BlackRock का भारत पर बड़ा दांव! वैल्यूएशन रिसेट और टैरिफ टेंशन खत्म होने के बाद अब नई उड़ान को तैयार बाजार

दुनिया की सबसे बड़ी निवेश कंपनियों में से एक ब्लैकरॉक भारतीय बाजार को लेकर बुलिश है. कंपनी के इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट बेन पॉवेल का कहना है कि भारत का मार्केट अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. ग्लोबल ट्रेंड्स, जियोपॉलिटिकल शिफ्ट और वैल्यूएशन रिसेट के बाद भारतीय बाजार नई उड़ान को तैयार है.

ब्लैकरॉक Image Credit: Emanuele Cremaschi/Getty Images

भारत का शेयर बाजार एक बार फिर तेज उड़ान भरने को तैयार दिख रहा है. BlackRock जैसे दिग्गज ग्लोबल इन्वेस्टर्स का मानना है कि वैल्यूएशन के रिसेट और अमेरिका के साथ टैरिफ टेंशन में राहत से भारतीय बाजार अगले बड़े अपसाइड मूव के लिए तैयार हो गया है. टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक BlackRock Investment Institute के स्ट्रैटेजिस्ट बेन पॉवेल का दावा है कि भारत की हालिया सुस्ती घरेलू कमजोरी नहीं, बल्कि बाहरी झटकों का नतीजा थी, जो अब तेजी से खत्म हो रहे हैं. इसके साथ ही पॉवेल का दावा है कि भारत अब न सिर्फ दूसरे बाजारों के मुकाबले आकर्षक हो चुका है बल्कि अगले 12 महीनों में बाजार का रुख पूरी तरह बदल सकता है.

पॉवेल का कहना है कि भारत का मार्केट अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है, जहां से ग्लोबल मेगाट्रेंड्स, जियोपॉलिटिकल बदलाव और वैल्यूएशन में सुधार अब भारत के पक्ष में दिख रहे हैं. लिहाजा आने वाले 12 महीनों में भारतीय बाजार की दिशा मौजूदा स्थिति से पूरी तरह अलग और मजबूत हो सकती है.

एक्टिव प्लेबुक का समय

रिपोर्ट के मुताबिक पॉवेल का कहना है कि ग्रेट मॉडरेशन का दौर खत्म हो चुका है. अब लंबे समय तक एक पोर्टफोलियो को बिना छुए बैठे रहना रिटर्न देने वाला नहीं है. ऐसे में एक्टिव प्लेबुक के इस्तेमाल की जरूरत है.

बदल गई पूरी तस्वीर

जियोपॉलिटिकल तनाव, फ्रैगमेंटेड ट्रेड और AI से आने वाली टेक्नोलॉजिकल उथल-पुथल ने अब तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है. इन सबने निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा सेलेक्टिव होने के लिए मजबूर किया है. इसके अलावा जियोग्राफी से लेकर एसेट क्लास और सेक्टर तक का निवेशकों के माइंडसेट पर असर दिख रहा है. पॉवेल के मुताबिक AI एक साथ टेलविंड्स और और हेडविंड्स बना रहा है, जो इनोवेशन में आगे हैं, वे फायदा उठा रहे हैं; पीछे रहने वाले देशों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

भारत की इकोनॉमी मजबूत

पॉवेल का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन कमजोर दिखा, लेकिन इसकी वजह घरेलू नहीं थी. बल्कि AI मेगाबूम से जहां कोरिया, ताइवान और चीन को ज्यादा फायदा मिला है. वहीं, US–India ट्रेड तनाव की वजह से FPI सेंटिमेंट दबाव में रहा. लेकिन, अब अब दोनों दबाव कम होते दिख रहे हैं. पॉवेल का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत में नियुक्त किए गए नए राजदूत ने शपथ ग्रहण के दौरान साफ संकेत दिए हैं कि ट्रेड एग्रीमेंट जल्द हो सकता है. यह FPI सेंटिमेंट के लिए बड़ा पॉजिटिव संकेत है.

वैल्यूएशन आकर्षक

भारत का मार्केट अब तक कई उभरते बाजारों के मुकाबले भारी प्रीमियम पर ट्रेड हो रहा था, लेकिन अब वैल्यूएशन काफी हद तक रिसेट हो गया है, जिससे यह ग्लोबल निवेशकों के लिए और आकर्षक बनता जा रहा है. इंडिया अब टेक्टिकल ट्रेड नहीं, कोर अलोकेशन का मार्केट बन गया है. पॉवेल का कहना है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह दुनियाभर के पोर्टफोलियो में अब भी स्ट्रक्चरल अंडरओन्ड है.

यूके-जर्मनी के बराबर

भारत की कंपिनयों का मार्केट कैप अब UK और Germany की कंपनियों के बराबर है, लेकिन ग्लोबल इंडेक्स अभी भी इसे अंडर-रिप्रेजेंट करते हैं. इसके उलट चीन की अर्थव्यवस्था प्रॉपर्टी स्ट्रेस और डेमोग्राफिक दबाव के कारण सुस्त है, हालांकि AI और इंजीनियरिंग से जुड़े कुछ सेक्टर वहां भी मौके दे रहे हैं.

ब्लैकरॉक US पर ओवरवेट क्यों?

रिपोर्ट के मुताबिक पॉवेल का कहना है कि अमेरिकी इकोनॉमी के कंसन्ट्रेशन को लेकर चिंताएं हैं, लेकिन AI का उछाल सिर्फ हाइप नहीं बल्कि अर्निंग ड्रिवन है. “सिलिकॉन ब्रेन” को चलाने के लिए दुनिया को ट्रिलियन डॉलर के नए इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ेगी, और इसे सरकार नहीं बल्कि प्राइवेट कैपिटल पूरा करेगा.

एनर्जी सिक्योरिटी नया मेगाट्रेंड

पॉवेल के मुताबिक अब देश बचकाने ग्लोबलाइजेशन को छोड़कर एनर्जी प्रैग्मेटिज्म की तरफ बढ़ रहे हैं. इसमें पारंपरिक और रिन्युएबल दोनों तरह के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर आने वाले वर्षों में भारी कैपेक्स होगा, जो निवेश के अवसर बनाएगा.

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