रोबोटिक सर्जरी रिम्बर्समेंट में बड़े सुधार की जरूरत, मरीजों तक पहुंच हो आसान, FICCI बनाएगी टास्क फोर्स
FICCI ने एक राउंडटेबल बैठक में भारत में रोबोटिक सर्जरी को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए बीमा व्यवस्था में सुधार की जरूरत बताई. बीमा में कम भुगतान और सीमित कवरेज के कारण मरीज आधुनिक इलाज नहीं ले पाते. सुझाव दिए गए कि सरकारी अस्पतालों में ट्रायल शुरू हो और एक टास्कफोर्स बनाई जाए जो इलाज की लागत, को-पेमेंट और जागरूकता पर काम करे.
Robotic Surgery: मेडिकल साइंस ने पिछले कुछ दशकों में काफी तरक्की की है जिससे लोगों के इलाज बेहतर तरीकों से हो पा रहे हैं. इसी तरह की एक तकनीक है रोबोटिक सर्जरी जिसमें रोबोटिक के जरिए सर्जरी की जाती है. इसमें गलती की गुंजाइश कम होती है और यह प्रक्रिया काफी सफल होती है. लेकिन इसमें काफी खर्च भी आता है जो इसे आम लोगों की पहुंच से दूर कर देता है. इसी को देखते हुए दिल्ली में FICCI ने एक खास बैठक की जिसमें यह चर्चा हुई कि कैसे भारत में रोबोटिक सर्जरी को आम लोगों तक पहुंचाया जा सकता है. इसमें डॉक्टर, बीमा कंपनियों, अस्पतालों, मेडिकल कंपनियों और सरकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
IRDAI की पहल सराहनीय, लेकिन और सुधार जरूरी
बैठक में IRDAI द्वारा रोबोटिक सर्जरी को मॉडर्न ट्रीटमेंट तरीकों की लिस्ट में शामिल करने को सकारात्मक कदम बताया गया, लेकिन एक्सपर्ट ने इसे पर्याप्त नहीं माना. उन्होंने कहा कि बीमा पॉलिसियों में व्यापक कवरेज के लिए कास्ट इफेक्टिनेस और क्लीनिकल आउटकम के मजबूत आंकड़ों की आवश्यकता है ताकि प्रीमियम और पेमेंट प्राइस सही तरीके से तय किए जा सकें.
चुनी गई सर्जरी के लिए प्राथमिक कवरेज की सिफारिश
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के डायरेक्टर (हेल्थ) सेगर संपथकुमार ने कहा कि कुछ चुनिंदा सर्जरी ऐसी हैं जिनमें रोबोटिक तकनीक से बेहतर क्लीनिकल और आर्थिक लाभ मिलता है. बीमा कंपनियों को पहले इन सर्जरी के लिए कवरेज शुरू करना चाहिए हालांकि ऐसा करने के लिए उनके पास ठोस सबूत होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सभी पॉलिसियों में पूरी कवरेज संभव नहीं होती तब तक अतिरिक्त खर्च का कुछ हिस्सा मरीज भी वहन कर सकता है.
पायलट प्रोजेक्ट और डेटा कलेक्शन पर जोर
बैठक में यह सुझाव दिया गया कि कुछ सरकारी अस्पतालों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जाएं ताकि रोबोटिक सर्जरी के नतीजों और लागत पर विश्वसनीय आंकड़े जुटाए जा सकें. नेशनल हेल्थ सिस्टम्स रिसोर्स सेंटर के सलाहकार और प्रमुख डॉ. के मदन गोपाल ने कहा कि सर्जनों को ट्रेन करना और सबूत के आधार पर सही सर्जरी की पहचान करना जरूरी है ताकि रोबोटिक तकनीक का सुरक्षित और समान रूप से विस्तार हो सके.
मल्टी एजेंसी टास्कफोर्स बनाने की सिफारिश
बैठक में एक मल्टी एजेंसी टास्कफोर्स बनाने की भी सिफारिश की गई जो लागत मॉडलिंग, बंडल प्राइसिंग, को पेमेंट स्ट्रक्चर और मरीज जागरूकता जैसे विषयों पर काम करे. कई एक्सपर्ट ने कहा कि मरीजों को सही जानकारी और विकल्प मिलने चाहिए ताकि वे आर्थिक असुरक्षा की वजह से एडवांस इलाज से वंचित न रहें.
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गाइडलाइन तैयार करने की प्लानिंग
DRG पैथ लैब्स के संस्थापक और मेडिकल एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन डॉ. रवि गौर ने कहा कि मरीजों को रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट जैसी एडवांस सर्जरी चुनने पर आर्थिक सजा नहीं मिलनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि FICCI एक टास्कफोर्स बनाए जिसमें सभी स्टेकहोल्डर की भागीदारी हो. यह टीम इंश्योरेंस, को पेमेंट और मरीज जागरूकता से जुड़ी सिफारिशों को लेकर एक नीति डाक्यूमेंट तैयार करे जिसे नीति आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय और IRDAI के पास भेजा जाए.
इन सुझावों के बाद FICCI ने कहा है कि एक टास्कफोर्स बनाई जाएगी जो इलाज की कीमत, को-पेमेंट (मरीज द्वारा दिया जाने वाला हिस्सा), जरूरी जानकारी और मरीजों को जागरूक करने पर काम करेगी. इससे मरीजों को फैसला लेने में आसानी होगी और वे आधुनिक इलाज को चुन पाएंगे.FICCI अब एक ऐसा दस्तावेज तैयार करेगा जिसमें सभी सुझाव होंगे. इसे स्वास्थ्य मंत्रालय, IRDAI और नीति आयोग को भेजा जाएगा ताकि आगे की नीति बनाई जा सके. मीटिंग में यह भी कहा गया कि इलाज के बाद पैसे मिलना जरूरी नहीं है, बल्कि इलाज तक पहुंच पाने के लिए यह पहले से तय होना चाहिए.