Budget 2026: अटके हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए रिस्क गारंटी फंड लाएगी सरकार, 25 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च
केंद्र सरकार बजट 2026 में 25,000 करोड़ रुपये का रिस्क गारंटी फंड पेश करने की योजना बना रही है. इसका उद्देश्य अटके हुए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करना और बैंकों का जोखिम कम करना है. NaBFID और NCGTC के माध्यम से यह फंड लोन को सुरक्षित बनाएगा और निजी निवेशकों को आकर्षित करेगा.
Risk Guarantee Fund: केंद्रीय बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को लेकर एक बड़ा एलान हो सकता है. सरकार अटके हुए प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने के लिए नया फंड लाने की तैयारी में है. रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार 25 हजार करोड़ रुपये के रिस्क गारंटी फंड पर विचार कर रही है. इसका उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए जोखिम को कम करना है. इससे प्राइवेट निवेश को बढ़ावा मिलेगा और प्रोजेक्ट्स में गति आएगी.
प्रस्तावित रिस्क गारंटी फंड
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का यह फंड बैंकों को दिए जाने वाले लोन पर आंशिक गारंटी देगा. इससे लेंडर्स का वित्तीय जोखिम कम होगा और वे अधिक लचीली शर्तों पर कर्ज दे सकेंगे. यह योजना छोटे कारोबारों के क्रेडिट गारंटी मॉडल पर आधारित है. फंड के माध्यम से अटकी हुई परियोजनाओं को फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी. निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और नई परियोजनाओं में तेजी आएगी.
बजट में संभावित ऐलान
रिपोर्ट के अनुसार फंड का ऐलान आगामी केंद्रीय बजट में किया जा सकता है. शुरुआती राशि सीधे बजट से दी जाएगी. सरकार सार्वजनिक और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की संभावना भी देख रही है. इससे फंड का प्रभाव और दायरा बढ़ सकता है. वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
NaBFID और NCGTC की भूमिका
NaBFID की समिति ने यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा है. इसके तहत NCGTC परियोजनाओं को वित्तीय गारंटी देने का काम करेगा. इससे बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को जोखिम कम करने में मदद मिलेगी. प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग आसान होगी और अटके हुए प्रोजेक्ट्स को गति मिलेगी. यह कदम इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को नई दिशा देने में सहायक होगा.
क्यों जरूरी है यह फंड
देश में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं. लागत में बढ़ोतरी और ऊंची ब्याज दरें निवेशकों के लिए चुनौती बनी हुई हैं. प्राइवेट निवेशक जोखिम के कारण पीछे हटते रहे हैं. सरकार का लक्ष्य देश की आर्थिक क्षमता को मजबूत करना है. इसके लिए भारी निवेश और नई फाइनेंसिंग सुविधा जरूरी है.
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हाईवे प्रोजेक्ट्स में देरी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 साल में कई नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स निर्धारित समय से पीछे चल रहे हैं. कुछ प्रोजेक्ट्स में 1 से 3 साल की देरी है. जमीन और पर्यावरण मंजूरी में बाधाएं भी बड़ी समस्या हैं. फाइनेंशियल क्लोजर में देरी परियोजनाओं को और प्रभावित कर रही है. नया रिस्क गारंटी फंड इन समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है.