भारत पाक तनाव के बीच पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के परिवार को झटका, बिक गई बागपत की खानदानी जमीन

भारत-पाक तनाव के बीच बड़ौत (उत्तर प्रदेश) में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार की शत्रु संपत्ति नीलाम कर दी गई है. कोताना गांव में स्थित करीब 13 बीघा जमीन अब बड़ौत और गाजियाबाद के तीन लोगों के नाम हो गई है. यह नीलामी 1.38 करोड़ रुपये में हुई.

बिक गई बागपत की जमीन (प्रतिकात्मक तस्वीर) Image Credit: @Money9live

Pervez Musharraf Land Auctioned: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे. इस पूरे मामले की शुरुआत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए एक हमले से हुई थी. उसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान पर हमला किया जिसमें उसके कई आतंकी ठिकानों को खत्म कर दिया था. उसी कड़ी में अब भारत ने देश के अंदर बसे हुए एक पाकिस्तानी नाम को मिटा दिया है. दरअसल उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत कस्बे से एक अहम खबर सामने आई है. यहां पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार की जमीन की नीलामी कर दी गई है. अब यह जमीन बड़ौत और गाजियाबाद के तीन लोगों के नाम हो गई है.

शत्रु संपत्ति की हुई नीलामी

बड़ौत के कोताना गांव में स्थित करीब 13 बीघा जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था. अब उसे 1.38 करोड़ रुपये में बेच दी गई है. यह जमीन पहले परवेज मुशर्रफ के भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ और उनके परिवार के नाम थी लेकिन 15 साल पहले इसे शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया था. अब उस जमीन पंकज (ठेकेदार), मनोज गोयल (बड़ौत निवासी) और गाजियाबाद की जेके स्टील कंपनी के नाम कर दी गई है. शनिवार को लखनऊ से आए शत्रु संपत्ति विभाग के अधिकारी प्रशांत कुमार ने बड़ौत के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बैनामा प्रक्रिया पूरी कराई.

क्या है मुशर्रफ और उनके भारत में जमीन की कहानी?

परवेज मुशर्रफ का परिवार 1943 में बड़ौत के कोताना गांव से दिल्ली चला गया था. उसके कुछ साल बाद यानी, 1947 के बंटवारे के समय वे पाकिस्तान में बस गए. हालांकि उनकी हवेली और खेती की जमीन कोताना में ही मौजूद थी. सालों बाद इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति मानकर सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया गया.

शत्रु संपत्ति विभाग अब पूरे उत्तर प्रदेश में इस तरह की संपत्तियों की नीलामी कर रहा है. 28 मार्च को 171 शत्रु संपत्तियों की नीलामी की गई जिनसे सरकार को 15 करोड़ रुपये से अधिक का रेवेन्यू मिला. ये संपत्तियां लखनऊ सहित कई जिलों में फैली हैं. गृह मंत्रालय ने भी ऐसे सभी विवाद-मुक्त और इस्तेमाल योग्य शत्रु संपत्तियों को बेचने के निर्देश दिए हैं.

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