पिछला साल रहा खराब, अब शेयर ने पकड़ी रफ्तार; 2024-25 में रिलायंस में बहुत कुछ बदला, क्या आपको पता है?
Reliance Industries Transformation: रिलायंस आज अपने कपड़ा उद्योग के दिनों से एक लंबा सफर तय कर चुकी है. लेकिन अगर कोई एक चीज है जो इसके दशकों लंबे सफर में समान रही है, तो वह यह है कि इसके शेयर ने कभी भी निवेशकों के धैर्य की परीक्षा लेने में देरी नहीं की है. लगभग हर दशक में शेयर ने निवेशकों की परीक्षा ली है.

Reliance Industries Transformation: मई 1985. कूपरेज फुटबॉल ग्राउंड, नरीमन पॉइंट, मुंबई. लगभग 12,000 लोग मैदान पर लगे कैनवास के शामियानों के नीचे धैर्यपूर्वक एक शख्स का इंतजार कर रहे हैं. कुछ स्टैंड भी खचाखच भरे हुए हैं. मैदान के एक तरफ मंच बनाया गया है, जिस पर एक लंबी मेज और कुछ कुर्सियां रखी हैं. हवा में एक बेचैन ऊर्जा है और मौसम में उमस. इसलिए कुछ लोग तह किए हुए अखबारों से हवा कर रहे हैं, तो कुछ स्टील के फ्लास्क से पानी की चुस्कियां ले रहे हैं. अचानक, सभी के सिर मंच की ओर मुड़ जाते है. गहरे रंग के सूट में एक एक आदमी आगे आता है, उसके बाद कुछ और लोग भी. फिर भीड़ सहज ही तालियां बजाने लगती है.
जैसे ही वह माइक्रोफोन में बोलने के लिए खड़ा होता है, जयकार की तीव्रता बढ़ जाती है. कई लोग उसकी ठीक से एक झलक पाने के लिए अपनी सीटों पर खड़े हो जाते हैं. वह शख्स अभिवादन में हाथ उठाता है. माइक्रोफोन ठीक करता है और भीड़ की सैलाब की तरफ देखता है, जो उत्साह से लबालब भरी है और जोश की लहरे उफान पर हैं, क्योंकि वे इतिहास के निर्माण का हिस्सा बनने की भावना से प्रेरित है.
यह आयोजन कोई साधारण सभा नहीं थी. यह पहली बार था जब कोई भारतीय कंपनी अपने वफादार शेयरधारकों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए किसी स्टेडियम में अपनी वार्षिक आम बैठक आयोजित कर रही थी. उस समय कंपनी का नाम रिलायंस टेक्सटाइल्स था और मंच पर खड़ा वह साधारण व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि धीरूभाई हीराचंद अंबानी थे, जिन्होंने न केवल भारत की सबसे बड़ी कंपनी बनाई, बल्कि देश की आधुनिक इक्विटी संस्कृति की नींव भी रखी.

लंबा सफर तय कर चुकी है रिलायंस
रिलायंस आज अपने कपड़ा उद्योग के दिनों से एक लंबा सफर तय कर चुकी है. लेकिन अगर कोई एक चीज है जो इसके दशकों लंबे सफर में समान रही है, तो वह यह है कि इसके शेयर ने कभी भी निवेशकों के धैर्य की परीक्षा लेने में देरी नहीं की है, चाहे वह 1980 का दशक हो, 1990 का दशक हो या 2000 के दशक का मध्य.
बेशक, हर शेयर कभी न कभी अपने निवेशकों के धैर्य की परीक्षा लेता है. कमजोर प्रदर्शन के सायकिल आखिरकार, बाजार की प्रकृति का हिस्सा हैं. लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के मामले में, ये ठहराव जिंदगी से भी बड़े लगते हैं. क्योंकि कंपनी का विशाल आकार और इसकी ताकत देश के विकास की कहानी में अहम भूमिका निभाती हैं.
