फ्लैट खरीदने के बाद भी खराब क्वाविटी की कर सकते हैं शिकायत, उपभोक्ता आयोग का अहम फैसला

अगर आपने कोई फ्लैट या घर खरीदा और उसकी क्वालिटी खराब निकल गई. तो इसकी शिकायत आप कर सकते हैं. क्योंकि दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सर्विस की कमी के लिए मुआवजा मांगता है, चाहे वह उस संपत्ति पर कब्जा ले लिया हो या नहीं. तो बिल्डर और डेवलपर्स की जिम्मेदारी है कि वे उपभोक्ताओं को क्वालिटी सर्विस दें.

फ्लैट खरीदने के बाद भी उसकी खराब क्वाविटी को लेकर कर सकते हैं शिकायत Image Credit:

खुद का आशियाना हो, इसका सपना सभी देखते हैं. लोग सालों की कमाई इस आशियाने को खरीदने में लगा देते हैं. कई बार तो उन्हें लोन तक का सहारा लेना पड़ता है. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि हमने जो फ्लैट या घर खरीदा हैं, उसमें इस्तेमाल हुआ मैटेरियल खराब क्वालिटी का होता है. घर की दीवरों से सीमेंट झड़ रहा होता है या फिर बारिश के मौसम में सीलन की समस्या होने लगती है. हमें ये लगने लगता है कि हमने जिस बिल्डर्स से फ्लैट या घर खरीदा है, अब उसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकते और खुद को ठगा महसूस करने लगते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि आप फ्लैट खरीदने के बाद भी खराब क्वालिटी को लेकर बिल्डर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं.

क्या है प्रावधान ?

अगर आपने फ्लैट खरीदा लेकिन उसकी क्वालिटी खराब निकली तो, ऐसे में आप उसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं. क्योंकि दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति ने कोई सर्विस ली है, लेकिन वह उसकी क्वालिटी से संतुष्ट नहीं है तो वह इसके लिए मुआवजे की मांग कर सकता है. इसमें फ्लैट भी शामिल है. इसके तहत बिल्डरों और डेवलपर्स की जिम्मेदारी है कि वे उपभोक्ता को क्वालिटी वाली सर्विस दें.

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मनीकंट्रोल की रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला को दिल्ली में एक फ्लैट आवंटित हुआ. जब उसने फ्लैट का कब्जा लिया, तो वह बुरी हालत में था. उसकी दीवारें जर्जर थी. उसमें काफी मरम्मत की जरूरत थी. महिला ने इसके खिलाफ मुआवजे की मांग की. उसने इसकी भरपाई के लिए 20 लाख रुपये का मुआवजा मांगते हुए जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की.

पहले दावा हुआ खारिज

जब उसका मामला जिला उपभोक्ता आयोग में पहुंचा तो, आयोग ने उसकी शिकायत को खारिज कर दिया. जिला आयोग ने कहा कि फ्लैट में शिफ्ट होने के बाद वह अब उपभोक्ता नहीं रहीं.

उपभोक्ता होगा मुआवजे का हकदार

जिसके बाद महिला ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की. राज्य उपभोक्ता आयोग की चेयरपर्सन न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल और न्यायमूर्ति पिंकी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने अपने फैसले में बताया कि अगर कोई व्यक्ति सर्विस की कमी के लिए मुआवजा मांगता है, चाहे वह उस संपत्ति पर कब्जा ले लिया हो या नहीं. तो बिल्डर और डेवलपर्स की जिम्मेदारी है कि वे उपभोक्ताओं को क्वालिटी सर्विस दें. आयोग ने कहा कि कब्जा लेने या रजिस्ट्री पूरी होने के बाद भी अगर किसी सर्विस में कमी होती है, तो उपभोक्ता मुआवजे का हकदार होगा.

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