पर्सनल लोन लेना है? क्रेडिट स्कोर के अलावा इन 5 फैक्टर्स पर भी दें ध्यान; समय पर पेमेंट भी जरूरी
पर्सनल लोन लेने के लिए सिर्फ क्रेडिट स्कोर ही काफी नहीं है, बल्कि बैंक और फाइनेंशियल संस्थान कई अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं. इनमें रोजगार और आय की स्थिरता, डेब्ट टू इनकम रेश्यो, रीपेमेंट हिस्ट्री, संपत्ति और कोलेटरल जैसी शर्तें शामिल हैं.
Personal Loan: आज के समय में पर्सनल लोन लोगो की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का एक आसान विकल्प बन चुका है. मेडिकल इमरजेंसी, घर की मरम्मत या एजुकेशन जैसे खर्चों के लिए लोग पर्सनल लोन लेते हैं. आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि लोन की मंजूरी केवल क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती है, लेकिन ऐसा नहीं है. बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन लोन देने से पहले कई अन्य फैक्टर की जांच भी करते हैं.
क्रेडिट स्कोर का महत्व
लोन की मंजूरी में क्रेडिट स्कोर अहम भूमिका निभाता है. 750 से अधिक स्कोर को मजबूत माना जाता है और यह दिखाता है कि उधार लेने वाले का फाइनेंशियल प्रोफाइल बेहतर है. हालांकि केवल क्रेडिट स्कोर ही काफी नहीं होता. बैंक इसके साथ ही अन्य वित्तीय आदतो और भरोसेमंद पेमेंट हिस्ट्री पर भी नजर रखते हैं.
रोजगार और इनकम की स्टेबिलिटी
लोन चुकाने की क्षमता का अंदाजा लगाने के लिए बैंक लोन लेने वाले की इनकम और पेमेंट हिस्ट्री देखते हैं. नौकरीपेशा, स्वरोजगार या पेंशनधारी होने पर भी अगर इनकम स्थिर है तो लोन मंजूरी आसान हो जाती है. स्थायी इनकम यह साबित करती है कि लोन लेने वाला समय पर किस्त चुका सकेगा.
डेब्ट टू इनकम रेश्यो
बैंक लोन देने से पहले डेब्ट टू इनकम रेश्यो यानी इनकम के मुकाबले कर्ज का रेशियो जांचते हैं. यह रेशियो 40 से 42 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर लोन लेने वाले की इनकम के मुकाबले कर्ज ज्यादा है तो लोन मंजूरी की संभावना कम हो जाती है.
प्रॉपर्टी और कोलेटरल
कमजोर क्रेडिट हिस्ट्री वाले लोगो के लिए सेविंग और प्रॉपर्टी की अहमियत बढ जाती है. बैंक यह देखते हैं कि जरूरत पडने पर लोन लेने वाले की संपत्ति गिरवी रख सके या सेविंग का उपयोग कर सके. फिक्स्ड डिपॉजिट या अन्य कोलेटरल होने से लोन जल्दी मंजूर हो सकता है.
ये भी पढ़ें- ITR Deadline: बढ़ गई ITR फाइल करने की आखिरी तारीख, जान लीजिए नई डेडलाइन
समय पर पेमेंट का महत्व
क्रेडिट कार्ड बिल, EMI और अन्य पेमेंट समय पर करना जरूरी है. अगर पहले पेमेंट में देरी हुई हो तो यह लोन मंजूरी पर नेगेटिव असर डालता है. समय पर भुगतान करने से उधारकर्ता की वित्तीय साख मजबूत होती है और नए लोन आसानी से मिल जाते हैं.
सही डॉक्यूमेंट और ट्रांसपेरेंसी
लोन की प्रक्रिया में बैंक ऑटोमैटिक सिस्टम और मैनुअल दोनों तरह से जांच करते हैं. अधूरे डॉक्यूमेंट या गलत जानकारी मिलने पर लोन में देरी हो सकती है. सही और ट्रांसपेरेंट दस्तावेज देने से लोन स्वीकृति की संभावना तेजी से बढ जाती है.