पिछले साल नेगेटिव रिटर्न
सबसे हालिया सुस्ती पिछले कुछ वर्षों में आई थी, जब इस दिग्गज कंपनी का प्रदर्शन बेंचमार्क से काफी नीचे रहा. लेकिन 2025 में इसमें भारी उलटफेर हुआ है और इस साल अब तक RIL ने करीब 24 फीसदी की बढ़त दर्ज की है, जबकि निफ्टी में 7 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. पिछले साल रिलायंस के शेयरों ने एक दशक में पहली बार नेगेटिव रिटर्न दिया था.
20 ट्रिलियन रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी द्वारा इतने बड़े कदम उठाने से निवेशकों (और प्रतिस्पर्धियों) के मन में यह अहम सवाल उठता है कि आखिर इस हाथी को क्या नचा रहा है? और उससे भी महत्वपूर्ण बात, क्या यह टिक पाएगा?
2024-25 का साल रहा अहम
अगर आप दुनिया की सबसे बड़ी सिंगल-साइट पेट्रोलियम रिफाइनरी के मालिक हैं. दुनिया भर में सबसे बड़ा पेटकोक गैसीफायर चलाते हैं. दुनिया के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड पॉलिएस्टर उत्पादक हैं. विभिन्न पेट्रोकेमिकल्स के उत्पादन में दुनिया की टॉप-5 कंपनियों की फेहरिस्त में शुमार हैं और यह सेक्टर अभी भी आपके कैश फ्लो में आधे से कम का योगदान देता है, तो जाहिर सी बात कि गाड़ी पटरी से उतरी नहीं है.
2024-25 रिलायंस की कॉर्पोरेट यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि टेलीकॉम और रिटेल जैसे उपभोक्ता-केंद्रित व्यवसायों ने इसके सेगमेंटल एबिटा (ब्याज, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमोर्टाइजेशन से पहले की कमाई) में आधे से ज्यादा का योगदान दिया. बाजार के नजरिए से यह बदलाव इसके शेयर की हालिया जड़ता को तोड़ने के लिए काफी रहा है.

RIL के काम करने के 4 वर्टिकल
RIL के चार मुख्य रूप से 4 वर्टिकल में काम करती है. सबसे बड़ा सेगमेंट ऑयल टू केमिकल (O2C) है, जिसके तहत कंपनी कच्चे तेल को अलग पेट्रोकेमिकल्स में परिवर्तित करती है. इनका उपयोग पैकेजिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स, स्वास्थ्य सेवा, कपड़ा, ऑटोमोबाइल और अन्य कई उद्योगों में किया जाता है. इस सेगमेंट में फ्यूल रिटेल बिक्री, एविएशन फ्यूल और बल्क होलसेल मार्केटिंग भी शामिल हैं. अन्य वर्टिकल ऑयस एंड गैस एक्सप्लोरेशन, डिजिटल सर्विसेज (जिसमें टेलीकॉम प्रमुख जियो भी शामिल है) और रिटेल हैं.
अन्य रेवेन्यू सोर्स
मिंट में छपी रिपोर्ट के अनुसार, RIL के कई छोटे व्यवसाय और रेवेन्यू सोर्स भी हैं, जिन्हें ‘अन्य’ आय के रूप में कैटेगराइज्ड किया गया है. RIL के विशाल आकार को समझने के लिए के एक आंकड़े पर गौर कीजिए. कंपनी ने 2024-25 में 55,859 करोड़ रुपये की ‘अन्य’ इनकम दर्ज की. यह बजाज ऑटो (₹51,431 करोड़), जिंदल स्टील (₹48,932 करोड़), पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन (₹46,325 करोड़), अडानी पोर्ट्स (₹32,383 करोड़) और एशियन पेंट्स (₹30,323 करोड़) जैसी बड़ी कंपनियों के वार्षिक रेवेन्यू से भी अधिक है.
O2C व्यवसाय का रेवेन्यू
RIL का पारंपरिक O2C व्यवसाय अभी भी उसके रेवेन्यू का लगभग 60 फीसदी और उसके मुनाफे का लगभग 40 फीसदी हिस्सा है. हालांकि, यह व्यवसाय महत्वपूर्ण चुनौतियों और मार्जिन संकुचन का सामना कर रहा है, जिसका मुख्य कारण कमजोर मांग के माहौल में चीन से नई आपूर्ति है.
