31 दिसंबर 2025 की डेडलाइन क्यों बन गई टैक्सपेयर्स के लिए बड़ा खतरा? रिफंड अटकने पर भड़के एक्सपर्ट

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद भी लाखों टैक्सपेयर्स एक अनदेखे जोखिम में हैं. एक तय तारीख के बाद न तो गलती सुधारी जा सकेगी और न ही पूरा फायदा मिल पाएगा. टैक्स एक्सपर्ट्स की चेतावनी अब निवेशकों को सतर्क कर रही है.

ITR Refund Image Credit: Money9 Live

इनकम टैक्स रिफंड का इंतजार कर रहे लाखों टैक्सपेयर्स के लिए 31 दिसंबर 2025 सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक बड़ा टर्निंग पॉइंट बनता जा रहा है. आमतौर पर माना जाता है कि अगर आपने ज्यादा टैक्स चुका दिया है तो रिफंड मिलना तय है, लेकिन मौजूदा सिस्टम और प्रोसेसिंग की रफ्तार को देखते हुए यह भरोसा अब कमजोर पड़ता दिख रहा है. चार्टर्ड अकाउंटेंट्स चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इस तारीख से पहले सही कदम नहीं उठाया गया, तो वैध रिफंड का दावा भी हाथ से निकल सकता है.

रिफंड का गणित और सिस्टम की सख्ती

जब किसी टैक्सपेयर की कुल टैक्स देनदारी, साल भर में चुकाए गए टैक्स से कम होती है, तो अतिरिक्त राशि रिफंड के तौर पर मिलनी चाहिए. लेकिन कई मामलों में टैक्स डिपार्टमेंट पुराने वर्षों की बकाया मांग (डिमांड) के साथ मौजूदा रिफंड को समायोजित कर देता है. यह प्रक्रिया आयकर कानून की धारा 245 के तहत होती है.

समस्या तब खड़ी होती है जब ITR फाइल तो हो जाती है, लेकिन उसका प्रोसेस समय पर नहीं हो पाता और बाद में उसमें कोई गलती निकल आती है.

31 दिसंबर 2025 क्यों है इतनी अहम तारीख?

31 दिसंबर 2025 असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए revised ITR और belated ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख है. इसका मतलब साफ है- इस दिन के बाद आप अपने रिटर्न में कोई सुधार नहीं कर सकते, चाहे गलती कितनी ही छोटी क्यों न हो.

अगर CPC (Centralised Processing Centre) आपकी ITR को इस तारीख के बाद प्रोसेस करता है और उसमें कोई गलती बताता है, तो आप revised ITR दाखिल कर ही नहीं पाएंगे. यही वो बिंदु है जहां से टैक्सपेयर्स की परेशानी शुरू होती है.

एक्सपर्ट की नाराजगी और सीधी चेतावनी

चार्टर्ड अकाउंटेंट Himank Singla ने इस स्थिति पर खुलकर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि बड़ी संख्या में ओरिजिनल ITR की प्रोसेसिंग अब तक लंबित है और आशंका है कि कई रिटर्न 31 दिसंबर 2025 के बाद प्रोसेस होंगे.

अगर ऐसी स्थिति में CPC किसी गलती या चूक की सूचना देता है, तो टैक्सपेयर के पास revised ITR का विकल्प खत्म हो जाएगा. ऐसे में केवल ITR-U दाखिल करने का रास्ता बचेगा, जिसमें रिफंड क्लेम करने की इजाजत नहीं है. यानी गलती आपकी नहीं, सिस्टम की देरी की वजह से, लेकिन नुकसान आपको उठाना पड़ सकता है.

16 दिसंबर 2025 तक करीब 8.34 करोड़ ITR फाइल और वेरीफाई हो चुके थे, जिनमें से लगभग 7.68 करोड़ ही प्रोसेस हुए थे. इसका मतलब है कि लाखों रिटर्न अब भी CPC के पास लंबित हैं. यही लंबित रिटर्न सबसे ज्यादा जोखिम में हैं.

अगर 31 दिसंबर 2026 तक ITR प्रोसेस नहीं हुई तो?

कानून के मुताबिक CPC के पास ITR प्रोसेस करने के लिए वित्त वर्ष के अंत से 9 महीने का समय होता है. यानी FY 2025–26 में फाइल की गई ITR को प्रोसेस करने की आखिरी वैध तारीख 31 दिसंबर 2026 है.
अगर इस तारीख तक भी ITR प्रोसेस नहीं होती, तो वह रिटर्न “फाइनल” मानी जाती है. इसके बाद CPC कोई डिमांड या एडजस्टमेंट नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में अगर रिफंड बनता है, तो टैक्सपेयर रिफंड के साथ ब्याज का भी हकदार होता है.

31 दिसंबर 2025 के बाद आपके पास क्या विकल्प बचते हैं?

इस तारीख के बाद revised ITR दाखिल करने का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है. अगर CPC बाद में गलती बताता है, तो टैक्सपेयर के पास दो ही विकल्प होते हैं-

Rectification के जरिए आप नया डिडक्शन, नई इनकम या कोई नया दावा नहीं जोड़ सकते. यह प्रक्रिया सीमित दायरे में ही काम करती है. अगर आपकी समस्या इस दायरे से बाहर है, तो मामला अपील तक भी जा सकता है, जो समय और खर्च दोनों बढ़ाता है.

टैक्सपेयर्स के लिए साफ संदेश

अगर टैक्सपेयर 31 दिसंबर 2025 के बाद ITR-U (Updated Return) दाखिल करने के लिए मजबूर होता है, तो उस पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ भी बढ़ता जाता है. यह अतिरिक्त टैक्स समय के साथ बढ़ता है, जैसा कि नीचे दी गई तालिका से साफ समझा जा सकता है.

इस पूरी स्थिति से एक बात साफ निकलती है, 31 दिसंबर 2025 को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है. अगर आपकी ITR फाइल हो चुकी है, तो उसकी स्थिति पर लगातार नजर रखें. किसी भी गलती या चूक को समय रहते revised ITR के जरिए ठीक करें.