नए Wage कोड से बदल जाएगी आपकी सैलरी की कैलकुलेशन, PF और ग्रेच्युटी बढ़ेगी लेकिन टेक होम सैलरी होगी कम

नए वेज कोड के लागू होने से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट सकती है क्योंकि बेसिक सैलरी अब CTC का कम से कम 50 फीसदी तय होगी. इससे PF और ग्रेच्युटी की कटौती बढ़ेगी, जबकि रिटायरमेंट सेविंग मजबूत होगी. कंपनियों को सैलरी स्ट्रक्चर बदलना पड़ेगा क्योंकि सैलरी की एक नई परिभाषा लागू होगी जिसमें बेसिक, डीए और रिटेनिंग अलाउंस शामिल होंगे.

नए वेज कोड के लागू होने से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट सकती है. Image Credit: FREE PIK

Wage Code: केंद्र सरकार के नए वेज कोड के लागू होने के बाद कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट सकती है. इसके तहत कर्मचारियों की बेसिक सैलरी अब कुल CTC का कम से कम 50 फीसदी तय की जाएगी. बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी की कटौती भी बढ़ जाएगी. यह बदलाव जहां रिटायरमेंट सेविंग को मजबूत करेगा, वहीं कर्मचारियों के हाथ में आने वाली सैलरी प्रभावित होगी. जानकारों का कहना है कि कंपनियों को अब अपने सैलरी स्ट्रक्चर को नए नियमों के अनुसार बदलना होगा.

क्या है नया वेज कोड

कोड ऑन वेज शुक्रवार से प्रभावी हो गया है. सरकार अगले 45 दिन में इसके नियम नोटिफाई करेगी. नए प्रावधान के अनुसार बेसिक सैलरी कुल CTC का 50 फीसदी होगी. इससे वे कंपनियां प्रभावित होंगी जो बेसिक कम रखकर अलाउंसेज बढ़ा देती थीं. अब सभी कंपनियों को बेसिक सैलरी को तय लिमिट के अनुसार रखना होगा.

बेसिक सैलरी बढ़ने से क्यों बढ़ेगा PF

PF की कैलकुलेशन बेसिक सैलरी पर होती है. PF में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12 फीसदी योगदान देते हैं. जैसे ही बेसिक सैलरी बढ़ेगी, PF का योगदान भी उसी रेशियों में बढ़ जाएगा. इससे रिटायरमेंट सेविंग बढ़ेगी लेकिन टेक होम सैलरी कम हो जाएगी.

ग्रेच्युटी पर पड़ेगा सीधा असर

ग्रेच्युटी अंतिम बेसिक सैलरी और कंपनी में काम के कुल वर्षों पर आधारित होती है. अब क्योंकि बेसिक सैलरी अधिक होगी, इसलिए ग्रेच्युटी की राशि भी पहले से अधिक मिलेगी. जानकारों का अनुमान है कि इससे लंबे समय में कर्मचारियों को फायदा होगा.

कंपनियों को सैलरी स्ट्रक्चर बदलना होगा

नए वेज कोड के लागू होने के साथ ही कंपनियों को अपने कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना पड़ेगा. इसे लागू करने का उद्देश्य कंपनियों द्वारा बेसिक सैलरी कम रखने और अलाउंसेज बढ़ाने की प्रथा पर रोक लगाना है. अब बेसिक, डीए और रिटेनिंग अलाउंस को मिलाकर वेतन की नई परिभाषा तय होगी.

सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट

कोड ऑन वेज और अन्य लेबर कोड में वेतन की परिभाषा एक जैसी कर दी गई है. इससे PF, ग्रेच्युटी, पेंशन और अन्य सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट की कैलकुलेशन में एकरूपता आएगी. इससे कर्मचारियों को अधिक ट्रांसपरेंट और सही लाभ सुनिश्चित होगा.

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किन भत्तो को वेज में नहीं जोड़ा जाएगा

नए नियम में वेज में बेसिक, डीए और रिटेनिंग अलाउंस शामिल होंगे. जबकि HRA और कनवेंस अलाउंस को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा. जानकारों का कहना है कि इससे सैलरी स्ट्रक्चर अधिक स्पष्ट होगी और रिटायरमेंट लाभ बढ़ेंगे.