BrahMos नहीं, अब Super BrahMos बनाएगा भारत, Pakistan पर हमले के बाद रूस से हुई डील

भारत और रूस अब मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल का एक नया और ज्यादा ताकतवर वर्जन तैयार करने की योजना बना रहे हैं. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में किए गए सफल मिसाइल हमलों के बाद लिया गया है. इस नई मिसाइल को लखनऊ की ब्रह्मोस फैक्ट्री में बनाया जाएगा, जो हाल ही में 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है.

रूस के साथ मिलकर बनेगा अब सुपर मिसाइल Image Credit: @Money9live

Super BrahMos India Russia: भारत और रूस अब मिलकर BrahMos मिसाइल का नया और ज्यादा ताकतवर वर्जन (Super BrahMos) बनाने की तैयारी कर रहे हैं. यह कदम हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान BrahMos मिसाइल की सफल तैनाती और पाकिस्तान व पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमलों के बाद उठाया गया है. इस नए प्लानिंग की नींव उत्तर प्रदेश में शुरू किए गए नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में रखी जाएगी.

रूस का पूरा समर्थन

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने इस नई मिसाइल के लिए भारत को पूरी तरह से तकनीकी सहयोग देने की पेशकश की है. इस नई मिसाइल को लेकर दोनों देशों के बीच शुरुआती दौर में होने वाली बातचीत पूरी हो चुकी है. नया यूनिट मौजूदा BrahMos से कहीं ज्यादा रफ्तार और दूरी वाला होगा यानी वह काफी बेहतर होने वाला है. 10 मई को भारत ने BrahMos मिसाइलों को सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों से पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर दागा. यह एयरबेस पाकिस्तान की वायु सेना के उत्तरी संचालन का मुख्य केंद्र है और उसके परमाणु हथियार नियंत्रण वाले जगह के नजदीक स्थित है. इसके साथ ही बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को भी निशाना बनाया गया था.

ताकतवर ब्रह्मोस के लिए तैयार है यूनिट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हाल ही में उद्घाटन की गई BrahMos मिसाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट इस नई ‘सुपरब्रह्मोस’ परियोजना में मुख्य भूमिका निभाएगी. करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह यूनिट 80 हेक्टेयर में फैली है और उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत तैयार की गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 मई को इस यूनिट का उद्घाटन किया था. इस यूनिट में मिसाइल निर्माण के अलावा टेस्टिंग, एकीकरण और एयरोस्पेस ग्रेड मटेरियल के प्रोडक्शन की भी व्यवस्था है.

“BrahMos सिर्फ मिसाइल नहीं, संदेश है”

इन तमाम हमलों के बाद राजनीतिक गलियारे में भी बयानों का सिलसिला शुरू हो गया था. मिसाइल को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “अगर किसी को BrahMos की ताकत देखनी हो, तो पाकिस्तान से पूछ लें. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसकी शक्ति की झलक सबने देखी है.” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “BrahMos सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए एक सशक्त संदेश है- हमारी शक्ति, हमारी सैन्य क्षमता और हमारी सीमाओं की सुरक्षा का प्रतीक है.”

ब्रह्मोस के आगे पाक-चीन की तैयारी भी फेल

रिपोर्ट के मुताबिक, BrahMos मिसाइल की रेंज 290 से 400 किलोमीटर तक है और यह माच 2.8 की गति से चलती है. मौजूदा समय में इस मिसाइल को पाकिस्तान या चीन की कोई एयर डिफेंस सिस्टम रोक नहीं सकती. इसके जमीन, समुद्र और वायु से प्रोजेक्शन वाली वैरिएंट भारतीय सेना में पहले से ही एक्टिव हैं. यह प्रोजेक्ट भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत देश को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है.

यूपी डिफेंस कॉरिडोर में लखनऊ के अलावा कानपुर, अलीगढ़, झांसी, आगरा और चित्रकूट में भी रक्षा उत्पादन इकाइयां विकसित की जा रही हैं. रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि इस फैक्ट्री में मिसाइल निर्माण के साथ-साथ परीक्षण, एकीकरण और उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा सामग्री का उत्पादन भी होगा. भारत अब न सिर्फ BrahMos को और उन्नत बना रहा है, बल्कि भविष्य में इसे बड़े स्तर पर निर्यात भी कर सकता है.

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