पीएम मोदी ने इस शहर की रखी नींव, 10 साल से रुका था प्रोजेक्ट; अमरावती 2.0 की हो गई शुरुआत
आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल के बीच एक पुरानी योजना फिर से चर्चा में है. एक ऐसा शहर जिसकी नींव प्रधानमंत्री ने खुद रखी थी, लेकिन जिसे अधूरा छोड़ दिया गया. अब सत्ता में वापसी के बाद फिर से उम्मीदें जगी हैं. क्या ये सपना अब साकार होगा?
Amaravati 2.0: आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी अमरावती का सपना एक बार फिर जिंदा हो गया है. एक ऐसा सपना, जो आसमान को छूती इमारतों, चौड़ी सड़कों, और हर जरूरी सुविधा के 15 मिनट की दूरी पर होने के वादे के साथ बुना गया था. लेकिन पिछले एक दशक में ये सपना ज्यादातर सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया. अब जब मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू फिर से सत्ता में लौटे हैं, तो अमरावती को हकीकत में बदलने की कोशिश एक बार फिर जोर पकड़ चुकी है.
217 वर्ग किलोमीटर में फैला सुनियोजित शहर
अमरावती का मास्टरप्लान सिंगापुर की साझेदारी में तैयार किया गया है, जो 217.23 वर्ग किलोमीटर में फैला है और 29 गांवों को शामिल करता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह शहर पूरी तरह से ग्रिड पैटर्न पर तैयार किया गया है. उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशा में सड़कें, हर 4 वर्ग किलोमीटर में एक टाउनशिप जिसमें स्कूल, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र, जूनियर कॉलेज और पार्क शामिल हैं. हर जरूरी सेवा अधिकतम 2 किलोमीटर की दूरी पर होगी.
वापसी की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमरावती में फिर से काम की औपचारिक शुरुआत की है. हालांकि जमीनी हालात अभी भी काफी पीछे हैं. कुछ विश्वविद्यालयों और स्टूडेंट हॉस्टल को छोड़ दें, तो ज्यादातर इलाका वीरान पड़ा है. हालांकि, अब हर प्रोजेक्ट के लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट अधिकारी और एक प्रोग्राम ऑफिसर नियुक्त किया गया है, जो रोजाना प्रगति की रिपोर्ट देंगे.
यह भी पढ़ें: ये कंपनियां हैं अपनी फील्ड की धुरंधर, रेवेन्यू और प्रॉफिट भी है दमदार; निवेशक रख सकते हैं नजर
क्या है चुनौतियां
सबसे बड़ी चुनौती इस शहर को बसाना है. नया रायपुर और गांधीनगर जैसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि केवल सरकारी कार्यालयों से शहर जीवंत नहीं बनते. आंध्र सरकार अब शिक्षा, स्वास्थ्य और निवेश को साथ लेकर चल रही है. पहले की सरकार में किए गए 130 जमीन आवंटनों में से सिर्फ 48 की पुष्टि अब की गई है. मुख्यमंत्री नायडू केंद्र से कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं जिससे अमरावती को भविष्य में कोई सरकार बदल न सके.