इन 3 स्मॉलकैप कंपनियों में स्मार्ट मनी ने की एंट्री, प्रमोटर्स-FII-DIIs सब एक साथ झोंक रहे हैं पैसा; ग्रोथ का संकेत साफ
जब प्रमोटर, FII और DII तीनों एक साथ किसी कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाएं, तो समझिए भरोसे का ट्रिपल बूस्टर लग गया है. डिफेंस, फाइनेंस और माइनिंग से जुड़ी तीनों कंपनियों में यही हुआ, जहां मजबूत ग्रोथ और बढ़ता निवेश एक साथ नजर आ रहा है.
FIIs and DIIs and Promoters buying: शेयर बाजार में कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो निवेशकों के लिए सोने की खान साबित होते हैं. उनमें से एक है, जब कंपनी के प्रमोटर, विदेशी निवेशक और घरेलू संस्थागत निवेशक (FIIs and DIIs buying) तीनों एक साथ किसी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दें. यह संकेत देता है कि न केवल अंदरूनी लोगों को कंपनी पर भरोसा है, बल्कि बड़े निवेशक भी उसके भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं.
सितंबर तिमाही में यह ट्रेंड कई स्मॉलकैप कंपनियों में चुपचाप दिखाई दिया. खास बात यह रही कि इन कंपनियों में न सिर्फ हिस्सेदारी बढ़ी, बल्कि इनका बिजनेस भी तेजी से विस्तार कर रहा है. चाहे वह नई कैपेसिटी लगाना हो, नए प्रोडक्ट लॉन्च करना हो या अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पैर जमाना.
हम यहां बात कर रहे हैं ऐसी तीन कंपनियों की, जिन्हें इस समय बाजार में “ट्रिपल बूस्टर” यानी प्रमोटर + FII + DII का संयुक्त भरोसा मिल रहा है.
- Krishna Defence and Allied Industries
सबसे पहले बात कृष्णा डिफेन्स एंड एलाइड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की. यह कंपनी डिफेंस सेक्टर में तेजी से उभरती हुई स्मॉलकैप है. इसका 95 फीसदी से अधिक रेवेन्यू डिफेन्स बिजनेस से आता है, जबकि बाकी हिस्सा ट्रेडिशनल डेयरी इक्विपमेंट सेगमेंट से जुड़ा है. कंपनी स्वदेशी शिपबिल्डिंग स्टील सेक्शन, वेल्डिंग कंज्यूमेबल्स, आर्मर्ड स्टील प्रोफाइल्स और स्पेस हेडिंग डिवाइस जैसी अहम सामग्री बनाती है. इसके क्लाइंट लिस्ट में Cochin Shipyard, Mazagon Dock Shipbuilders Limited, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स (GRSE) जैसे बड़ी डिफेंस कंपनियां शामलि हैं.
सितंबर तिमाही में कंपनी के प्रमोटरों ने अपनी हिस्सेदारी 60.02 फीसदी तक बढ़ाई (6 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी), वहीं FIIs की हिस्सेदारी 20 बेसिस पॉइंट बढ़कर 0.24% हुई और DIIs ने पहली बार 0.68% हिस्सेदारी ली. वित्तीय मोर्चे पर कंपनी ने शानदार प्रदर्शन किया. रेवेन्यू 83% बढ़कर 1.9 अरब रुपये हो गया, जबकि मुनाफा 124% उछलकर 219 मिलियन रुपये पहुंच गया. मार्जिन में भी 105 बेसिस पॉइंट का सुधार दर्ज हुआ.
कंपनी का ऑर्डर बुक 2.7 अरब रुपये का है, जो लगभग 1.4 साल की रेवेन्यू विजिबिलिटी देता है. आने वाले 3-5 साल में कंपनी 30-40% CAGR की दर से ग्रोथ का टारगेट रखती है और 5 अरब रुपये के रेवेन्यू तक पहुंचना चाहती है.
इस टारगेट को हासिल करने के लिए कंपनी ने हलोल प्लांट में कैपेसिटी दोगुनी कर दी है, जिसकी अधिकतम रेवेन्यू क्षमता लगभग 4 अरब रुपये है. साथ ही, कंपनी ने नीदरलैंड की VABO Composite के साथ AMU किया है ताकि भारतीय नौसेना के लिए कंपोजिट डोर्स और स्ट्रक्चर बनाए जा सकें. इसके अलावा, कंपनी अब आर्मर्ड व्हीकल कंपोनेंट्स और कमर्शियल शिपबिल्डिंग जैसे नए प्रोडक्ट सेक्टर में उतर रही है. यानी डिफेंस कंस्ट्रक्शन के साथ यह कंपनी अब सिविल सेक्टर में भी अपना दायरा बढ़ा रही है.
बीते 3 साल में कंपनी के शेयरों ने 527 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है. मौजूदा वक्त में इसके शेयर 769 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं.
- Spandan Sphoorty Financial
दूसरे नंबर पर है स्पंदन स्फूर्ति फाइनेंशियल, जो ग्रामीण और सेमी-अर्बन इलाकों में स्मॉल वैल्यू अनसिक्योर्ड लोन देती है. हालांकि कंपनी बीते एक साल से दबाव में रही है और इसका शेयर 80 फीसदी गिर चुका है, फिर भी प्रमोटरों और संस्थागत निवेशकों ने इसमें भरोसा दिखाया है.
