ग्रेटर नोएडा टर्मिनल बनेगा नॉर्थ इंडिया का मॉडर्न रेलवे हब; 100 ट्रेनें करेंगी ऑपरेट, दिल्ली पर बोझ होगा कम
ग्रेटर नोएडा के बोडाकी में एक वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन ग्रेटर नोएडा टर्मिनल बन रहा है, जो 100 ट्रेनों की क्षमता वाला होगा. यह स्टेशन दिल्ली-एनसीआर को पूर्वी भारत से जोड़ेगा और आनंद विहार जैसे टर्मिनलों पर भीड़ को कम करेगा.
Greater Noida Terminal: अब ग्रेटर नोएडा बनेगा नार्थ इंडिया का मॉडर्न रेलवे हब. दरअसल, ग्रेटर नोएडा के बोडाकी में एक अल्ट्रा-मॉडर्न और वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन बनने जा रहा है. इसका नाम होगा ग्रेटर नोएडा टर्मिनल. यह स्टेशन न केवल शानदार डिजाइन और अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा, बल्कि दिल्ली-एनसीआर से पूर्वी भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों का नया सेंटर भी बनेगा. यह स्टेशन उत्तर भारत के सबसे आधुनिक रेल हब्स में से एक होगा, जहां 100 ट्रेनें, जिनमें वंदे भारत और अन्य प्रीमियम एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल होंगी.
क्या रहेगा खासियत?
- यह स्टेशन 176 हेक्टेयर में बनने वाले मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्टेशन हब का हिस्सा होगा, जिसमें से 46 हेक्टेयर सिर्फ रेलवे टर्मिनल के लिए होंगे.
- स्टेशन में 12 प्लेटफॉर्म और 63 यार्ड लाइनें होंगी, जो मरम्मत और ट्रेन संचालन के लिए उपयोग होंगी.
- स्टेशन की नीचली मंजिल पर ट्रेन संचालन से जुड़ी गतिविधियां होंगी, जबकि ऊपरी मंजिलों पर कॉमर्शियल स्पेस बनाए जाएंगे.
- स्टेशन के साथ-साथ एक स्थानीय बस टर्मिनल, अंतरराज्यीय बस अड्डा और मेट्रो कॉरिडोर भी विकसित किया जाएगा, जो डिपो स्टेशन से बोडाकी तक जोड़ेगा.
- यह नया टर्मिनल न केवल नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों के यात्रियों को फायदा देगा, बल्कि दिल्ली के प्रमुख ट्रांजिट पॉइंट्स जैसे आनंद विहार पर भीड़ को काफी हद तक कम करेगा.
एयरपोर्ट और मेट्रो से बेहतर कनेक्टिविटी
यह स्टेशन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से महज एक घंटे की दूरी पर होगा, जिससे यात्रियों को हवाई यात्रा और रेल यात्रा के बीच आसान विकल्प मिलेगा. स्टेशन से मेट्रो, स्थानीय बस टर्मिनल और इंटरस्टेट बस स्टॉप भी जुड़े होंगे.
प्रोजेक्ट की लागत
शुरुआत में इस परियोजना का बजट 1,850 करोड़ रुपये था, लेकिन डिजाइन और सुविधाओं के विस्तार के चलते अब इसकी लागत लगभग दोगुनी हो सकती है. इस प्रोजेक्ट को DMIC-IITGNL नामक एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) से विकसित किया जा रहा है, जिसमें NICDIT (भारत सरकार) और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) की बराबर भागीदारी है. खास बात ये है कि रेलवे स्टेशन का निर्माण भारतीय रेल की निगरानी में होगा, जबकि SPV दूसरी सुविधाओं जैसे बस अड्डों, यूटिलिटी सेवाओं का विकास करेगा.
कब तक होगा तैयार?
इस परियोजना को पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखा गया है. ग्रेटर नोएडा टर्मिनल के शुरू होने से दिल्ली-एनसीआर की यात्रा सुविधाजनक, तेज और आरामदायक हो जाएगी, खासतौर पर पूर्वी भारत की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए यह एक बड़ा बदलाव साबित होगा.
दिल्ली की भीड़ होगी कम
एक बार यह स्टेशन शुरू हो गया तो नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और आसपास के इलाकों से पूर्वी भारत जाने वाली ट्रेनें यहीं से चलेंगी, जिससे दिल्ली के आनंद विहार जैसे व्यस्त टर्मिनलों पर दबाव कम होगा.
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