घर खरीदने से पहले इन 13 डॉक्यूमेंट्स की जरूर करें पड़ताल, नहीं तो आ सकता है कानूनी नोटिस

कभी-कभी घर खरीदते वक्त लोग मान लेते हैं कि हर डॉक्यूमेंट देखना जरूरी नहीं है, लेकिन यही लापरवाही आगे चलकर बड़ा झंझट खड़ा कर देती है. Taxbuddy.com ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घर खरीदने से पहले चेक किए जाने वाले जरूरी दस्तावेजों की एक लिस्ट शेयर की है. इसके मुताबिक, कई बार बिना जानकारी के खरीदार ऐसे केस में फंस जाते हैं

फ्लैट खरीदने से पहले ध्यान देने वाली बातें Image Credit:

सोचिए, आपने लाखों-करोड़ों रुपये लगाकर अपनी पसंद का फ्लैट खरीदा और खुशी-खुशी उसमें रहने लगे. लेकिन कुछ महीनों बाद अचानक एक कानूनी नोटिस आ जाए, क्योंकि आपने घर खरीदते समय एक जरूरी कागज को नजरअंदाज कर दिया था. ऐसा कई लोगों के साथ होता है. लोग मान लेते हैं कि हर डॉक्यूमेंट देखना जरूरी नहीं है, लेकिन यही लापरवाही आगे चलकर बड़ा झंझट खड़ा कर देती है.

Taxbuddy.com ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घर खरीदने से पहले चेक किए जाने वाले जरूरी दस्तावेजों की एक लिस्ट शेयर की है. इसके मुताबिक, कई बार बिना जानकारी के खरीदार ऐसे केस में फंस जाते हैं, जहां इनकम टैक्स विभाग या कोई सरकारी एजेंसी नोटिस भेज देती है.

दोस्त के नाम पर को-ओनर बनाना पड़ सकता है भारी

मान लीजिए आपने एक प्रॉपर्टी अपने दोस्त के साथ मिलकर खरीदी, लेकिन पूरा पैसा आपने दिया. कुछ साल बाद जब आप इसे बेचते हैं और पूरा कैपिटल गेन अपने नाम पर दिखाते हैं, तो दिक्कत होती है. क्योंकि रजिस्ट्री में दोनों के नाम होने की वजह से टैक्स डिपार्टमेंट दोनों को को-ओनर मानता है. ऐसे में आपके दोस्त पर भी टैक्स की देनदारी बन सकती है. अगर वह टैक्स नहीं देगा तो उसे भी नोटिस आ सकता है, जबकि उसने कोई फायदा कमाया ही नहीं.

टैक्स आप भरें, नोटिस फिर भी दोनों को

इसके अलावा कई मामलों में एक को-ओनर ITR में गेन दिखा देता है, लेकिन दूसरा नहीं दिखाता. तब भी टैक्स विभाग दोनों को नोटिस भेज सकता है. क्योंकि जब प्रॉपर्टी ज्वाइंट नाम से खरीदी जाती है तो दोनों को अपने हिस्से के हिसाब से टैक्स दिखाना होता है. यही नियम म्यूनिसिपल टैक्स पर भी लागू होता है. अगर एक नहीं भरेगा, तो दूसरा जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

हर डॉक्यूमेंट साबित करता है प्रॉपर्टी की वैधता

ये 13 डॉक्यूमेंट्स जरूर चेक करें

अगर खरीदार ये डॉक्यूमेंट नहीं चेक करता, तो उसे इन जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है. इसके तहत,

अगर Occupation Certificate या NA ऑर्डर नहीं है तो लोन भी नहीं मिलेगा और जुर्माना भी लग सकता है. टैक्स या एनकम्ब्रेंस की जांच न करने पर रिकवरी नोटिस या थर्ड पार्टी दावा भी आ सकता है. ऐसे मामले में प्रॉपर्टी का मालिकाना हक कमजोर पड़ जाता है और आगे चलकर इसे बेचना या मॉर्गेज करना मुश्किल हो जाता है.

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