HUF की संपत्ति: गिफ्ट, वसीयत और विभाजन का समझें प्रोसेस, जानें टैक्स और उत्तराधिकार के नियम

क्या आप जानते हैं कि HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) और HUF की संपत्ति में क्या अंतर है? जानिए कैसे HUF संपत्ति अर्जित कर सकता है, उसका उत्तराधिकार कैसे होता है और क्या हैं इसके नियम और फायदे. HUF की संपत्ति में सभी सह-अंशधारियों का बराबर अधिकार होता है और इसका विभाजन भी किया जा सकता है. जानिए कैसे आप HUF का लाभ उठा सकते हैं.

HUF को लेकर सारे नियम Image Credit: Freepik/Canva

एक HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) और HUF की संपत्ति, ये दोनों अलग-अलग बातें हैं. यह जरूरी नहीं है कि हर HUF के पास कोई संपत्ति हो. ऐसा भी हो सकता है कि HUF का गठन सिर्फ इसलिए हो क्योंकि उसमें दो या उससे ज्यादा जीवित सह-अंशधारी (coparceners) हैं. सह-अंशधारी का मतलब है कि एक ऐसा व्यक्ति जो HUF में पैतृक संपत्ति में जन्म से ही अधिकार प्राप्त करता है – लेकिन उनके पास कोई भी संपत्ति नहीं है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हिंदू परिवारों में संयुक्त परिवार का दर्जा जन्म से ही मिलता है और संपत्ति केवल इस संयुक्त परिवार की एक पूरक चीज होती है. चलिए विस्तार से समझते हैं कि HUF संपत्ति कैसे अर्जित कर सकता है और उस संपत्ति का उत्तराधिकार कैसे होता है.

HUF संपत्ति कैसे प्राप्त कर सकता है?

HUF का कर्ता HUF की ओर से गिफ्ट ले सकता है, बशर्ते देने वाला व्यक्ति यह साफ कहे कि यह गिफ्ट HUF के फायदे के लिए दिया जा रहा है. यह गिफ्ट परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति से भी हो सकता है.

इसके अलावा, HUF को वसीयत के जरिए भी संपत्ति प्राप्त हो सकती है, अगर किसी मृतक ने अपनी वसीयत में साफ लिखा हो कि वह संपत्ति HUF को दी जा रही है.

HUF के सदस्य भी अपनी निजी संपत्ति को HUF में मिला सकते हैं, जिसे आम तौर पर common hotchpot कहा जाता है. हालांकि, ऐसी संपत्ति से जो भी इनकम होगी, वह तब तक उस व्यक्ति की इनकम मानी जाएगी जिसने संपत्ति को HUF में डाला है – जब तक कि HUF की संपत्ति का वितरण न हो जाए और यहां तक कि अगर HUF संपत्ति का वितरण हो भी गया हो, फिर भी अगर उस संपत्ति का कुछ हिस्सा उस सदस्य की पत्नी को मिला है तो उससे होने वाली इनकम भी उस सदस्य की ही इनकम मानी जाएगी.

क्योंकि HUF के सदस्य, HUF के “रिश्तेदार” माने जाते हैं, इसलिए सेक्शन 56(2) के तहत जब HUF अपने सदस्यों से गिफ्ट लेता है, तो उसे HUF की इनकम नहीं माना जाता. इसका मतलब है कि HUF अपने सदस्यों से किसी भी राशि या मूल्य का गिफ्ट बिना टैक्स के ले सकता है.

लेकिन ध्यान दें, अगर HUF को परिवार के बाहर के लोगों से गिफ्ट मिलता है और उसका कुल मूल्य पूरे साल में 50,000 से ज्यादा हो जाता है, तो पूरा गिफ्ट टैक्स के दायरे में आ जाता है. लेकिन अगर यह कुल राशि 50,000 से कम है, तो उसे HUF की इनकम नहीं माना जाएगा.

अगर गिफ्ट चेक या कोई मूवेबल संपत्ति (जैसे गहने, गाड़ी) के रूप में है, तो उसका रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होती. लेकिन अगर गिफ्ट अचल संपत्ति (जैसे जमीन या मकान) में दी जा रही है, तो उसका रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है और उस पर उचित स्टाम्प ड्यूटी भी देनी पड़ती है.

HUF संपत्ति का उत्तराधिकार और ट्रांसफर

HUF के सह-अंशधारी अपने जीवनकाल में HUF की संपत्ति में अपने अधिकार को न तो किसी को गिफ्ट में दे सकते हैं और न ही ट्रांसफर कर सकते हैं. लेकिन वे अपने हिस्से को वसीयत के जरिए किसी को दे सकते हैं.

2005 से पहले, जब हिंदू सक्सेशन एक्ट में संशोधन नहीं हुआ था तब HUF की संपत्ति का उत्तराधिकार जीवित सह-अंशधारियों को survivorship के आधार पर मिल जाता था. लेकिन 2005 में हुए संशोधन के बाद यह व्यवस्था बदल गई.

अब अगर किसी सह-अंशधारी की बिना वसीयत बनाए मौत हो जाती है तो उसकी HUF संपत्ति में हिस्सेदारी हिंदू सक्सेशन एक्ट 1956 के शेड्यूल 1 में दिए गए क्लास 1 के कानूनी उत्तराधिकारियों को जाती है. ऐसे उत्तराधिकारी जब संपत्ति प्राप्त करते हैं, तो वह उनकी पूर्ण निजी संपत्ति बन जाती है और वे उसे अपनी मर्जी से बेच सकते हैं, इस्तेमाल कर सकते हैं या किसी को दे सकते हैं.

HUF संपत्ति का विभाजन

HUF की संपत्ति में सभी सह-अंशधारियों का बराबर अधिकार होता है, इसलिए कर्ता किसी भी सदस्य को उसके हिस्से से वंचित नहीं कर सकता. अगर कोई सह-अंशधारी विभाजन की मांग करता है, तो कर्ता को उसे उसका हिस्सा देना ही होगा.

कानून के अनुसार, आंशिक विभाजन चाहे वह संपत्ति के स्तर पर हो या सदस्यों के स्तर पर वह वैध माना जाता है. लेकिन इनकम टैक्स कानून इस आंशिक विभाजन को मान्यता नहीं देता. इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार, HUF का विभाजन तभी मान्य होगा जब वह पूर्ण हो — यानी सारी संपत्ति और सभी सदस्यों के बीच समान रूप से बांटा जाए.

अगर HUF का पूर्ण विभाजन नहीं हुआ है और संपत्ति का कुछ हिस्सा ही बांटा गया है, तो उससे होने वाली आय अभी भी HUF की ही आय मानी जाएगी और उस पर टैक्स भी HUF के नाम से लगेगा.

विभाजन के समय जो संपत्ति किसी सह-अंशधारी को मिलती है, वह उसकी व्यक्तिगत संपत्ति बन जाती है. HUF के इस विभाजन को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में दर्ज कराना जरूरी होता है, और विभाग से इसका ऑर्डर भी लेना पड़ता है कि HUF का पूरा विभाजन हुआ है.

लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.