ITR नहीं भरने वाले सावधान! इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जल्द भेजेगा नोटिस, धारा 148A के तहत होगी कार्रवाई
अगर आपने पहले कभी ITR नहीं भरा और आपके खाते में बड़ी लेन-देन हुई है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको सेक्शन 148A के तहत नोटिस भेज सकता है. विभाग अब हाई-रिस्क नॉन-फाइलर्स की पहचान कर रहा है. इस नोटिस में जवाब देने का मौका मिलेगा, जिससे आप स्पष्टीकरण दे सकें.
Income Tax Return: इनकम टैक्स एक्ट की धारा 148A के तहत, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उन लोगों को नोटिस जारी कर सकता है, जिन्होंने पिछले वित्तीय वर्षों में आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं किया है. ऐसे व्यक्ति जिनके पास हाई लेवल के वित्तीय ट्रांजेक्शन हैं लेकिन उन्होंने ITR नहीं भरा, उन्हें विभाग हाई रिस्क की कैटेगरी में रखता है. अब विभाग ऐसे लोगों की पहचान करने में सक्रिय हो गया है और जल्द ही उन्हें नोटिस जारी किया जा सकता है. हालांकि, नोटिस जारी करने से पहले उन्हें अपनी सफाई देने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा.
सेक्शन 148A कैसे काम करता है?
सेक्शन 148A आयकर अधिनियम में एक प्रावधान है जिसमें विभाग को किसी व्यक्ति की आयकर जानकारी के आधार पर पूछताछ करने और ITR न भरने पर नोटिस भेजने की अनुमति मिलती है. इसमें विभाग पहले जांच करता है, फिर व्यक्ति को सूचना देकर जवाब का मौका देता है. यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो सेक्शन 148 के तहत दोबारा जांच की प्रक्रिया शुरू होती है.
किन लोगों को मिल सकते हैं नोटिस?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की डेटा एनालिटिक्स प्रणाली अब उन लोगों को चिन्हित कर रही है जिन्होंने:
- बड़ी संपत्ति खरीदी है या शेयरों में निवेश किया है
- बैंकों से उच्च ब्याज अर्जित किया है
- कारोबार में बड़ा टर्नओवर दिखाया है
- अन्य सरकारी या वित्तीय स्रोतों से जानकारी मिली है कि उनकी इनकम टैक्स योग्य है
नोटिस मिलने पर क्या करें?
- नोटिस का जवाब समय पर दें – इसे नजरअंदाज न करें
- नोटिस की जानकारी समझें – कौन-सी लेनदेन या आय पर सवाल है
- आवश्यक दस्तावेज इकट्ठा करें – बैंक स्टेटमेंट, इनकम प्रूफ, निवेश की जानकारी
- विस्तृत उत्तर तैयार करें – हर पॉइंट का तथ्यात्मक जवाब दें
- प्रोफेशनल सलाह लें – चार्टर्ड अकाउंटेंट से मदद लें
- आईटीआर फाइल करें (अगर अब तक नहीं किया) – देरी से सही, फाइल करना बेहतर है
नजरअंदाज करने पर क्या हो सकता है?
अगर आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा भेजे गए सेक्शन 148A के नोटिस का समय पर जवाब नहीं देते हैं या संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं देते, तो आपके खिलाफ सेक्शन 148 के तहत री-असेसमेंट की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इसके अलावा, विभाग आपकी जानकारी के बिना ही उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर बेस्ट जजमेंट एसेसमेंट कर सकता है, जो आपके पक्ष में नहीं हो सकता. ऐसे मामलों में आपको जुर्माना और ब्याज भी देना पड़ सकता है. यदि मामला टैक्स चोरी जैसा गंभीर हुआ, तो कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.