रिपोर्ट के अनुसार, फ्यूल क्रैक, जो कच्चे तेल और उससे निकाले गए ईंधन की कीमतों के बीच के अंतर को दर्शाते हैं, पिछले वित्त वर्ष में वार्षिक आधार पर 36-41 फीसदी गिर गए. पॉलीइथाइलीन (PE) और पॉलीप्रोपाइलीन (PP) जैसे पेट्रोकेमिकल उत्पादों का मार्जिन भी 10 फीसदी तक गिर गया, जो चीन, यूरोपीय संघ और अन्य बाजारों से कमजोर मांग, साथ ही अत्यधिक क्षमता और हाई इन्वेंट्री बिल्डअप के कारण प्रभावित हुआ.
भारत में मजबूत ईंधन मांग के कारण, O2C सेगमेंट का रेवेन्यू पिछले वर्ष 2023-24 की तुलना में 11 फीसदी बढ़कर 6.2 ट्रिलियन रुपये हो गया, जबकि एबिटा 12 फीसदी गिरा और मार्जिन 220 बेसिस प्वाइंट की गिरावट के साथ 8.8 फीसदी रह गया.
रिलायंस में क्या बदल गया?
पहले रिलायंस के पेट्रोकेमिकल कारोबार में कोई भी कमजोरी उसके शेयर पर गहरा असर डालती थी. लेकिन अब स्थिति बदल गई है, और इसका श्रेय इसके तेजी से बढ़ते उपभोक्ता-केंद्रित वेंचर टेलीकॉम और रिटेल को जाता है. इनका दायरा काफी बढ़ गया है और ये RIL के नए ग्रोथ इंजन बनकर उभरे हैं. कंपनी के 2024-25 के आंकड़े इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं. जबकि O2C सेगमेंट का एबिटा 2024-25 में पिछले वर्ष की तुलना में 12% कम हुआ. इसके रिटेल और डिजिटल व्यवसायों में क्रमशः 9% और 17% की अच्छी वृद्धि हुई.
जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट ने एक हालिया नोट में कहा, रिटेल/टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखने से पहले, RIL की आय वृद्धि मिनिमम फैक्टर्स से निर्धारित होती थी. कैपिटल एक्सपेंडिचर (नई रिफाइनिंग/रासायनिक क्षमताएं), या मार्जिन चक्र. तब कैपिटल एक्सपेंडिचर सायकिल शेयरों के प्रदर्शन को प्रभावित करते थे.

24 फीसदी चढ़ चुका है शेयर
रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर इस साल अब तक 24 फीसदी चढ़ चुका है. जबकि बेंचमार्क निफ्टी में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिसने दो साल के अंडरपरफॉर्मेंस को पलट दिया है. यह आंशिक रूप से व्यावसायिक मिश्रण के कारण है. समूह के कंज्यूमर-संबंधी व्यवसाय, टेलीकॉम और रिटेल ने इसके सेगमेंटल एबिटा में आधे से अधिक का योगदान दिया. इससे पहले RIL के मुख्य पेट्रोकेमिकल्स व्यवसाय में कोई भी कमजोरी स्टॉक पर लंबी छाया डालती थी.
तेजी से बढ़ते उपभोक्ता-जुड़े वेंचर की बदौलत स्थिति बदल गई है. RIL अपने न्यू एनर्जी बिजनेस में भी गति पकड़ रही है, जिसमें सोलर और विंड एनर्जी, फ्यूल सेल, बैटरी, इलेक्ट्रोलाइजर शामिल हैं. न्यू एनर्जी बिजनेस से वैल्यूएशन की दोबारा रेटिंग हो सकती है.
बहरहाल, डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ नखरे से बढ़ी कमजोर वैश्विक वृद्धि, O2C मार्जिन में और अधिक गिरावट RIL के लिए भारी झटका साबित हो सकती है, क्योंकि यह सेक्टर अभी भी उसके लिए ‘कैश काऊ’ बना हुआ है.
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