स्पंदन का माइक्रोफाइनेंस बिजनेस पिछले कुछ तिमाहियों से तनाव में है. Q2 FY26 में कंपनी की AUM (Assets Under Management) साल-दर-साल 61 फीसदी घटकर 40.9 अरब रुपये रह गई. डिस्बर्समेंट्स में 38% की गिरावट आई और कुल आय 66% घटकर 2.4 अरब रुपये रह गई. नेट इंटरेस्ट इनकम में 73% की गिरावट आई, जिससे कंपनी को 40 मिलियन रुपये का ऑपरेटिंग लॉस हुआ, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 2.7 अरब रुपये के प्रॉफिट का था. एसेट क्वालिटी में कमजोरी और बढ़े प्रावधानों के चलते कंपनी को 2.5 अरब रुपये का नेट लॉस हुआ.
इसके बावजूद, सितंबर तिमाही में निवेशकों ने भरोसा जताया. प्रमोटरों की हिस्सेदारी 3 बेसिस पॉइंट बढ़कर 48.16% हुई, FIIs ने 46 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 20.26 फीसदी हिस्सेदारी की, जबकि DIIs की हिस्सेदारी 47 बेसिस पॉइंट बढ़कर 6.12% पहुंची.
यह संकेत देता है कि बाजार को कंपनी के रिवाइवल प्लान पर भरोसा है.
कंपनी अब अपनी लेंडिंग रणनीति को फिर से आकार दे रही है. उसने हाल ही में 4 अरब रुपये का राइट्स इश्यू लाया, जिसमें प्रमोटर और संस्थागत निवेशक दोनों ने भाग लिया. स्पंदन अब Q3 FY26 में 5 अरब रुपये और अगले क्वार्टर में 7 अरब रुपये प्रति माह का डिस्बर्समेंट रन रेट हासिल करने का लक्ष्य रखती है. FY27 के लिए कंपनी ने 20 फीसदी ग्रोथ टारगेट तय किया है और फोकस अब ज्यादा सिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियो पर रहेगा.
बीते 3 साल में कंपनी के शेयरों ने 54 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है. मौजूदा वक्त में इसके शेयर 240 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं.
- Ashapura Minechem
तीसरी कंपनी है अशापुरा माइनकेम लिमिटेड, जो माइनिंग और मिनरल प्रोसेसिंग की दुनिया में बड़ा नाम है.
यह कंपनी बॉक्साइट, बेंटोनाइट, काओलिन, ब्लीचिंग क्ले, सिलिका और आयरन ओर जैसे खनिजों की माइनिंग और ट्रेडिंग करती है.
FY25 में कंपनी के रेवेन्यू में बेंटोनाइट का 45.2%, ब्लीचिंग क्ले का 28.3%, और बॉक्साइट का 7.3% योगदान था. प्रमोटरों की हिस्सेदारी 3 बेसिस पॉइंट बढ़कर 47.79%, FIIs की हिस्सेदारी 160 बेसिस पॉइंट बढ़कर 18.02%, और DIIs की हिस्सेदारी 9 बेसिस पॉइंट बढ़कर 0.35% हुई. स्पष्ट है कि तीनों निवेशक वर्ग कंपनी के भविष्य को लेकर एकमत हैं.
कंपनी का सबसे बड़ा ग्रोथ ड्राइवर है गिनी (Guinea) में इसका इंटरनेशनल ऑपरेशन, जहां इसके पास 700 MMT बॉक्साइट और 300 MMT आयरन ओर का विशाल भंडार है. गिनी कंपनी के कुल राजस्व और मुनाफे में 70% से अधिक योगदान देता है. अशापुरा ने यहां 135 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और अब 15 MMT बॉक्साइट एक्सपोर्ट का लक्ष्य FY28 तक तय किया है (वर्तमान 3.4 MMT से कई गुना अधिक).
इसके अलावा, गिनी में कंपनी के तीन कैप्टिव पोर्ट्स हैं, जिनमें नया ABB Bofa पोर्ट भी शामिल है. FY27 की पहली तिमाही तक पोर्ट कैपेसिटी 16 MMT तक बढ़ाने की योजना है. भारत में कंपनी का फोकस वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स जैसे बेंटोनाइट, काओलिन और ब्लीचिंग क्ले पर है, जिन्हें यह 80 से अधिक देशों में एक्सपोर्ट करती है.
वित्तीय रूप से कंपनी का प्रदर्शन बेहद मजबूत रहा. Q1 FY26 में रेवेन्यू 90 फीसदी बढ़कर 13.6 अरब रुपये हो गया, जबकि PAT लगभग दोगुना होकर 1.1 अरब रुपये पहुंचा. बीते 3 साल में कंपनी के शेयरों ने लगभग 630 फीसदी का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. मौजूदा वक्त में इसके शेयर 636 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं.
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ट्रिपल भरोसे का इशारा
इन तीनों कंपनियों में एक समान पैटर्न दिखता है, प्रमोटरों, FII और DII का एक साथ विश्वास, साथ ही बिजनेस में वास्तविक विस्तार. ऐसे दौर में जब बाजार में उतार-चढ़ाव तेज है, इस तरह का “ट्रिपल बूस्टर” निवेशकों के लिए संकेत है कि इन कंपनियों की नींव मजबूत है और आगे ग्रोथ की संभावना भी ऊंची. इन कंपनियों में प्रमोटरों की बढ़ती हिस्सेदारी यह दर्शाती है कि अंदरूनी लोग खुद अपनी कंपनी पर भरोसा दिखा रहे हैं. वहीं FIIs और DIIs की दिलचस्पी बताती है कि संस्थागत दुनिया भी इन स्मॉलकैप्स में बड़े मौके देख रही है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.