी मकानों पर ब्याज ₹2 लाख से ज्यादा हो.
हाउस प्रॉपर्टी से होने वाला नुकसान (loss) उसी साल दूसरी आय से अधिकतम ₹2 लाख तक समायोजित किया जा सकता है. बचा हुआ नुकसान अगले 8 साल तक केवल हाउस प्रॉपर्टी की आय से समायोजित किया जा सकता है.
निर्माणाधीन मकान पर ब्याज की छूट तभी मिलती है जब निर्माण पूरा हो जाए और कब्जा मिल जाए. कब्जा मिलने से पहले दिए गए ब्याज को जोड़कर, निर्माण पूरा होने वाले साल से अगले 5 बराबर किस्तों में छूट ली जा सकती है. self-occupied मकान के मामले में यह छूट भी ₹2 लाख की सीमा के भीतर ही होगी. अगर आप कब्जा मिलने के बाद 5 साल पूरे होने से पहले मकान बेच देते हैं, तो बाकी बचे सालों की छूट नहीं मिलेगी.
पुराने टैक्स सिस्टम में, धारा 80C के तहत व्यक्ति या HUF होम लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट पर अधिकतम ₹1.50 लाख की छूट ले सकते हैं. यह छूट जीवन बीमा प्रीमियम, NSC, EPF, ELSS, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज जैसी अन्य 80C मदों के साथ मिलकर मिलती है. यह छूट तभी मिलेगी जब होम लोन बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी जैसे निर्धारित संस्थानों से लिया गया हो. ध्यान रखें, यदि आपने कब्जा मिलने वाले साल के अंत से 5 साल के भीतर मकान बेच दिया, तो पिछले वर्षों में ली गई पूरी 80C की छूट उस साल की आय में जोड़ दी जाएगी.
नए टैक्स सिस्टम में Self-occupied मकान पर ब्याज की कोई छूट नहीं मिलती. किराए पर दिए गए मकान के मामले में भी ब्याज की छूट केवल किराए से होने वाली आय तक ही सीमित है, क्योंकि नए टैक्स सिस्टम में हाउस प्रॉपर्टी का नुकसान दूसरी आय से समायोजित नहीं किया जा सकता. होम लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट पर भी कोई छूट उपलब्ध नहीं है.
एजुकेशन लोन पर टैक्स लाभ
धारा 80E के तहत उच्च शिक्षा के लिए लिए गए एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स में छूट मिलती है. प्रिंसिपल रीपेमेंट पर कोई छूट नहीं मिलती. यह छूट वास्तविक भुगतान के आधार पर मिलती है. यदि आपने किसी एक साल में पहले के वर्षों का ब्याज एक साथ चुका दिया, तो उस पूरे ब्याज पर उसी साल छूट मिल जाएगी.
यह छूट अधिकतम 8 लगातार वर्षों तक मिलती है, जिसकी गणना उस साल से होती है जिस साल आप ब्याज चुकाना शुरू करते हैं. अगर लोन की अवधि 8 साल से ज्यादा है, तो 8 साल के बाद छूट नहीं मिलेगी. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि एजुकेशन लोन को 8 साल के भीतर चुकाने की योजना बनाएं.
यह लोन सीनियर सेकेंडरी (12वीं) के बाद किसी मान्यता प्राप्त कोर्स के लिए होना चाहिए. पार्ट-टाइम या डिप्लोमा कोर्स भी मान्य हैं, बशर्ते संस्था मान्यता प्राप्त हो.
यह छूट केवल व्यक्ति (Individual) को मिलती है. लोन स्वयं के लिए, पति/पत्नी के लिए, बच्चे के लिए या उस बच्चे के लिए लिया जा सकता है जिसके आप कानूनी अभिभावक हों. बेहतर टैक्स बचत के लिए ब्याज की छूट उसी व्यक्ति के टैक्स रिटर्न में लेनी चाहिए जो ऊंचे टैक्स स्लैब में आता हो. माता-पिता ब्याज की छूट ले सकते हैं यदि पढ़ाई के दौरान ब्याज वे चुका रहे हों. अगर पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्र ऊंचे टैक्स स्लैब में आता है, तो वह ब्याज चुका कर खुद छूट ले सकता है.
इसीलिए यह सलाह दी जाती है कि एजुकेशन लोन माता-पिता और छात्र के संयुक्त नाम पर लिया जाए, ताकि जरूरत के अनुसार छूट लेने में लचीलापन रहे. यह लोन किसी वित्तीय संस्था या मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संस्था से लिया गया होना चाहिए. दोस्तों या रिश्तेदारों से लिए गए एजुकेशन लोन पर ब्याज की छूट नहीं मिलती.
वाहन लोन
आमतौर पर सैलरी पाने वाले व्यक्ति को वाहन लोन पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलती. लेकिन अगर वाहन का उपयोग व्यवसाय या पेशे के लिए किया जाता है, तो उस पर दिए गए ब्याज और वाहन पर डेप्रिसिएशन, उपयोग के अनुपात में, खर्च के रूप में दावा किया जा सकता है. टैक्सी चलाने वाले व्यवसाय में लगे लोग भी वाहन लोन के ब्याज पर छूट ले सकते हैं.
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पर्सनल लोन / क्रेडिट कार्ड लोन
आयकर कानून में पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन पर सामान्य रूप से कोई टैक्स लाभ नहीं मिलता. हालांकि, यदि पर्सनल लोन का उपयोग घर के लिए मार्जिन मनी देने या किसी व्यवसायिक संपत्ति को खरीदने में किया गया हो, और आप इसका प्रमाण दे सकें, तो ब्याज की छूट उस उपयोग के आधार पर ली जा सकती है.
मेरी राय में, ऐसे पर्सनल लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट पर धारा 80C के तहत छूट नहीं ली जा सकती, क्योंकि यह पैसा घर खरीदने या निर्माण के लिए विशेष रूप से नहीं लिया गया होता.
मुझे पूरा विश्वास है कि उधार लेते समय टैक्स से जुड़े सही फैसले लेने में यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी.
लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.